Saugandhika Vana

From Jatland Wiki
Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Saugandhika Vana (सौगन्धिकवन) is a tirtha mentioned in the Mahābhārata (cf. III.82.3)

Variants

Location

  • ग्वारीघाट -रामनगर 11 किलोमीटर
  • रामनगर-भेड़ाघाट 10 किलोमीटर
  • भेड़ाघाट-रामघाट 09 किलोमीटर
  • रामघाट-जलहरी 08 किलोमीटर
  • जलहरी-झाँसीघाट 09 किलोमीटर
  • झाँसीघाट-सर्राघाट 13 किलोमीटर

संदर्भ: सफरनामा–श्री सुरेश पटवा

History

Saugandhikavana (सौगन्धिकवन).—A holy place. It is assumed, that the gods such as Brahmā and others, hermits, Siddhas, Cāraṇas, Gandharvas, Kinnaras, Big Nāgas, and so on dwell in this place. All the sins of a man are washed away, the moment he visits this holy place. (Mahābhārata Vana Parva, Chapter 34, Stanza 4).[1] [2]

In Mahabharata

Saugandhika Vana (सौगन्धिक वन) Mahabharata (III.82.3)

Vana Parva, Mahabharata/Book III Chapter 82 mentions names Pilgrims . Saugandhika Vana (सौगन्धिक वन) is mentioned in Mahabharata (III.82.3).[3]....Then, O monarch, a man should repair to the Saugandhika-vana (सौगन्धिकं वनं) (III.82.3). There dwell the celestials with Brahma at their head, Rishis endued with wealth of asceticism, the Siddhas, the Charanas, the Gandharvas, the Kinnaras and the Nagas. As soon as one entereth these woods, he is cleansed of all his sins.

ईशानध्युषित

ईशानध्युषित (AS, p.85) तीर्थ पंजाब के उत्तरी पर्वतों में स्थित रहा होगा। महाभारत वन पर्व 84, 9 में ईशानध्युषित तीर्थ को सौगंधिक-वन कहा गया है और इसे सरस्वती नदी के उद्गम से 6 शम्यानिपात (प्राय: आधा मील) पर बताया गया है- 'ईशानाध्युषितां नाम तत्र तीर्थ सुदुर्लभम् षट्सुशम्यानिपातेषु वल्मीकादिति निश्चय:'। [4]

सौगंधिक वन

1. सौगंधिक वन (AS, p.996): यह प्राचीन तीर्थ वर्तमान सर्राघाट है जो नर्मदा के तट पर स्थित है. [5]

2. सौगंधिक वन (AS, p.996): महाभारत, वनपर्व के तीर्थ यात्रा प्रसंग में इस स्थान का वर्णन निम्नलिखित है--'सौगन्धिकंवनं राजंस्ततॊगच्छेत् मानवः,तद वनं प्रविशन्न एव सर्वपापैः प्रमुच्यते। ततश्चापिसरिच्छ्रेष्ठा नदीनामुत्तमानदी, प्लक्षाद देवी स्नुता राजन् महापुण्या सरस्वती, तत्राभिषेकं कुर्वीत वल्मीकान निःसृते जले' वनपर्व 84,4,6,7. इस वर्णन से ऐसा प्रतीत होता है कि यह स्थान सरस्वती नदी के उद्गम के निकट स्थित था. सौगंधिक वन से छ: सम्यानिपात पर (प्राय: आधा मील दूर) ईशानध्युषित नामक तीर्थ था. [6]

External links

References

  1. Source: archive.org: Puranic Encyclopedia
  2. https://www.wisdomlib.org/definition/saugandhikavana
  3. सौगन्धिकं वनं राजंस ततॊ गच्छेत मानवः, यत्र ब्रह्मादयॊ देवा ऋषयश च तपॊधनाः (III.82.3)
  4. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.85
  5. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.996
  6. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.996