Tinsukia
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Tinsukia (तिनसुकिया) is a city and district in the state of Assam, India. It is an industrial town.
Variants
- Bengmara (बेंगमारा)
Location
It is situated 480 kilometres north-east of Guwahati and 84 kilometres away from the border with Arunachal Pradesh.
Origin
Jat clans
History
Tinsukia district is situated at the extreme north east corner of Assam. The district shares its borders with the three districts of Arunachal Pradesh which are, Changlang, Namsai and Lower Dibang Valley districts. The district is inhabited by various communities mainly Moran, Motok, Adivasi, Tai Ahom, Sonowal Kachari, Nepali, Singpho, Bengali, Marwari and Bihari.[1]
The area of Tinsukia district was an integral part of the Chutiya Kingdom during the medieval period. After the defeat of the Chutias, the Ahoms placed Sadiya-khowa gohain to rule the region. Later, the Matak kingdom rose in its place after the Moamoria rebellion. The older name of Tinsukia city was Bengmara. It was later made the capital of the Motok Kingdom when a member of the former Chutia royal family named Sarbananada Singha established his capital at Rangagarh situated in the bank of river Guijan. In 1791 AD, he transferred his capital to the city of Bengmara. Bengmara was built by King Sarbananda Singha with the help of his Minister, Gopinath Barbaruah (alias Godha). The city was built in the middle of the present city of Tinsukia. It was declared the 23rd district of Assam on 1 October 1989 when it was split from Dibrugarh.[2]
Several tanks were dug in the days of Sarbananda Singha viz. Chauldhuwa Pukhuri, Kadamoni pukhuri, Da Dharua Pukhuri, Mahdhuwa Pukhuri, Bator Pukhuri, Logoni Pukhuri, Na-Pukhuri, Devi Pukhuri, Kumbhi Pukhuri, and Rupahi Pukhuri.[3]
Apart from these ponds, there are many ancient roads constructed in different parts of the Muttack territory. Godha-Borbaruah road, Rangagarah road, Rajgor road, and Hatiali road were main roads within the territory.
In 1823, the British first discovered tea plants in Sadiya and the first tea plantation was started in Chabua near Tinsukia. The name Chabua comes from "Chah-Buwa"/tea plantation.[4]
In 1882, the Dibru–Sadiya Railway was opened to traffic by the Assam Railway & Trading Company, centred on Tinsukia, and a turning point in the economic development of north-east India.
During the reign of Sudangphaa (1397-1407), the relatively small Ahom kingdom was attacked by Mong Kawng, a Shan state in what is today Upper Burma. A Mong Kwang army sent under General Ta-chin-Pao advanced upto Tipam but was subsequently defeated and pushed back as far as the Kham Jang territory. The generals of the two armies conducted a peace treaty on the shore of the Nong Jake lake and in accordance with the Tai custom dipped their hands in the lake, fixing the boundary of the two kingdoms at Patkai hills.[5]
Tinsukia is the site of Bengmara, which was originally known as Changmai Pathar. It was the capital of the Matak kingdom which was founded by Swargadeo Sarbananda Singha.[6]
Swargadeo Sarbananda Singha, known as Mezara, was a member of the erstwhile Chutia royal family and rose to become an able administrator. The Buruk-Chutiyas, according to P. Saikia are the direct descendants of the Chutia royal family. Sarbananda Singha, the rulers of the Mataks is said to be a Buruk-Chutiya by caste."[7] Mezara adopted the name Sarbananda Singha after he became the king. Swargadeo Sarbananda Singha introduced coins in his name and in Saka 1716 and 1717, he inscribed the title Swargadeo in the coins.
तिनसुकिया
तिनसुकिया (Tinsukia) भारत के असम राज्य के तिनसुकिया ज़िले में स्थित एक शहर है। यह ज़िले का प्रशासनिक मुख्यालय तथा नगर निगम बोर्ड है। यह असम राज्य का एक प्रमुख क्षेत्रीय व्यापारिक केंद्र भी है। यह असम की राजधानी गुवाहाटी से 486 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर-पूर्व में और अरुणाचल प्रदेश की सीमा से 84 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। असम के व्यापारिक राजधानी के रूप में प्रसिद्ध इस नगर में असमिया और अन्य भाषाई विशेषकर हिंदीभाषी, बंगाली, नेपाली और सिख लोग रहते हैं। कई नए मॉल और भवनों के निर्माण के साथ शहर एक आधुनिक शहर का रूप लेता जा रहा है। तिनसुकिया एक औद्योगिक और वाणिज्यिक केंद्र है जहाँ कृषि उत्पादों जैसे चाय, संतरे, अदरक और धान के भारी पैदावार के साथ साथ अनेक उद्यम भी प्रतिष्ठित हैं। तिनसुकिया में असम का सबसे बड़ा रेलवे जंक्शन है और यह जिले को देश के कई महत्वपूर्ण स्थलों से जोड़ता है।
इतिहास: पुराने समय में तिनसुकिया को बेंगमारा के नाम से जाना जाता था तथा मूल रूप से यह चांगमाई पथार के रूप में जाना जाता था। यह मटक राज्य की राजधानी थी जिसे स्वर्गदेव सर्वानन्द सिंघा ने स्थापित किया था। स्वर्गदेव सर्वानन्द सिंघा जो मेज़ारा भी कहलाता था एक योग्य प्रशासक के रूप में जाना जाता था। सर्वानन्द सिंघा नाम उसने राजा बनने के बाद अपनाया.[5]
सर्वानन्द सिंघा के निर्देश अनुसार उनके मंत्री गोपीनाथ बरबरुवा उर्फ़ गोधा बरबरुवा ने त्रिकोणीय आकार में एक तालाब का निर्माण किया जो तिनकोनिया पुखुरी के नाम से जाना जाता है। १८८४ में जब डिब्रू-सादिया रेल लाइन बिछाई गई थी तब इस तालाब के निकट एक स्टेशन का निर्माण किया गया था जो तिनसुकिया स्टेशन कहलाता था। बाद में इसी तिनसुकिया नाम से यह शहर जाना जाने लगा.
