Sunil Kumar Choudhary

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Sunil Kumar Choudhary (Dogra)

Sunil Kumar Choudhary (Dogra) (Captain) (22.06.1980 - 27.01.2008) became martyr of militancy on 27.01.2008. He was from Gobindsar village in Kathua district of Jammu and Kashmir. He was awarded Kirti Chakra, Sena Medal (posthumous) for his act of bravery. Unit: 7/11 Gorkha Rifles

कैप्टन सुनील कुमार चौधरी

कैप्टन सुनील कुमार चौधरी

IC64615M

22-06-1980 - 27-01-2008

कीर्ति चक्र, सेना मेडल (मरणोपरांत)

यूनिट - 7/11 गोरखा राइफल्स

उल्फा उग्रवाद विरोधी ऑपरेशन

कैप्टन सुनील कुमार का जन्म 22 जून 1980 को जम्मू-कश्मीर के जम्मू जिले में कठुआ कस्बे के निकट गोविंदसर गांव के एक सैन्य परिवार में लेफ्टिनेंट कर्नल पी.एल. चौधरी एवं श्रीमती सत्या चौधरी के परिवार में हुआ था। वह कठुआ जिले के शहीद जोगिंदर नगर के निवासी थे और अपने तीन भ्राताओं में सबसे अग्रज थे। अपने पिता की सैन्य सेवा के कारण उनकी विद्यालय शिक्षा देश के भिन्न-भिन्न केंद्रीय विद्यालयों में हुई थी। इसके पश्चात उन्होंने गरवारे कॉलेज ऑफ कॉमर्स, पुणे से स्नातक किया और गढ़वाल विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर पूर्ण किया था।

अपने छात्र जीवन में वह फुटबॉल, मुक्केबाजी और तैराकी में उत्कृष्ट थे। उन्होंने तैराकी (फ्री स्टाइल और बैक स्ट्रॉक) और डाइविंग में जूनियर राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में भाग लिया था। पुणे विश्वविद्यालय से MBA (मार्केटिंग) करते समय सुनील कुमार प्रायः NDA में प्रशिक्षण ले रहे अपने कनिष्ठ भ्राता अंकुर से मिलने जाते थे। NDA परिसर में कैप्टन मनोज कुमार पांडेय (परमवीर चक्र) की एक प्रतिमा स्थापित थी। सुनील कुमार कैप्टन मनोज कुमार पांडे की प्रेरक कहानी से अति प्रभावित हुए। अतः उन्होंने अपना MBA कोर्स पूर्ण करने से पूर्व ही सैन्य सेवा का निर्णय किया। उन्होंने CDS परीक्षा उत्तीर्ण की और 01 जुलाई 2003 को उन्होंने भारतीय सैन्य अकादमी (IMA), देहरादून में प्रवेश लिया था।

10 दिसंबर 2004 को अपना प्रशिक्षण पूर्ण कर वह IMA से पास आउट हुए। उन्हें 11 गोरखा राइफल्स रेजिमेंट की 7 बटालियन में कमीशन दिया गया था। वह कलकत्ता के फोर्ट विलियम में अपनी बटालियन में सम्मिलित हुए थे। मई 2006 में उन्हें उल्फा उग्रवाद विरोधी अभियानों में असम में नियुक्त किया गया। उनकी निडर और प्रचंड कार्रवाइयों ने उस क्षेत्र में उल्फा संगठन को अत्यधिक क्षति पहुंचाई। उन्होंने उल्फा के दो शीर्ष कमांडरों को मार गिराया। इसलिए उस क्षेत्र में वह उल्फा की हिट लिस्ट में थे और उल्फा द्वारा उन पर दो समय आक्रमण के असफल प्रयास किए गए।

असम के तिनसुकिया जिले के नाओपाथेर गांव में उल्फा उग्रवादियों के विरुद्ध एक ऑपरेशन में उनके उत्कृष्ट वीरता प्रदर्शन के लिए 26 जनवरी 2008 को, गणतंत्र दिवस के अवसर पर कैप्टन सुनील कुमार के लिए "सेना मेडल" घोषित किया गया था। अगले दिन, उन्हें 19 पंजाब के लेफ्टिनेंट वरुण राठौड़ के साथ अपने वीरता सम्मान के लिए दिनजान में, अपने कमांडिंग ऑफिसर (कर्नल परमीत सक्सेना) के घर पर आयोजित LUNCH PARTY में जाना था।

