Tigri Mawana
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Tigri (तिगरी) is a village in Mawana tahsil in Meerut district of Uttar Pradesh.
Contents
Jat Gotras
Location
The village lies on Mawana bypass about 7 Km before Bahsooma (End of bypass)
Population
The Tigri village has a population of 2397, of which 1337 are males while 1060 are females (as per Population Census 2011).[1]
History
तुषार-तिवाणा
दलीप सिंह अहलावत[2] के अनुसार गजनी पर मुसलमानों का अधिकार हो जाने से जो लल्ल गठवाले वहां रह गये वे मुसलमान बन गये और शेष गजनी छोड़कर सरगोधा व भटिण्डा होते हुए हांसी (जि० हिसार) पहुंच गये और वहां पर हांसी के आस-पास अपना पंचायती राज्य स्थापित करके रहने लगे (हरिराम भाट की पोथी)।
जाटों का उत्कर्ष पृ० 332-333 पर योगेन्द्रपाल शास्त्री ने लिखा है कि -
- “ऋषिक-तुषारों का दल जब जेहलम और चनाब के द्वाबे में आकर बसा तो इधर तुषार भाषा भेद से त्रिशर और शर के शब्दार्थ वाण होने से ये लोग तिवाण और तिवाणा कहलाने लगे। बौद्ध-धर्म के पतनकाल में भी बाद तक ये बौद्ध ही रहे और इस्लाम आने पर संघ रूप से मुसलमान बन गये। तुषारों का एक दल उपरोक्त द्वाबे के शाहपुर आदि स्थानों पर न बसकर सीधा इन्द्रप्रस्थ की ओर आ गया यहां इन्होंने विजय करके एक गांव बसाया जो आज विजवासन नाम से प्रसिद्ध है। यह हुमायूँनामे में लिखित है। यहां आज भी तुषार जाट बसे हैं। ये लोग यहीं से मेरठ में मवाना के समीप मारगपुर, तिगरी, खालतपुर, पिलौना और बिजनौर के छितावर गांवों में जाकर बस गये। हिन्दुओं में तिवाणा अभी भी जाटों में ही है। किन्तु इस वंश का वैभव मुसलमानों में ही देखा जा सकता है। इनके मलिक खिजरहयात खां तिवाणा को सम्मिलित पंजाब के प्रधानमंत्री पद की प्रतिष्ठा प्राप्त हुई। इनके शाहपुर जिले में सभी तिवाणा मुसलमान सम्पन्नता की दृष्टि से अत्यन्त वैभव प्राप्त हैं। ऋषिकों का दल तुषारों की तरह इस्लाम की ओर नहीं झुका यद्यपि मुग़लकाल में इन दोनों को ही मलिक की उपाधि दी गई थी। पश्चिमोत्तर भारत में जब इस्लाम फैलने लगा तब सामूहिक रूप से संगठित होकर ऋषिकों का यह दल झंग, मुलतान, बहावलपुर और भटिण्डा होते हुए हिसार में हांसी के पास देपाल (दीपालपुर) नामक स्थान पर अधिकार करके बस गया। इनके संगठन की श्रेष्ठता के कारण यह वंश संगठनवाला से गठवाला प्रसिद्ध हुआ।”
Notable persons
External links
References
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