Suvela
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Suvela (सुवेल) is mountain on the banks of the southern sea. Rāma and Lakṣmaṇa, before entering Laṅkā with the Vanara, had surveyed the city from the top of this mountain. (Vālmīki Rāmāyaṇa, Yuddha Kāṇḍa Chapters 38 and 39).
Origin
Variants
- Suvela Parvata सुवेल पर्वत (AS, p.981)
History
Source: archive.org: Puranic Encyclopedia
Suvela (सुवेल).—A mountain on the banks of the southern sea. Rāma and Lakṣmaṇa, before entering Laṅkā with the monkey-force, had surveyed the city from the top of this mountain. (Vālmīki Rāmāyaṇa, Yuddha Kāṇḍa Chapters 38 and 39).
Source: Cologne Digital Sanskrit Dictionaries: The Purana Index
Suvela (सुवेल).—Mt. a hill near Kailāsa.
Reference - https://www.wisdomlib.org/definition/suvela
सुवेल
विजयेन्द्र कुमार माथुर[1] ने लेख किया है ...सुवेल पर्वत (AS, p.981): लंका में समुद्र तट पर स्थित एक पर्वत जहां सेना सहित समुद्र-पार करने के उपरांत श्रीराम कुछ समय के लिए शिविर बनाकर ठहरे थे--'ततस्तम क्षोभ्यबलम् लङ्काधिपत्तए चराः, सुवेले राघवं शैले निविष्टं प्रत्यवेदयन्'. वाल्मीकि रामायण युद्धकांड 31,1 अर्थात तब रावण को उसके दूतों ने विशाल सेना से संपन्न राम के सुवेल पर्वत पर आगमन की सूचना दी. अध्यात्म रामायण 4,8 के अनुसार 'तेनैवजग्मु: कपयो योजनानां शतंद्रुतम्, असंख्याता: सुवेलान्द्रिं रुरुधु: प्लवगोत्तमा:' अर्थात उसी पुल पर से वानर सेना सौ योजन समुद्र पार चली गई और फिर असंख्य वानर वीरों ने सुवेल पर्वत को घेर लिया. तुलसीदास ने भी (रामचरितमानस, लंका, दोहा 10 के आगे) सुवेल पर्वत का इसी प्रसंग में इस प्रकार वर्णन किया है, 'यहां सुवेल शैल रघुवीरा, उतरे सेन सहित अति भीरा'.
सुवेल पर्वत बौद्ध साहित्य में वर्णित सुमनकूट और वर्तमान ऐडम्स पीक नामक पर्वत हो सकता है. इस पर्वत पर दो चरण चिन्ह बने हैं जो प्राचीन काल में भगवान राम के पैरों के निशान समझे जाते थे. महाभारत वन पर्व में इसी पर्वत को शायद रामक पर्वत या राम पर्वत कहा गया है.
रामपर्वत
राम पर्वत (AS, p.790) का उल्लेख महाभारत, सभापर्व में हुआ है- 'कृत्सनं कोलगिरि चैव सुरभीपत्तनं तथा, द्वीपं ताभ्राह्वयं चैव पर्वतं रामकं तथा।' महाभारत, सभापर्व 31, 68. इस स्थान को पाण्डव सहदेव ने दक्षिण की दिग्विजय यात्रा में विजित किया था। महाभारत के उपरोक्त प्रसंग से यह स्थान रामेश्वरम् की पहाड़ी [p.791]: जान पड़ता है। इसका अभिज्ञान लंका में स्थित बौद्ध तीर्थ 'सुमनकूट' या 'आदम की चोटी' (Adam's Peak) से भी किया जा सकता है। प्राचीन किंवदंती के अनुसार इस पहाड़ी पर जो चरणचिन्ह बने हैं, वे भगवान राम के हैं। वे समुद्र पार करने के पश्चात् लंका में इसी पहाड़ी के पास पहुचे थे और उनके पावन चरण चिन्ह इस पहाड़ी की भूमि पर अंकित हो गये थे। बाद में बौद्धों ने इन्हें महात्मा बुद्ध के और ईसाईयों ने आदम के चरणचिन्ह मान लिया।[2]
रामक
रामक (AS, p.787): रामक नामक एक पर्वत का उल्लेख महाभारत, सभापर्व 31, 68 में हुआ है- 'कृत्स्नं कोलगिरिं चैव सुरभीपत्तनं तथा, द्वीपं ताम्राह्वयं चैव पर्वतं रामकं तथा'। यह शायद रामेश्वरम् की पहाड़ी है। यह स्थान लंका में स्थित 'एडम्स पीक' (Adam's Peak) भी हो सकता है। इसे बौद्धों ने 'सुमनकूट' नाम दिया था। (दे. रामपर्वत) [3]
सुमनकूट
सुमनकूट (AS, p.975): सिंहल के प्राचीन इतिहास ग्रंथ महावंश 1,33 में उल्लिखित है. यह लंका में स्थित श्रीपाद या आदम की चोटी (Adam's Peak) का नाम है. महावंश के वर्णन के अनुसार गौतम बुध जंबूद्वीप से सिंहल आते समय इस चोटी [p.976]: पर उतरे थे. यह कथा काल्पनिक है. यहां दो चरण चिन्ह अवस्थित हैं जिन्हें बौद्ध बुद्ध के पांव के निशान मानते हैं और इसाई आदम के. प्राचीन समय में इन्हें भगवान राम के चरण चिन्ह माना जाता था. यह पर्वत वाल्मीकि रामायण का सुवेल हो सकता है. महाभारत सभा पर्व 31,68 में इसे शायद रामक या राम पर्वत कहा गया है.