27 जनवरी 2008 को, पार्टी में जाते समय मार्ग में ही, उन्हें गोपनीय सूत्रों से रंगगढ़ गांव के हंखाटी में मेचाकी वन क्षेत्र में जघन्य गतिविधियों में लिप्त कट्टर उल्फा उग्रवादी जुंद भुइयां सहित 7 से 9 उल्फा उग्रवादियों के छिपे होने की विश्वसनीय प्राप्त हुई। सूचना के आधार पर कैप्टन सुनील कुमार को वहां एक ऑपरेशन चलाने का कार्य सौंपा गया।

कैप्टन सुनील, लेफ्टिनेंट वरुण राठौड़ और पांच सैनिकों के साथ त्वरित ऑपरेशन के लिए निकल पड़े और दिन के लगभग 12:40 बजे रंगगढ़ गांव पहुंचे। उन्होंने लेफ्टिनेंट वरुण राठौड़ और तीन सैनिकों को गांव के दांई ओर के क्षेत्र की घेराबंदी करने के लिए भेजा। जब यह घेराबंदी की जा रही थी, उसी समय आकस्मिक एक घर के भीतर छिपे उग्रवादियों ने अंधाधुंध गोलियां चलानी आरंभ कर दी और घेरा तोड़कर भागने के प्रयास में निकट के जंगल की ओर दौड़ पड़े। कैप्टन सुनील कुमार त्वरित सक्रिय हुए और उनका पीछा करते हुए उनमें से एक उग्रवादी को मार गिराया।

भागते हुए उग्रवादियों द्वारा की जा रही भयानक गोलीवर्षा में भी कैप्टन सुनील कुमार ने वास्तविक सैन्य अधिनायक की भांति आगे हो कर उग्रवादियों का पीछा किया। आगामी गोलीवर्षा में, कैप्टन सुनील कुमार को छाती में बाईं ओर एक गोली लगी। अपने प्राणघातक घाव पर ध्यान नहीं देते हुए उन्होंने द्वितीय उग्रवादी को भी गोली मारकर घायल कर दिया। गंभीर रूप से घायल और अत्यधिक रक्त बहते हुए भी, असाधारण साहस और दृढ़ता प्रदर्शित करते हुए उन्होंने जंगल में भाग रहे तृतीय उग्रवादी का भी पीछा किया।

कैप्टन सुनील ने उग्रवादी को पछाड़ दिया और उसके भागने का मार्ग बाधित कर दिया। आकस्मिक वह एक और उग्रवादी के समक्ष आ गए और इसके पश्चात अति निकट से भीषण गोलीवर्षा हुई। अपनी गंभीर स्थिति के होते हुए भी कैप्टन सुनील कुमार ने अपने अंतिम उत्कृष्ट अलौकिक प्रयास में, उस उग्रवादी को गोली चलाकर ढेर कर दिया। उन्हें रोरोइया में वायु सेना चिकित्सालय ले जाया गया किंतु मार्ग में ही वह वीरगति को प्राप्त हुए।

प्राप्त सूचना के अनुसार, लगभग एक घंटे तक चली इस भीषण मुठभेड़ में जुंद भुइयां तो भाग गया किंतु, भुइयां के निकट सहयोगी चंदन दोहोटिया उर्फ गेटली और टूटू मोरन इस मुठभेड़ में मारे गए। सेना को इस मुठभेड़ स्थल से एक एके-47 राइफल, 100 राउंड गोलियां, पांच किलो वजन के IED विस्फोटक उपकरण और प्रयोग के लिए तैयार दो मैगजीन मिली थी।

कैप्टन सुनील कुमार का आगामी माह में विवाह होना था। उनके घर पर परिजन उनके लिए सेना मेडल घोषित होने पर उत्सव मना रहे थे। सेना मेडल घोषित होने के 24 घंटों के पश्चात ही कैप्टन सुनील कुमार बलिदान हो गए।

कैप्टन सुनील कुमार को उनके उत्कृष्ट साहस, अडिग भावना, कर्तव्य के प्रति समर्पण एवं सर्वोच्च बलिदान के लिए मरणोपरांत "कीर्ति चक्र" सम्मान दिया गया।

शहीद को सम्मान

बाहरी कड़ियाँ

गैलरी

स्रोत

संदर्भ



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