Ummeda Ram Naradhania

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Baba Ummeda Ram Naradhania from Naradhana, Marwar Mundwa, Nagaur, Rajasthan is a social worker and Environmentalist.

बाबा उम्मेदाराम नराधनियां का परिचय

"रूंख धरा रा सिणगार, रूंख सांठे ही सब'रा प्राण, सिर सांठे रूंख रहे भाईला, तो भी सस्तो ही जाण,

जहां आज दुनियां अपने स्वार्थों की पूर्ती हेतु धरती के श्रृंगार पेड़-पौघों का लगातार संहार कर रही है वहीं दूसरी तरफ मानवता व प्रकृति प्रेम की मशाल थामे कुछ लोग पर्यावरण संवर्द्धन को ही अपना जीवन मान जुटे हुए है। निस्वार्थ....निर्मोह....आज आपका परिचय इसी तरह के एक प्रकृति प्रेमी से करवाजा रहा है। इससे पहले भी एक शख्सियत से परिचय करवा चुके हैं- ग्वालू गांव (नागौर) के हरदीन जी गोलीया का।


आप है नागौर जिले की मुण्डवा तहसिल के एक छौटे से गांव नराधना से "बाबा उम्मेदाराम नराधनियां जी" |उम्र के 64 वसंत देख चुके है मगर आंखों में अब भी नयी चाहत, नयी लगन, और अढिग हौंसले..

पारिवारिक परिचय

आपके पिता का नाम शिवकरण जी नराधनियां व माता का नाम बालीदेवी जी था।धर्मपत्नि श्रीमति ईमानदेवी। व तीन संतान है।

आपने मात्र दूसरी कक्षा तक शिक्षा ग्रहण की थी। कारण उस समय किसान परिवारों के हालात ।मगर दुनियां का शाश्वत सत्य मात्र यही है कि इंसान की पहचान उसके कर्म से ही होती है। उसी तरह "बाबा" के कर्म ही उनकी पहचान है।साधारण परिवेश में रहने वाले.. साधारण लिबास.. साधारण परिवेश.. चेहरे से झलकता भौलापन.. मगर इनके कार्य बिल्कुल असाधारण..ऐसे पढे लिखें मानष जो , समाजसेवा के नाम का ढोल पीटकर नारे लगवाते है..मीडिया के सामने खुद को पर्यावरण को समर्पित बताते हैं.. को इनका व्यक्तित्व शर्म का पाठ पढा दे..

एक नजर कर्मयोगी की सेवा पर

(1) जब आप युवावस्था में तब आपने अपने साथियों के साथ मिलकर गांव की5वीं तक की स्कुल के भवन निर्माण का बीड़ा उठाया। पूरे दिन तगारी व पत्थर उठाकर नि:स्वार्थ भाव से श्रमदान किया। (2) पशुप्रेम की सेवा में समर्पित हो गांव में सभी के सहयोग से सांडशाला निर्माण में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। (3) सभी गांव वालों को साथ लेकर गांव में सार्वजनिक कुआँ खुदवाया। (4) गांव की गौशाला व सांडशाला में चाटे (बंटे) के लिए अपने व पड़ोस के गांवों से तैल व बाजरी की उगाही करके लाना व भी पैदल अपने सिर पर। (5) सन् 2005 में डायरेक्टर से मिलकर व सतत प्रयासों से गौशालामें गायों के पीने के पानी के लिए हौज का निर्माण करवाया। (6) सन् 2010 में बंद होने के कगार पर आई गौशाला को गांव के तीन को साथ ले फिर से जीवंत किया। जहां आज सवा सौ गायें विश्राम कर रही है।

सन् 2010 की बात है..जैठ के महीने की धूप में आप किसी दूसरे गांव से पैदल चलकर घर पधारे और घर आकर बोले की -"जैठ की गर्मी ने तो आज मार ही डाला.. अगर पेड़ों की छांव ना हो तो इंसान मर जाये इस गर्मी में.."तभी प्रत्त्युतर में उनकी मां ने कहा कि -" बेटा! इस धरती पर पेड़ बिना कुछ भी नहीं। अगर लोग इसी तरह इन्हें काटते रहे तो वो दिन दूर नहीं जब इंसान को छांव नसीब नहीं होगी और वह तड़प तड़प के मरेगा।"माता के इस कथन ने उन्हें अंदर तक झकझौर दिया।और उसी दिन यह प्रण लिया कि वृक्षारोपण करना ही उनका अंतिम ध्येय रहेगा |अपने पुत्र रामेश्वर को साथ लेकर. सरकारी विभागों से पौधे मांगने गये,मगर जैसा कि इस देश के सरकारी दलालों का आदर्श वाक्य है-"कल आना"बाबा महीने भर तक चक्कर काटते रहे मगर सरकार का कल कभी नहीं आया।मगर बाबा का निश्चय अटल था..नीजि नर्सरी से स्वंय के पैसों से पौधे खरीद कर लाये।गांव से एक किमी. दूर नाडी पर वृक्षारोपण कर शुभारंभ किया..उस 1 किमी. के दायरे में लगभग 500 पौधे लगाये.. व उनकी सुरक्षा हेतु बाड़ बनाकर रोज टैॆकर से पानी पिलाते है...व 70-80 पौधे जहां टेंकर नहीं पहुंच पाता उन पौधों को हाथ से पानी पिलाते है....इसी तरह सन् 2012 में गांव की दो अन्य नाडीयों व गौशाला में वृक्षारोपण किया| नराधना गांव के अमर शहीद महेन्द्रपाल जाट की याद में बनाये. गये शहीद स्मारक में शहीद परिवार द्वारा भेंट 71 पौधों का रोपण कर दिन रात उनकी सार संभाल कर रहे हैं बाबा उम्मेदाराम जी।

बाबा के प्रेरणादायी व नि:स्वार्थ कार्यों हेतु 13.11.2014 को गांव में आयोजित शहीद महेन्द्रपाल नराधनियां मूर्ती अनावरण कार्यक्रममें समस्त ग्राम वासियों द्वारा सम्मानित किया गया। मेरी मुलाकात भी इनसे इसी दिन हुई| बाबा के पुत्र रामेश्वर जी व मित्र महिपाल जी की बदौलत मुझे बाबा के चरण स्पर्श कर स्नेह व आशीर्वाद पाने का मौका मिला।

वीर तेजाजी महाराज बाबा उम्मेदाराम जी को शतायु बख्से। मैं स्वंय भी पिछले तीन साल से पर्यावरण सेवा में लगा हूं...और अब बाबा हरदीन जी व बाबा उम्मेदाराम जी जैसे प्रेरणापुंजों का सानिध्य पाकर मेरी ललक ओर भी बलवती हो चली है।


वास्तव में नाज है मुझे इन पर्यावरण प्रेमियों पर,.. इनकी लगन पर इनकेसाहस पर......... जाटवीरों अगर इस पोस्ट ने अगर आपकी अंतरात्मा पर थौड़ा बहुत भी प्रभाव डाला है तो कृप्या करकें मुझसे व स्वंय से एक प्रण अवश्य करना कि हम अपने घर, गांव में सबके सहयोग व साथ से वृक्षारोपण कार्यक्रम चलायेंगे..

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