Kalakuta
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Kalakuta (कालकूट) is name of a tribe and country mentioned in Mahabharata and also by Panini in Ashtadhyayi. Kalka town and tahsil in Panchkula district in Haryana is identified with Kalakuta (कालकूट).
Variants of name
- Kalakuta (कालकूट) (AS, p.176)
- Kalakūṭa (कलकूट)
- Kālakūṭa (कालकूट)
- Talakuta (तालकूट) दे. Kalakuta (कालकूट) (AS, p.398)
Mention by Panini
Kalakuta (कलकूट) is mentioned by Panini in Ashtadhyayi. [1]
Kalakuta (कालकूट) is mentioned by Panini in Ashtadhyayi. [2]
Kalakuta (कलकूट), also Kalakita (कालकीट) is mentioned by Panini in Ashtadhyayi under Paladyadi (पलद्यादि) (4.5.110) group.[3]
History
V. S. Agrawala[4] writes that Ashtadhyayi of Panini mentions janapada Kalakūṭa (कलकूट)/(कालकूट) (IV.1.173) - Sabhaparva calls it Kālakūṭa (कालकूट) and makes it a part of Kulinda conquered by Arjuna. Panini's Kuluna seems to be same as Kulinda and later Kuṇinda. Kulinda (Greek: Kulindrini was known to Ptolemy as an extensive country including the region of lofty mountains wherein the Beas, the Satluj, the Yamuna and Ganga had their sources. The Kalakūṭa lay some where in this area, with possible traces of its name in modern Kalka in Simla Hills.
Sandhya Jain[5] writes about Kalakuta (कालकूट) - A mountain (II.23.14) conquered by Arjuna. Mahabharata mentions the inhabitants of Kalakuta as a neighbouring tribe of Kuru land (II.20.26, V.19.30).
Jat clans
Kaler: People who came from the side of Kalakuta (कालकूट) mountain were known as Kaler - Jat Gotra.[6]
Verkhniy Kalakut
Verkhniy Kalakut (also, Verin Kalakut), is an abandoned settlement in the Aragatsotn Province of Armenia.
कालकूट
विजयेन्द्र कुमार माथुर[7] ने लेख किया है ... (AS, p.176) कालकूट - 'कुरुभ्य: प्रस्थितास्ते तु मध्येन कुरुजंगलम् रम्यं पद्यसरो गत्वा कालकूट मतीत्य च। गंडकीं च महाशोणां सदानीरां तदैव च, एकपर्वतके नध्य: क्रमेणैत्या व्रजन्त ते।' महाभारत सभा. 20, 26-27. यह उल्लेख श्रीकृष्ण, अर्जुन और भीम की इंद्रप्रस्थ से (जरासंध के वध के प्रयोजन से की गई) मगध तक की यात्रा के प्रसंग में है. कालकूट का उल्लेख कुरु प्रदेश के पश्चात और बिहार की गंडकी नदी के पूर्व है जिससे इसकी स्थिति उत्तर प्रदेश के दक्षिण-पूर्वी भाग में जान पड़ती है. शायद यह कालिंजर की पहाड़ी का ही नाम है. वैसे अनुशासन पर्व में भी कालिंजरगिरि का उल्लेख है. कालकूट का उद्योग पर्व 29,30 में भी जिक्र है, अहिच्छत्रं कालकूटं गङ्गाकूलं च भारत'।
इस स्थान पर दुर्योधन की सहायता के लिए आई हुई सेनाओं से परिवृत स्थानों में गणना की गई है जिसके अनुसार कालकूट की स्थिति कुरूप्रदेश से अधिक दूर नहीं होनी चाहिए. कुछ विद्वानों के मत में कालकूट वर्तमान हिमाचल प्रदेश में स्थित था इसकी गणना पंजाब या हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी इलाके के सात गणराज्यों (सप्तद्वीप) या संसप्तकगण में थी जिन्हें अर्जुन ने महाभारत के युद्ध में हराया था. किंतु महाभारत के उपर्युक्त (सभापर्व 20, 26-27) उल्लेख से यह अभिज्ञान संदिग्ध जान पड़ता है. आदि पर्व 118- 48 में कालकूट को चैत्ररथ के निकट और [[Gandhamadan|गंधमादन के दक्षिण में बताया गया है- 'स चैत्ररथमासाद्य कालकूट मतीत्यच हिमवंतमतिक्रम्य प्रययौ गंधमादन गंधमादनम्'. गंधमादन, बद्रीनाथ के उत्तर की ओर है. कालकूट का पाठांतर तालकूट भी है.
सभा पर्व 264 में कालकूटों का आनर्त और कुलिंदों के साथ भी उल्लेख है--'आनर्तान् कालकूटांश च कुणिन्दांश च विजित्य सः' (II.23.14)
In Mahabharata
Kalakuta (कालकूट) Mahabharata (II.20.26), (II.23.14), (V.19.30),
Sabha Parva, Mahabharata/Book II Chapter 23 mentions Kalakuta (कालकूट) in Mahabharata (II.23.14). [8]
Udyoga Parva/Mahabharata Book V Chapter 19 mentions Kings and tribes Who joined Yudhishthira for war. Kalakuta (कालकूट) is mentioned in Mahabharata (V.19.30). [9].....And for this reason the land of the five rivers, and the whole of the region called Kuru-jangala, and the forest of Rohitaka which was uniformly wild, and Ahichhatra and Kalakuta, and the banks of the Ganga River, and Varana River, and Vatadhana, and the hill tracts on the border of the Yamuna--the whole of this extensive tract--full of abundant corn and wealth, was entirely overspread with the army of the Kauravas.
External links
References
- ↑ V. S. Agrawala: India as Known to Panini, 1953, p.54, 131
- ↑ V. S. Agrawala: India as Known to Panini, 1953, p.425
- ↑ V. S. Agrawala: India as Known to Panini, 1953, p.510
- ↑ V. S. Agrawala: India as Known to Panini, 1953, p.54
- ↑ Sandhya Jain: Adi Deo Arya Devata - A Panoramic View of Tribal-Hindu Cultural Interface, Rupa & Co, 7/16, Ansari Road Daryaganj, New Delhi, 2004 , 131, s.n. 49.
- ↑ Dr Mahendra Singh Arya, Dharmpal Singh Dudee, Kishan Singh Faujdar & Vijendra Singh Narwar: Ādhunik Jat Itihas (The modern history of Jats), Agra 1998, p. 229
- ↑ Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.176
- ↑ आनर्तान कालकूटांश च कुणिन्थांश च विजित्य सः, सुमण्डलं पापजितं कृतवान अनु सैनिकम (II.23.14)
- ↑ अहिच छत्रं कालकूटं गङ्गाकूलं च भारत, वारणा वाटधानं च यामुनश चैव पर्वतः (V.19.30)