Shekhawati Ke Gandhi Amar Shahid Karni Ram/Gandhiji Ke Anuyayi
Digitized by Dr Virendra Singh & Wikified by Laxman Burdak, IFS (R) |
पुस्तक: शेखावाटी के गांधी अमरशहीद करणीराम
लेखक: रामेश्वरसिंह, प्रथम संस्करण: 2 अक्टूबर, 19841. गांधीजी के अनुयायी
हरिदेव जोशी
भू. पू. मुख्य मन्त्री, राजस्थान।
यह अत्यन्त ही प्रसन्ता का विषय है कि स्वर्गीय श्री करणीराम जी के जीवन वृत पर एक पुस्तक का प्रकाशन किया जा रहा है।
आज जब मैं उनके बारे में लिखने के लिए बैठा हूँ,उनका चेहरा मेरी आँखों के सामने हो ऐसा लग रहा है। श्री करणीराम जी को मैंने सब से पहले राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के दफ्तर में सन 1950 में देखा था। उसके बाद मेरा उनसे सम्पर्क निरन्तर बना रहा। वे 1952 के विधान सभा के चुनावों के लिए उदयपुरवाटी विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस के उम्मीदवार थे। वैसे पूरा शेखावाटी क्षेत्र और विशेष कर उदयपुर वाटी का क्षेत्र जागीरदारी जुल्मों के लिये विख्यात था। श्री करणीराम द्वारा उस क्षेत्र से उम्मीदवार स्वीकार करना एक चुनौती को स्वीकार करना था वो उनके जैसे जीवट वाले व्यक्ति के ही बूते की बात थी। श्री करणीराम जी इन चुनावों में असफल रहे किन्तु चुनाव हार कर भी उन्होंने उस क्षेत्र के लिये कार्य करना बन्द नहीं किया बल्कि एक प्रकार से उस क्षेत्र को अपना लिया। वहां की समस्याओं को लेकर वे जयपुर आते रहे और उनके समाधान का प्रयत्न करते रहे।
वे शिक्षित किन्तु ठेट देहाती निष्ठावान कार्यकर्ता थे। पिछड़े और दुःखी लोगों की सहायता करना उनके जीवन का व्रत था। उनके विरोधी उनकी बढ़ती हुई गतिविधियों को सहन नहीं कर सके और 13 मई 1952 को उनकी हत्या कर दी गयी। उनके साथ ही श्री रामदेव सिंह भी मारे गये थे। दोनों के दाह संस्कार में मैं सम्मिलित हुआ था।
श्री करणीराम जी गांधी की परम्परा के अनुयायी थे। भय और कार्य से जी चुराने की वृति उनमें कहीं दिखाई नहीं देती थी। वे जब तक जीये निष्ठापूर्वक कार्य करते रहे। जागीरी अत्याचारों का मुकाबला करने के लिये। राजस्थान के अनेक क्षेत्रों में संघर्ष हुए है और संघर्षो में अनेकों को बलिदान देना पड़ा है। मई 1975 में उनकी मूर्ति का अनावरण करते हुए मैंने कहा था, जिसे आज भी दोहरा रहा हूँ कि हमारी आजादी करणीराम जी जैसे शहीदों के बलिदानों पर ही जीवित है।