Sadanira

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(Redirected from Sadanira River)
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Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Sadanira (सदानीरा) is a river mentioned in Mahabharata flowing on the boundaries of Kosala and Videha kingdoms. This river has been identified normally with Gandaki, But Mahabharata (II.18.27) mentions Sadanira and Gandaki separately as such it must be Rapti River. Amarakosha 1,10,33 identifies with Karatoya River. [1]

Origin

Variants

History

In Mahabharata

Sadanira River (सदानीरा) in Mahabharata (II.18.27), (VI.10.23)


Sabha Parva, Mahabharata/Book II Chapter 18 mentions Krishna, Bhima and Arjuna's journey to Magadha for destruction of Jarasandha. Sadanira River (सदानीरा) is mentioned in Mahabharata (II.18.27).[2]....Having set out from the country of the Kurus, they passed through Kuru-jangala and arrived at the charming lake of lotuses. Passing over the hills of Kalakuta, they then went on crossing the Gandaki, the Sadanira (Karatoya), and the Sarkaravarta and the other rivers taking their rise in the same mountains. They then crossed the delightful Sarayu and saw the country of Eastern Kosala. Passing over that country they went to Mithila and then crossing the Mala and Charmanwati, the three heroes crossed the Ganges and the Sone and went on towards the east. At last those heroes of unfaded glory arrived at Magadha in the heart of (the country of) Kushamva. Reaching then the hills of Goratha, they saw the city of Magadha (Magadhapura) that was always filled with kine and wealth and water and rendered handsome with the innumerable trees standing there.


Bhisma Parva, Mahabharata/Book VI Chapter 10 describes geography and provinces of Bharatavarsha. Sadanira River (सदानीरा) is mentioned in Mahabharata (VI.10.23).[3]....of Dhumatya, and Atikrishna, and Suchi, and Chhavi, and Kaurava, of Sadanira, and Adhrishya, and the mighty stream Kushadhara; (VI.10.23)

सदानीरा नदी

विजयेन्द्र कुमार माथुर[4] ने लेख किया है ...सदानीरा (AS, p.932): प्राचीन कौशल और विदेह राज्य की सीमा पर बहने वाली नदी. शतपथ ब्राह्मण से ज्ञात होता है कि वैदिक काल में बहुत समय तक आर्य जगत की प्राच्यसीमा का निर्देश यह नदी करती रही (शतपथ 9,4). इसके पूर्व में दलदल का प्रदेश था जहां वैदिक कालीन आर्यों की पहुंच बहुत काल तक नहीं हुई. तत्पश्चात माठव विदेह नामक प्रसिद्ध ऐश्वर्यशाली राज्य स्थापित हुआ जिसके राजा रामायण काल में विदेह जनक हुए. इस नदी का अभिज्ञान सामान्यतः गंडकी से किया जाता है जो नेपाल के पहाड़ों से निकलती है और पटना के समीप गंगा में गिरती है किंतु महाभारत सभापर्व 20,27 में गंडकी और सदानीरा को भिन्न माना गया है-'गण्डकींच महाशॊणां सदानीरां तथैव च, एकपर्वतके नद्यः क्रमेणैत्याव्रजन्त ते' इस उल्लेख में यह नदी राप्ती हो सकती है. पार्जिटर के अनुसार सदानीरा राप्ती का ही प्राचीन नाम है, न कि गंडकी का (देखें गंडकी). महाभारत सभा पर्व है 9,4 में भी सदानीरा का उल्लेख है, 'सदानीराम अधृष्यां च कुशधारां महानदीम्'. अमरकोश 1,10,33 में करतोया को सदानीरा का पर्याय कहा है.

सदानीरा नदी परिचय

सदानीरा जिसका उल्लेख प्राचीन साहित्य में अनेक बार आया है, संभवत: गंडकी नदी ही है वैदिक इंडेक्स 2, पृ. 299), किंतु महाभारत, सभापर्व 20, 27में सदानीरा और गंडकी दोनों का एकत्र नामोल्लेख है, जिससे सदानीरा भिन्न नदी होनी चाहिए- 'गंडकीन महाशोणां सदानीरा तथैव थ, एकपर्वते नद्य: कमेर्णत्या व्रजंत ते।'


महाभारत वनपर्व 84, 113 में गंडकी का तीर्थ रूप में वर्णन किया गया है- 'गंडकी तु सभासाद्य सर्वतीर्थ जलोद्भवाम् वाजपेयमवाप्नोति सूर्यलोक च गच्छति।'


पार्जिटर के अनुसार सदानीरा राप्ती है। सदानीरा कोसल और विदेह की सीमा पर बहती थी।

शतपथ ब्राह्मण 1.4.1.14 के अनुसार भी सदानीरा नदी कोसल और विदेह के बीच सीमा बनाती थी। वेबर इसको गण्डकी (बड़ी गंडक) मानते हैं, जो कि ठीक प्रतीत होता है। कुछ लोगों ने इसको करतोया माना है। [5] परंतु करतोया बहुत दूर पूर्व में होने से सदानीरा नहीं हो सकती। [6]

महाभारत 2.794 में गण्डकी और सदानीरा को अलग-अलग माना गया है। किंतु यहाँ शायद गण्डकी का तात्पर्य छोटी गण्डक से है, जो उत्तर प्रदेश के देवरिया ज़िले में बहती है। सदानीरा का एक नाम 'नारायणी' या 'शालाग्रामी' भी है। वर्षा ऋतु में अन्य नदियाँ रजस्वला होने के कारण अपवित्र रहती हैं, किंतु इसका जल सदा पवित्र रहता है। अत: यह 'सदानीरा' कहलाती है। यह पटना के पास गंगा नदी में मिल जाती है।

संदर्भ भारतकोश-सदानीरा नदी

External links

References

  1. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.932
  2. गण्डकीयां तथा शॊणं सदा नीरां तथैव च, एकपर्वतके नद्यः करमेणैत्य वरजन्ति ते (II.18.27)
  3. धूमत्याम अतिकृष्णां च सूचीं छावीं च कौरव, सदानीराम अधृष्यां च कुशधारां महानदीम् (VI.10.23)
  4. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.932
  5. इम्पीरियल गजेटियर ऑफ़ इण्डिया, पृष्ठ 15.24
  6. हिन्दू धर्मकोश |लेखक: डॉ. राजबली पाण्डेय |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 654)