Sandhawalia

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Sandhawalia is a very small Jat clan (or gotra) living in Punjab and Pakistan. In the 1881 Census, it was listed as one of the smallest of the Jat clan.[1][2] Sandhawalia is a small Jat gotra consisting of landowners and landed-farmers.

History

The members of one particular Sandhanwalia family occupied important positions in the Sikh Confederacy. The progenitor of this family was Chanda Singh, who settled at the Sandhanwala village in present-day Pakistan, and consequently, came to be known as Sandhanwalia. His sons migrated to Raja Sansi.[3]

According to some scholars Maharaja Ranjit Singh, the Sikh ruler of Punjab belonged to the s Jat gotra as the Sandhanwalias.[4][5]

Maharaja Ranjit Singh, the Jat Sikh ruler of Punjab, and his family asserted lineage from this Jat clan.[6][7][8] The Sandhawalia Jatt clan was inconspicuous before Ranjit Singh's assertion.[9]

Distribution

The Sandhawalia clan's population was 682, in Amritsar district, during the 1911 British Punjab Census[10] and esimated to have grown to 2,046 within Amritsar district in 1994.[11]

महाराजा रणजीतसिंह

ठाकुर देशराज [12] ने लिखा है ... महाराजा रणजीतसिंह - यह शशि खानदान के सिख जाट थे। सन 1830 ई. तक सारे पंजाब पर इन्होंने कब्जा कर लिया था। इन्हें पंजाब केसरी के नाम से याद किया जाता है। वास्तव में यह भारत के नेपोलियन थे। यदि भारत में अंग्रेज़ नहीं आए होते तो सारे भारत और अफगानिस्तान पर इनकी विजय पताका लहराई होती।

सन 1835 ई. में फ्रांस के बादशाह की ओर से तौहफ़े आए थे। इसी वर्ष जर्मनी से हांगवर्गर, अमेरिका से हारेंस, नेपाल से राजदूत किशनचंद और तिब्बत नरेश के


[पृ.167]: लघु भ्राता भीमकाल महाराज से मुलाकात करने के लिए आए थे। इससे उनके प्रताप का परिचय सहज ही मिल जाता है। उनके यहां की प्रसिद्ध वस्तुओं में कोहिनूर हीरा, लीली घोड़ी और जमजमा तोप सबसे बेशकीमती थे। कहा जाता है कि इरान का बादशाह घोड़ी के पहले मालिक यार मोहम्मद को 50 हजार नगद और 25 हजार की जागीर देना चाहता था। इनके अलावा |औरंगजेब और अहमद शाह बादशाहों के सिरपेंचों के हीरे भी उनके यहां थे।

उनके राज्य का भूमि कर (केवल छोटांश और दशांश से वसूल किया हुआ) जागीरों समेत ढाई करोड़ से ऊपर था। इसके अलावा 44 लाख प्रति वर्ष नमक करसे और एक करोड़ शालों के ठेके से आमदनी होती थी। सिक्का उनका अपना चलता था जिस पर 'तलवार का आदर' लिखा रहता था।

उनकी राजसभा का नाम गुरुमता यह उनका मंत्रिमंडल था। महाराज के पास जागीरदारों समेत 82 हजार से ऊपर सेना थी।

महाराज रणजीत सिंह नमूने के योद्धा विजेता और शासक थे। यह उन्हीं का बल था कि लगभग 800 वर्ष से चली आई पंजाब की मुसलमान सल्तनत को जड़ से उखाड़ कर फेंक दिया। और जिन पठानों का भारत पर लगातार विजय पाने से सिर आसमान पर चढ़ गया था, उन्हीं पठानों से भेंट, खिराज और नजराने लिए तथा उन्हीं की आबादी डेरागाजीखां, जमरूद,


[पृ.168]: और यूसुफजई में उन्हें परास्त करके अपनी हुकुमत कायम की। कश्मीर, कंधार, पेशावर और सतलज के बीच का कुल उनके राज्य में शामिल था। वास्तव में वे अपने समय के सर्वोच्च मुल्क शासक और यौद्धा थे।

Notable persons

Further Reading

  • Noblemen and Kinsmen History of a Sikh Family: History of a Sikh Family, By Preminder Singh Sandhawalia (Author), (Munshiram Manoharlal Publishers. Date:1999, ISBN 8121509149).[13][14]

See also

External links

Gallery

References

  1. History of the Jatt Clans - H.S Duleh (Translation from original Punjabi work "Jattan da Itihas" by Gurjant Singh).
  2. 1911 census of British Punjab - Major General Barstow
  3. Hari Ram Gupta (2001). History of the Sikhs: The Sikh commonwealth or Rise and fall of Sikh misls. Munshiram Manoharlal Publishers. ISBN 978-81-215-0165-1.
  4. W. H. McLeod (2009). The A to Z of Sikhism. Scarecrow. p. 172. ISBN 978-0-8108-6344-6.
  5. Preminder Singh Sandhawalia (1999). Noblemen and Kinsmen History of a Sikh Family: History of a Sikh Family. Munshiram Manoharlal Publishers. ISBN 8121509149.
  6. Noblemen and Kinsmen History of a Sikh Family: History of a Sikh Family, Author = Preminder Singh Sandhawalia, Year = 1999, Publisher = Munshiram Manoharlal, ISBN 8121509149
  7. History of the Jatt Clans - H.S Duleh (Translation from original Punjabi work "Jattan da Itihas" by Gurjant Singh).
  8. lahore
  9. Noblemen and Kinsmen History of a Sikh Family: History of a Sikh Family, Author = Preminder Singh Sandhawalia, Year = 1999, Publisher = Munshiram Manoharlal, ISBN 8121509149
  10. 1911 census of British Punjab - Major General Barstow
  11. History and study of the Jats, Author = Professor B.S. Dhillon, Year = 1994 Publisher = Beta Publishers, ISBN 1895603021
  12. Thakur Deshraj: Jat Itihas (Utpatti Aur Gaurav Khand)/Parishisht,p.166-166
  13. [1]
  14. [2]

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