Shekhawati Ke Gandhi Amar Shahid Karni Ram/Karni Ram Kitane Mahan The
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पुस्तक: शेखावाटी के गांधी अमरशहीद करणीराम
लेखक: रामेश्वरसिंह, प्रथम संस्करण: 2 अक्टूबर, 1984श्री करणीराम जी कितने महान थे, उसका पता उनके एक दिन मेरे से हुई वार्ता से चलता है। श्री करणीराम जी की माता की मृत्यु उनकी बाल्यावस्था में ही हो गई थी और उनका पालन पोषण उनके मामा श्री मोहनराम जी के द्वारा ही किया गया। वे जीवन पर्यन्त अपने मामा श्री मोहनराम जी अजाड़ी के पास ही रहे। वे उनको अपने पुत्रों से भी बढ़कर समझते थे।
उनकी हत्या से पूर्व उदयपुरवाटी के जागीरदार (भौमियां) उनको जान से मारने की धमकी दे चुके थे। इससे उनके मामा मोहनराम जी, अजाड़ी को घबराहट होना स्वाभाविक ही था। एक रोज उनके मामा मोहनराम जी ने मुझ से कहा कि मैं उनको उदयपुरवाटी के आन्दोलनों में हिस्से न लेने व वहां ना जाने के लिए रजामन्द करूं, क्योंकि ऐसा नहीं करने पर निश्चित रूप से उनके जीवन को खतरा है।
मैनें जब यह बात श्री करणीराम जी के समक्ष रखी तो उन्होंने उत्तर दिया कि आपको चाहिए तो यह था कि आप इस सब मामले में मेरा साथ देते। इसके विपरीत आप मुझे भी यह कार्य करने से रोक रहे है। यह उन्होंने कहा कि मुझे निश्चित रूप से जानकारी है कि ऐसा करने से मेरे जीवन को खतरा है। लेकिन मैं वहां पर हो रहे जुल्मों को मूक दर्शक होकर नहीं देख सकता। उन्होंने यह भी कहा कि मेरी तो यह मान्यता है कि अगर जागीरदार मेरी हत्या कर दें तो यह
बात उन गरीब किसानों के हित में होगी।
इसके ठीक 10 दिन के बाद उदयपुरवाटी के जागीरदारों (भौमियां) द्वारा उदयपुरवाटी के ही ग्राम चंवरा में उनकी हत्या कर दी गई।
"यदि स्वदेशाभिमान सीखता है तो सीखो एक मछली से, जो स्वदेश (पानी) के लिए तड़फ-तड़फ कर जान दे देती है। " ---- सुभाषचन्द्र बोस