Tejbans Singh Chehal

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Captain Tejbans Singh Chehal

Tejbans Singh Chehal (Captain ) as Observation Post Officer of the special task force on 07 May 1989 in Siachen displayed conspicuous courage and undaunted bravery in the face of enemy. Awarded Vir Chakra. [1] He is from Bathinda, Punjab. Unit: 175 Field Regiment.

कैप्टन तेजबंस सिंह चहल

कैप्टन तेजबंस सिंह चहल

वीर चक्र

यूनिट - 175 फील्ड रेजिमेंट

ऑपरेशन आइबेक्स

कैप्टन तेजबंस सिंह चहल का जन्म 30 जून 1959 को हुआ था। वह पंजाब के बठिंडा नगर के निवासी थे तथा भारतीय सेना की आर्टिलरी रेजिमेंट ARM की 175 फील्ड रेजिमेंट में सेवारत थे।

11 अप्रैल 1989 को सियाचिन के चुमिक-ग्योंग्ला ग्लेशियर क्षेत्र में, ऑपरेशन आइबेक्स आरंभ किया गया था। इस ऑपरेशन का उद्देश्य महत्वपूर्ण AREA POINT (बंप) पर अधिकार करना था। संचालन का क्षेत्र 15,000 और 22,000 फीट के मध्य की ऊंचाई पर था। वहां तापमान अति अल्प था, कभी-कभी शून्य से 30 डिग्री सेल्सियस नीचे भी चला जाता था व वायु की गति 80 किलोमीटर प्रति घंटा तक पहुंच जा रही थी।

19 अप्रैल 1989 को, चुमिक-ग्योंगला ग्लेशियर क्षेत्र में, तीव्रता से विकसित होती स्थिति के परिणामस्वरूप, विशेष कार्य बल के भाग के रूप में तोपखाने के एक OBSERVATION POST अधिकारी को पदासीन करना अनिवार्य हो गया था। एक उपयुक्त रूप से अभ्यस्त अनुभवी अधिकारी उस समय की आवश्यकता थी। कैप्टन तेजबंस सिंह चहल इसके लिए एक आदर्श विकल्प थे।

21 अप्रैल से 7 मई 1989 की अवधि में, कैप्टन चहल ने कोई सहायता नहीं लेते हुए अपनी OBSERVATION POST को संभाला। उन्होंने शत्रु की स्थितियों को खोजा, पहचाना और संधान किया। 21 अप्रैल 1989 को, उन्होंने चुमिक और मूसा पर शत्रु शिविरों के विरुद्ध विशेष रूप से प्रभावी गोलीबारी की, जिससे शत्रु को गंभीर क्षति हुई। रेडियो संदेशों के अवरोधन से ज्ञात हुआ कि शत्रु को अति भारी जनहानि हुई थी।

30 अप्रैल 1989 की रात्रि को जब शत्रु ने 'बंप' पर आक्रमण आरंभ किया, तो कैप्टन चहल ने संपूर्ण रात्रि अपनी OBSERVATION POST की कमान संभाली, उन्होंने दोनों पहुंच मार्गों पर समय से और प्रभावी संकेंद्रण करते हुए, शत्रु के आक्रमण को परास्त करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

7 मई 1989 को, दिन के लगभग 10 बजकर 20 मिनट पर शत्रु ने, वायु में फटने वाला सटीक गोला बारूद दागा। इस गोलाबारी में, कैप्टन चहल की जांघ में छर्रे लगे, जिससे उनकी जांघ की हड्डी (FEMUR) चकनाचूर हो गई। वह गंभीर रूप से घायल हो गए, घाव से उनका अत्यधिक रक्त बह गया और उन्हें मानसिक आघात लगा।

अपने गंभीर घाव और असहनीय पीड़ा के उपरांत, वह अपने रेडियो सेट का संचालन करते हुए तोपखाने के फायर को निर्देशित करते रहे, उन्होंने शत्रु को यह भान नहीं होने दिया कि भारत की ओर OBSERVATION POST अधिकारी घायल हो गया है। अंत में उन्हें वहां से निकाल कर चिकित्सा के लिए भेजा गया।

इस ऑपरेशन में, कैप्टन तेजबंस सिंह चहल ने शत्रु के समक्ष विशिष्ट साहस और वीरता का परिचय दिया। 26 जनवरी 1991 को, गणतंत्र दिवस के अवसर पर उन्हें वीर चक्र से सम्मानित किया गया।

Source

External links

References

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