User:JAATKISHAN

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User:JAATKISHAN

Full NameKISHAN MOONDH
Born11 June 1999
ResidenceVillage Naya Moondhsar Post Kothala, Tehsil Dhorimanna, Barmer
Nationality

Indian

OccupationAuthor, Student
Parent(s)Sh. Bharu Ram Moondh (Father), Smt. Soni Devi (Mother)
GotraMoondh

Kishan Moondh is a social worker and Rajasthani and Hindi language poet. He belongs to Moondsar in district Barmer in Rajasthan. He is a blogger.

जीवन परिचय

KISHAN MOONDH S/O Shri Bharu Ram Moondh (Father) and Soni Devi (Mother), Born:11 June 1999 Villege Moondsar Post Kothala Tahsil Dhorimanna Barmer

शैक्षणिक योग्यता

Education : Bachelor of Arts, Computer course

जातीय प्रेम

आपमें जातीय प्रेम कूट कूट के भरा है । जाट इतिहास से संबंधित अच्छी जानकारी रखते है । सोशल मीडिया पर निरंतर समाज जाग्रति का प्रयास कर रहे है । इसके अलावा आप स्वंय एक प्रतिभाशाली लेखक है।

अभिरुचि

Hobby : समाज सेवा शिक्षा,शिक्षा, जाट इतिहास और वर्तमान पर ब्लॉग लेखन,जागरूकता,Reading and Writting Poems https://barmernewsgroup.blogspot.com/

जीवन का उद्देश्य

परमार्थ को जीवन का मकसद मानकर जनसेवा में जुटे रहना। Occupation : Student, Emitra Work प्रमुख जाट सरंचना कविताए जाट का जाट बैरी होग्या घणा बुरा जमाना आया रै। भाई का भाई बैरी क्यों होग्या नहीं समझ मैं पाया रै॥

गरीब जाट के बेटा-बेटी रैहगे बिना पढ़ाई क्यों गरीब जाट की बहू मरती आज बिना दवाई क्यों गरीब जाट की हालत सुधरै ना बात चलाई क्यों अमीर जाट आँख फेरगे म्हारे मैं बदबू आई क्यों थारे स्कूल न्यारे होगे म्हारे का बुरा हाल बणाया रै॥

बीस कील्ले आळे का मन्नै छोरा बेरोजगार दिखा दे दो कील्ले आळा मरै भूखा तू बस्या घरबार दिखा दे बिना ब्याहा रहै म्हारा उड़ै इसा परिवार दिखा दे गरीब किसान का बेटा यो चलाता सरकार दिखा दे अमीर की सै जात पीस्सा म्हारै जात का ठप्पा लाया रै॥

जात के नाम पै जात्यां आळे खूब निशाने साध रहे पूरी जात का भला चाहवैं वे माणस एकाध रहे जात के नाम पै पेट अपना फुला बाध रहे जात सुधार कोन्या चाहते समझ हमनै सड़ांध रहे जात का नाम लेकै लोगां नै फायदा घणा ए ठाया रै॥

किस्मत माड़ी गरीब जाट की न्यों कहकै नै भकावैं पाछले जन्म का भुगतैं सैं उसका फल आज पावैं इस जन्म का मिलै अगले मैं आच्छी ढ़ाळ समझावैं इस जन्म का ना कोए खाता रणबीर पै ये लिखावैं सारी जात्यां के गरीबो क्यों ना कदे हिसाब लगाया रै॥ जाट समाज पर कविता

जाटो पर चर्चा है अखबारों में टी. वी. मे बाजारो मे आँगन द्वार दीवारो मे खेतो और पठारो मे गाँव गली गालियारो मे दिल्ली के दरबारो मे धीरे-धीरे सरकारे जानेगी, बलिहारी जाटो की ऐसा ना हो आग लेगा दे, ये चिंगारी जाटो की ||1 ||

मै हुँ बेटा एक किसान का खेतो मे पाला दादी-नानी का मेरी ताकत केवल मेरी आवाज है मेरी कविता घायल जाट समाज है मै लिखूंगा आदर्शो और उसूलों पर लिखुगा विधान-सभा की भूलो पर भारत-पाक मे झगडा हो अच्छा हे जितना हे उससे तगड़ा हो अच्छा हे ताकि आज की सरकारे ये जान ले जाटो की ताकत को पहचान ले कहना हे दिनमानो का नेहरु जेसे इन्सानो का संविधान के फरमानो का हिन्दूस्थान के अरमानो का ये दुनिया भी ताकत से हारी जाटो की ऐसा ना हो आग लेगा दे, ये चिंगारी जाटो की || 2 ||

जाट कौन हे मन मे गड़ लेना इतिहासो मे लिखा हे पढ लेना जो तुलना करते हे, जाटो से अपने काम की उनकी बुद्धि होगी निश्चित किसी गुलाम की जाट आज के प्रतिमान हे जाट भारत कि पहचान हे जाट नाम हे लोकहितकारी का कारगिल मे लड़ने वाली खुद्दारी का हम से आगे ना आओ अपने मन को समझाओ खुद को खुदा नही आंको अपने दामन मे झांको याद करो इतिहास को 65-71 की लाशो को जब आई थी सरहद से कितनी लाशे जाटो की ऐसा ना हो आग लेगा दे, ये चिंगारी जाटो की || 3 ||

जाट मिलेंगे कर्मा जैसी नारी मे जाट मिलेंगे तेजाजी कि बलिदानी मे जाट मिलेंगे सूरजमल कि कहानी मे जाट मिलेंगे धन्ना-भगत कि वाणी मे जाट मिलेंगे धरती और पाताल मे जाट मिलेंगे वीरो कि गाथा मे जाट मिलेंगे मझनो वाली बाहो मे जाट मिलेंगे नीम-पीपल कि छावो मे जाट मिलेंगे खेतो और खलिहानो मे जाट मिलेंगे कबड्डी के मैदानों मे जाट मिलेंगे शहीदो कि अंगड़ाई में जाट मिलेंगे कारगिल जैसी लडाई मे जीते जी ये, जाट मिलेंगे गंगा मे मर ने पर ये, जाट मिलेंगे तिरंगा मे इन्ही अरमानो से जली चिताएँ जाटो की ऐसा ना हो आग लेगा दे, ये चिंगारी जाटो की ||4||

आरक्षण छिनना हे छिन कर दिखलादो पर एक बात हमको भी सिखलादो कैसे निपटोगे उन जहरिले काँटों से बलवान कहलाने वाले उन जाटो से अब हम ना तो माँग करेंगे ना ही चक्का जाम करेंगे ना तो हम हड़ताल करेंगे ना ही देश से खिलवाड़ करेंगे अब ना तो हम कोई चूक करेंगे ना ही हम विधान-सभा पर कुच करेंगे हम क्या है अपनी ओकात दिखा देंगे बडे--बडे सिंहासन हिला देंगे आरक्षण हमारी माँग नही हमारा अधिकार है यह हम से छिन जाये तो हम पर धिक्कार है अब जाट करेंगे तैयारी भक्षण की ऐसा ना हो देश जला दे यह चिंगारी आरक्षण की || =- रचनाकार : Kishan Moondh, Moondsar, Barmer — M. 9799623434

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