Shekhawati Ke Gandhi Amar Shahid Karni Ram/Krishak Jagriti Ke Agradut
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पुस्तक: शेखावाटी के गांधी अमरशहीद करणीराम
लेखक: रामेश्वरसिंह, प्रथम संस्करण: 2 अक्टूबर, 1984श्री करणीराम शेखावाटी क्षेत्र में किसान जागृति के अग्रदूत थे उनके जीवन काल में परे क्षेत्र में सामन्ती प्रथा का पूरा बोलबाला था। फसल की लटाई बड़ी शक्ति से होती थी और जागीरदार का हिस्सा आधे से कहीं अधिक वसूल किया जाता था। लटाई में हिस्सा वसूली के अतिरिक्त कई प्रकार की और लागबाग थी और सबसे ऊपर बेट-बेगार का भी जबर्दस्त सिलसिला था। गांव में रहने वाले हर प्रकार के काश्तकारों को कई प्रकार की परेशानियां थी। किसानों का वर्षो से काश्त व कब्जा जमीन पर होने के बावजूद भी जब जागीरदार चाहता तब उनको खेत से निकाल देता था। इस प्रकार किसानों को बेदखल करके किसानों को आपस में लड़ाकर एक-दो को जमीनों की अदला-बदली कर देते है और किसानों से मनचाहा वसूल करते थे। इस प्रकार किसानों का गांव में उनकी जमीनों पर किसी प्रकार का हक़ नहीं था, जागीरदार जब चाहे उनको बेदखल कर देता। गांव में किसानों के घर की जमीन, मवेशी बांधने की जमीन, पशुओं के बेड़ों पर पक्का कब्जा नहीं माना जाता था ;
ऐसे मुश्किल वक्त में किसानों को संगठित करना उनको उनके हकों के प्रति जागरूक करना, खेती को सेटिलमेंट करके उनका हक दिलाना अब बहुत हिम्मत वाले व्यक्तियों का काम था। श्री करणीराम जी ऐसे ही व्यक्तियों में से एक हिम्मत वाले व्यक्ति थे। 1952 में पहली बार भारतीय संविधान के तहत देश में चुनाव भी हुआ। सामंतवादी लोग श्री करणीराम जैसे नेता की कार्यप्रणाली से बहुत दुःखी व चिन्तित रहते थे, इसीलिए उन्होंने सामूहिक रूप से निर्णय लिया कि ऐसे व्यक्तियों की खत्म करने किसान आन्दोलन शान्त हो जाएगा। श्री करणीराम जी गांवो में, ढाणियों में इस प्रकार का दौरा करते हुए किसानों को जागृत कर रहे थे तब 13 मई 1952 को क्षेत्र के जागीरदारों ने सामूहिक रूप हमला किया अपनी गोली का निशाना बनाया। श्री करणीराम जी का 13 मई 1952 को इस प्रकार स्वर्गवास हो गया और वे शहीद हो गये।
सन 1952 में चुनाव के बाद राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनी। श्री टीकाराम जी पालीवाल मुख्य मन्त्री बने और मैंने भी उस समय उनके साथ एक मन्त्री का पद धारण किया। श्री करणीराम जी के स्वर्गवास के बाद श्री सरदार हरलाल सिंह जी व मैंने शेखावाटी के क्षेत्र में और खास तौर से झुंझुनू जिले के कई गांवो में दौरा किया। किसान लोगों की हौसला बुलन्दी के लिये। किसानों में कुछ हिम्मत आई है श्री करणीराम जी जैसे शहीद लोगों की जागृति के फलस्वरूप किसान खेतों के मालिक बन गए, अपने घर, बाड़ों के स्वामी बन गए।
आपने श्री करणीराम जी जैसे शहीदों की कहानी को हमेशा के लिए लोग याद रखे इसलिए उसे पुस्तक के रूप में उसका प्रकाशन का काम हाथ में लिया है मैं इसके लिए आपको हार्दिक बधाई देता हूँ और स्वर्गीय श्री करणीराम जी को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ।