Subhash Chandra Moond
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Subhash Chandra Moond (Naib Subedar) (01.12.1965 - 03.10.2007) , Shaurya Chakra (Posthumous), From Bhainrupura, Laxmangarh, Sikar, Rajasthan. He was NSG Commando in Unit 10 Para (SF). He became martyr on 3.10.2007 in J&K counter-insurgency operations at Bandipora in Jammu and Kashmir.
Introduction
Naib Subedar Subhash Chandra hailed from Bhairupura village in Sikar district of Rajasthan and was born on 1st Dec 1965. Son of Shri Laxman Singh and Smt Sundar Devi, Nb Sub Subhash completed his school education from Shri Raghunath Vidyalaya in Laxmangarh. After completing his schooling, he joined the army in 1986 at the age of 21-years. He was recruited into 10 Para of the Parachute Regiment, an elite Infantry regiment known for its daredevil operations.
After serving for a few years, he married Ms.Vimala Devi and the couple had two sons Surendrapal & Vijendra Singh and a daughter Sumitra. As part of the 10 Para (SF) battalion, he took part in various operations and proved his mettle as a soldier. During his service, he participated in Sri Lankan operations during Op Pawan and also in Kargil War as part of Op Vijay. By the year-2007, he had been promoted to the rank of Naib Subedar and had completed over 20-years of service in the army. Nb Sub Subhash Chandra had by then developed into a tough soldier and professionally competent Junior Commissioned officer.
Bandipora Operation: 3rd Oct 2007
During 2007, Nb Sub Subhash Chandra’s unit was deployed in J&K for counter-insurgency operations. 10 Para (SF) Bn troops were involved in operations against the militants on a regular basis either independently or as part of joint operations. During his stint with the unit, Nb Sub Subhash Chandra as a JCO was involved in a number of operations that demanded a great amount of courage and professional skill. Nb Sub Subhash Chandra was part of one more such operation on 3rd Oct 2007. The security forces had received information from the intelligence sources about the presence of some hardcore militants including the district commander of the militant outfit Lashkar-a-Taiba in Bandipora district. Based on the analysis of the received inputs, a decision was taken to launch a search and destroy operation on 3rd Oct 2007. Nb Sub Subhash Chandra was made part of the team that was assigned the task of undertaking this operation.
Nb Sub Subhash Chandra and his comrades reached the suspected area in Bandipora as planned and launched a search and cordon operation. Shortly the troops made contact with the dreaded militants who opened fire on being challenged, resulting in a fierce gun battle. Nb Sub Subhash Chandra led from the front and engaged the militants displaying gallantry of a very high order. The troops managed to eliminate two militants including the district commander of the outfit. However, during the heavy exchange of fire, Nb Sub Subhash Chandra received multiple gunshots and was seriously injured. He later succumbed to his injuries and was martyred. He was given the gallantry award “Shaurya Chakra” for his extraordinary courage, fighting spirit, devotion to duty and supreme sacrifice.
Nb Sub Subhash Chandra is survived by his wife Smt Vimala Devi, sons Shri Surendrapal & Shri Vijendra Singh and a daughter Smt Sumitra.
Honours and awards
In addition to Shaurya Chakra he also got following awards during his service in the Indian Army:
- Videsh Seva Medal (Sri Lanka)
- Special Service Medal (Sri Lanka),
- 9 years long service medal,
- 50 indep. anniversary medal,
- op Viay Star & Medal,
- Clasp Suraksha to spl Service Medal,
- Op. Rakshak Sanya Seva Medal WC (J&K),
- 20 years long service medal
शहीद सुभाषचंद्र मूंड की जीवनी
नायब सूबेदार सुभाष चंद्र मूंड
JC413097H
01-12-1965 - 03-10- 2007
शौर्य चक्र (मरणोपरांत)
वीरांगना - श्रीमती विमला देवी
यूनिट - 10 पैराशूट रेजिमेंट (DESERT SCORPION)
आतंकवाद विरोधी अभियान 2007
नायब सूबेदार सुभाष चंद्र का जन्म 1 दिसंबर 1965 को राजस्थान के सीकर जिले की लक्ष्मणगढ़ तहसील के भैरूंपुरा गांव में श्री लक्ष्मण सिंह मूंड एवं श्रीमती सुंदर देवी के परिवार में हुआ था। इनके पिता लक्ष्मण सिंह भी भारतीय सेना की 9 जाट बटालियन से हवलदार के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात अपने पिता की सैन्य सेवा की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए 4 मार्च 1986 को सुभाष चंद्र भारतीय सेना की पैराशूट रेजिमेंट में रंगरूट के रूप में भर्ती हुए थे।
प्रशिक्षण के पश्चात उन्हें 10 पैरा बटालियन में पैराट्रूपर के पद पर नियुक्त किया गया था। उन्होंने ऑपरेशन पवन श्रीलंका, ऑपरेशन विजय (कारगिल युद्ध) व आतंकवाद विरोधी अभियानों में भाग लिया था। उन्होंने 4 वर्ष NSG (National Security Guard) और 2 वर्ष SPG (Special Protection Group) में भी अपनी सेवाएं प्रदान की थी। अपनी बटालियन में विभिन्न स्थानों और परिचालन परिस्थितियों में सेवाएं देते हुए वह नायब सूबेदार के पद पर पदोन्नत हो चुके थे। वर्ष 2007 में वह आतंकवाद विरोधी अभियानों में जम्मू-कश्मीर में तैनात थे।
3 अक्टूबर 2007 को गोपनीय सूत्रों से उनकी बटालियन को बांदीपोरा जिले के गामरू गाँव में लश्कर के 2 आंतकवादियों के छिपे होने की विश्वसनीय सूचना प्राप्त हुई। नायब सूबेदार सुभाष की टुकड़ी ने उस संदिग्ध घर को घेर लिया। जैसे ही, आतंकवादियों को भान हुआ कि उन्हें घेर लिया गया है, तो वे घेरा तोड़कर भागने के प्रयास में अंधाधुंध गोलीबारी के साथ दौड़ते हुए उस घर से बाहर आए। अपनी जीवन सुरक्षा पर रंच मात्र भी ध्यान नहीं देते हुए नायब सूबेदार सुभाष चंद्र ने त्वरित प्रत्युत्तर की कार्रवाई में गोलियां चलाकर 'लश्कर-ए-तैयबा' के 'डिविजनल कमांडर' मूसा उर्फ अबू वफा और लश्कर के 'चीफ ऑपरेशनल कमांडर' कासिम भट्टी को मार गिराया।
आतंकवादी मूसा को गाजी बाबा से दुर्दांत माना जाता था। उसने गत एक वर्ष में राजधानी श्रीनगर में पुलिस और नागरिक ठिकानों पर अधिकांश आक्रमण किए थे। बांदीपोरा, गांदरबल और श्रीनगर जिलों में हथगोले फेंक कर आक्रमण करने और आईईडी विस्फोटों में उसकी मुख्य भूमिका होती थी। दूसरा आतंकवादी कासिम लश्कर के पाकिस्तानी हैंडलर जकी उर रहमान का पुत्र था।
इस भयानक मुठभेड़ में नायब सूबेदार सुभाष चंद्र को अनेक गोलियां लगने से वह वीरगति को प्राप्त हो गए। नायब सूबेदार सुभाष चंद्र को उनके असाधारण साहस, असीम वीरता एवं लश्कर के महत्वपूर्ण, सर्वोच्च एवं अति वांछित दो कमांडरों को मारने में सर्वोच्च बलिदान के लिए मरणोपरांत शौर्य चक्र सम्मान से सम्मानित किया गया।
आभार
शहीद और उनके परिवार की तस्वीरें तथा जानकारियाँ श्री रमेश दधीच द्वारा ईमेल (Ramesh Dadhich<dadhichramesh77@gmail.com>) से उपलब्ध कराई गई हैं.
Gallery
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शहीद सुभाषचंद्र मूंड
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शहीद सुभाषचंद्र मूंड की मूर्ति
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शहीद सुभाषचंद्र मूंड की प्रतिमा के साथ वीरांगना श्रीमती विमला देवी
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राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल से शौर्य चक्र सम्मान ग्रहण करती वीरांगना श्रीमती विमला देवी...
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शहीद सुभाषचंद्र मूंड
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पैरा सेंंटर जोधपुर में स्थापित प्रतिमा
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रक्षाबंधन पर प्रतिमा को राखी बांधते हुए बहन.
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रक्षाबंधन पर प्रतिमा को राखी बांधते हुए बहन.
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शहीद सुभाषचंद्र मूंड का विवरण
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शहीद सुभाषचंद्र मूंड का स्मारक
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शहीद सुभाषचंद्र मूंड
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शहीद सुभाषचंद्र मूंड
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शहीद सुभाषचंद्र मूंड के पुत्र विजेन्द्र सिंह
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शहीद सुभाष चन्द्र राजकीय माध्यमिक विद्यालय, भैरूंपुरा
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शहीद सुभाष चन्द्र राजकीय माध्यमिक विद्यालय, भैरूंपुरा
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शहीद पुत्री श्रीमती सुमित्रा देवी जाखड़
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शहीद के बड़े भाई रिटायर्ड नायब सूबेदार हरदयाल सिंह मूंड 7 पैराशूट रेजिमेंट
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शहीद सुभाषचंद्र मूंड का स्मारक भैरूंपुरा
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शहीद सुभाषचंद्र मूंड के स्मारक भैरूंपुरा पर शहीद के परिजन
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शहीद सुभाषचंद्र मूंड के बड़े पुत्र सुरेन्द्र मूंड
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सुभाष चंद्र की प्रतिमा को भात नूतने के लिए आई बहन बनारसी देवी
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सुभाष चंद्र की प्रतिमा को भात नूतने के लिए आई बहन बनारसी देवी
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शहीद सुभाषचंद्र मूंड
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External links
References
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