Salher

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(Redirected from Salheri)
Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Map of Nashik district

Salher (सलहेर) is a place located near Waghamba in Satana tehsil in Nashik district of Maharashtra, India. It is the site of the highest fort in the Sahyadri mountains. This was one of the celebrated forts of the Maratha Empire. The money acquired after raiding Surat was brought to this fort first on its way to the Maratha capital forts.

Variants

History

Salher Fort was under Shivaji in 1671. The Mughals attacked the fort in 1672. Almost one lakh soldiers fought in this war.[1] Many soldiers died in this battle but finally Shivaji won the battle of Salher. Of all the face to face battles between the Mughals and Shivaji's troops, the battle of Salher takes first place. Such a big battle was not won before. The bravery and strategy used by the Maratha troops in the battle spread far and wide and increased Shivaji's fame further. After winning Salher, the Marathas also captured Mulher and established their reign over the Baglan region. In the 18th century the Peshwas occupied this fort and later by the British.

The Marathas defeated the Mughals at the Battle of Salher in 1672.

सलहेरि

विजयेन्द्र कुमार माथुर [2] ने लेख किया है ...सलहेरि (AS, p.943): महाराष्ट्र के नासिक ज़िले में स्थित एक ऐतिहासिक स्थान था। सलहेरि के क़िले को छत्रपति शिवाजी के प्रधान सेनापति मोरो पंत ने 1671 ई. में जीत लिया था। सन 1672 में दिल्ली के सेनापति दिलेर ख़ाँ ने सलहेरि को घेर लिया और मराठा तथा मुग़ल सेनाओं में भयंकर युद्ध हुआ। सलहेरि के युद्ध में मुग़ल सेना की बुरी तरह से हार हुई और वह तितर-बितर हो गई। मुग़लों के मुख्य सेनानायकों में से 22 मारे गये और अनेक बंदी हुए। युद्ध में पराजय के कारण बादशाह औरंगज़ेब ने शाहज़ादा मुअज्जम और महावत ख़ाँ के स्थान पर बहादुर ख़ाँ को शिवाजी के विरुद्ध भेजा। बहादुर ख़ाँ को मराठों से लड़ने का साहस ही नहीं होता था, अत: उसने भीमा नदी के तट पर भेड़ गाँव में अपनी छावनी बनाकर बहादुरगढ़ के क़िले का निर्माण करवाया। महाकवि भूषण ने 'शिवराज भूषण' में कई स्थानों पर इस युद्ध का उल्लेख किया है- [p.944]: 'साहितनै सरजा खुमान सलहेरियास किन्ही कुरुखेत खीझि मीर अचलनसी।' छन्द, 96. इसी युद्ध में मुग़लों की ओर से लड़ने वाला अमरसिंह चंदावत भी मारा गया था, जिसका उल्लेख उपर्युक्त छन्द में इस प्रकार है- 'अमर के नाम के बहाने गो अमनपुर, चंदावत लरि सिवराज के बलन सों।'

External links

References