१८वीं सदी के बाद के हिस्से और 19वीं सदी के प्रारंभिक भाग के दौरान असम के इतिहास में मटक राजवंश का एक अलग ही स्थान है। मटक लोगों ने असम के इतिहास में पहली बार सामाजिक, राजनीतिक आंदोलन का सूत्रपात किया था जिसे के मोमारिया विद्रोह रूप में जाना जाता है। इस विद्रोह से उन्होंने पराक्रमी अहोम साम्राज्य को हिलाकर असम के इतिहास को बदल डाला था।
१८४१ में कप्तान हेमिल्टन वेच द्वारा तैयार नक्शे के अनुसार वर्तमान डिब्रूगढ़ और तिनसुकिया जिले के एक बड़े हिस्से को "मोमारिया जनजाति के बेंगमारा देश” के रूप में पहचान की गई थी जिसकी राजधानी बेंगमारा में थी। असम के इतिहास में उत्तर पूर्व कोने में इस क्षेत्र बेंगमारा को बाद में “सौमार का मटक देश” नाम से लोकप्रियता मिली. मटक राज्य के पहले राजा स्वर्गदेव सर्वानन्द सिंघा थे। सर्वानन्द सिंघा ने गुहिजान नदी के किनारे स्थित रंगागोड़ा में अपनी राजधानी को स्थापित किया। १७९१ ई. में उन्होंने बेंगमारा में अपनी राजधानी को स्थानांतरित कर दिया.
स्वर्गदेव सर्वानन्द सिंघा के दिनों में कई तालाबें खोदे गए। जैसे चावलधोवा पुखुरी, कदमनि पुखुरी, दा धरुवा पुखुरी, माहधोवा पुखुरी, बाटोरपुखुरी, लोगोनीपुखुरी, नापुखुरी, देवीपुखुरी, कुम्भीपुखुरी, रुपहीपुखुरी आदि. इसके अलावा मटक क्षेत्र के विभिन्न भागों में कई प्राचीन रास्ते निर्माण किये गए। गोधा बरबरुआ रोड, रंगागोड़ा रोड, राजगोढ़ सड़क और हाथिआली रोड क्षेत्र के मुख्य सड़क थे।
आकर्षण के केंद्र
शिव धाम: शिव धाम, भगवान शिव को समर्पित एक बड़ा मंदिर है, जिसके परिसर के भीतर स्थित एक बड़ा तालाब है। तिनसुकिया से २.५ कि॰मी॰ दूर ३७ नम्बर हाईवे के किनारे स्थित यह मंदिर शिवरात्रि के समय लोगों के आकर्षण का केंद्र रहता है।
रेलवे हेरिटेज पार्क: न्यू तिनसुकिया रेलवे जंक्शन के प्रांगण में स्थित यह पार्क तिनसुकिया का प्रमुख आकर्षण है। इस पार्क में एक संग्रहालय है जो १९वीं सदी के विविध संग्रहों और रेलवे के अन्वेषकों को दर्शाती है। दिल्ली और कोलकाता के बाद तिनसुकिया केवल तीसरा ऐसा शहर है जहाँ ऐसा संग्रहालय है। इस पार्क में ब्रिटेन निर्मित छोटी लाइन भाप इंजन, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिकी सेना द्वारा इस्तेमाल किये गये रेलवे पहियों और १८९९ में बनाये गए छोटी गेज के डब्बे जो टिपोंग कोलियरी से कोयले की ढुलाई के लिए इस्तेमाल किये जाते थे जैसी चीजें प्रदर्शित की गयीं है। यहाँ लोगों के मनोरंजन के लिए टॉय-ट्रेन और बच्चों के खेलने और मनोरंजन के कई साधन हैं।
नौपुखुरी पार्क: नौपुखुरी तिनसुकिया के दक्षिण पूर्वी क्षेत्र में स्थित नौ तालाबों का एक समूह है। यह राजा सर्वानन्द सिंघा की अवधि के दौरान बनाया गया एक ऐतिहासिक स्थान है। इसे मारुत नंदन कानन नाम से भी पुकारा जाता है। यहाँ एक सुन्दर उद्यान है और बच्चों के खेलने और मनोरंजन के कई साधन हैं।
External links
See also
References
- ↑ https://tinsukia.assam.gov.in/about-us/history
- ↑ https://tinsukia.assam.gov.in/about-us/history
- ↑ https://tinsukia.assam.gov.in/about-us/history
- ↑ https://tinsukia.assam.gov.in/about-us/history
- ↑ Phukan, J. N. (1991). "Relations of the Ahom kings of Assam with those of Mong Mao (in Yunnan, China) and of Mong Kwang (Mogaung in Myanmar)". Proceedings of the Indian History Congress. 52: 888–893. ISSN 2249-1937. JSTOR 44142722.p. 891.
- ↑ http://www.tinsukia.nic.in/bangmara.asp
- ↑ Dutta, Sristidhar (1985), The Mataks and their Kingdom, Allahabad: Chugh Publications,p.31