Vimla Sihag

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Vimla Sihag

Vimla Sihag progressive farmer from village Boranara in Luni Tahsil of Jodhpur district in Rajasthan. She is known for Ber cultivation in desert area.

विमला सिहाग का जीवन परिचय

राजस्थान के जोधपुर जिला गांव बोरानाड़ा निवासिनी है श्रीमती बिमला सिहाग। बिमला सिहाग का नाम जोधपुर जिले में किसी परिचय का मोहताज नहीं है। कृषि क्षेत्र में इन्होंने जो सफलता पाई है जो किसी विरले को ही नसीब होती है।

विमला सिहाग का जन्म सामान्य परिवार में हुआ। परिवार की लाड़ली बिमला खेलते कूदते कब जवान हो गई पता ही नहीं चला। आखिरकार परंपरानुसार पूरे रीति रिवाज से चंदशेखर सिहाग के साथ शादी कर दी गई। शादी के बाद विमला घर गृहस्ती के कामों में उलझ कर रह गई। देखते ही देखते 30 साल का लंबा वक्त गुजर गया लेकिन तनिक भी पता नहीं चला।

विमला सिहाग की सफलता की कहानी

राष्ट्रकवि मैथिली शरण गुप्त जी ने स्त्रियों की निर्बल दशा को देखते हुए लिखा है कि “अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी,आँचल में है दूध और आँखों में पानी”। गुप्त जी अगर आज जिंदा होते तो अपनी इसी रचना पर पछता रहे होते,क्योंकि आज की स्त्रियां अब अबला नहीं रह गई हैं,बल्कि वे सबला बन चुकी हैं। हालांकि हमारे इतिहास के पन्ने ऐसी विरांगनाओं के वीरगाथाओं से भरे पड़े हैं जिसे पढ़ या सुन कर किसी को भी गुमां हो जाए,बड़े से बड़ा योद्धा भी शरमा जाए।

आज के दौर में स्त्रियां पुरूषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। गांव का खेत हो या देश का सरहद,सागर की लहरें हो या खुला आसमान,स्त्रियां सभी जगह अपने सबलता का परिचय देते हुए डटी हुई है। संसद से सड़क तक स्त्रियों का बोलबाला है।

हमें कई ऐसे उदाहरण मिल जाते है जहां स्त्रियां असंभव को भी संभव करती नजर आती हैं। ऐसा ही एक उदारण है राजस्थान के जोधपुर जिला गांव बोरानाड़ा निवासिनी श्रीमती बिमला सिहाग का। बिमला सिहाग का नाम जोधपुर जिले में किसी परिचय का मोहताज नहीं है। कृषि क्षेत्र में इन्होंने जो सफलता पाई है जो किसी विरले को ही नसीब होती है।

एक दिन बातों ही बातों में पति चंदशेखर ने खेत दिखा लाने की बात कही। लाड़ प्यार में पली विमला ने कभी जुते हुए खेत में भी अपना पांव नहीं रखा था। विमला को इस बात का तनिक आभास भी नहीं हुआ कि जिस खेत को वह देखने जा रही है वही एक दिन उनकी किस्मत के दरवाजे खोल देगी। चूंकि ससुराल में सभी नौकरी पेशा वाले लोग थे जिसके कारण ज्यादातर खेत खाली ही पड़े थे इसलिए जीवन में पहली बार खाली पड़े खेतों को देखने के बाद विमला के मन में खेती करने की तीव्र इच्छा हुई। अपने पति से उन्होंने खेती करने की इच्छा जताई। विमला की बातों को सुनकर पहले तो पति व्यंगात्मक रूप से बहुत हंसे फिर बोले कि "तुम क्या खेती करोगी?" । विमला के अंतःपटल पर यह बात तीर की तरह चुभ गई। विमला सिहाग ने इस चुनौती को स्वीकारा और खेती करने की ठान ली।

बेर की खेती

पड़ोस के खेत में बेर से लदे वृक्षों को देखकर विमला ने भी पहले बेर लगाने का निश्चय किया जिसके लिए उन्होंने खाली पड़े खेतों में 3x3x4 का गड्ढ़ा खोदा जिसमें तालाब की मिट्टी और भेड़ बकरियों के गोबर से भर दिया। उसके बाद उसमें बेर के पौधे रोप दिए। लेकिन विमला के मनोबल को रौंदने के लिए एक मुसीबत और इंतजार कर रही थी। सिंचाई की कमी व राजस्थान की चिलचिलाती धूप में पौधे दम तोड़ने लगे,लेकिन विमला के हौसलों ने मानों न डिगने की कसम खाई थी। विमला ने किसी तरह कंटेनर से पानी मंगाकर पौधों को सींचा। विमला के इस मेहनत व लगन को देखकर इनके परिवार वाले अचंभित हुए बिना नहीं रह सके। विमला अब गृहणी से कृषक बन चुकी थी। खेती को बड़े स्तर पर करने के लिए विमला ने अपने ससुर से जिद करके एक ट्यूबवेल लगवाया।

विमला का बेर से चोली दामन का साथ है क्योंकि इसी बेर ने कृषि क्षेत्र में उन्हें पहचान दिलाई। अपने बेर उत्पादन से उन्होंने लोगों को अचंभित कर दिया। विमला अपने बेर को देश विदेश के कई कृषि प्रदर्शनियों में प्रदर्शित कर चुकी हैं। जिसके लिए उन्हें अनेकों पुरस्कार मिल चुके हैं। हालांकि अब विमला बेर के अलावा और फलों की खेती करनी शुरू कर दी है। विमला खेतों में रसायन के प्रयोग की धुर विरोधी है। उनका मानना है कि रसायनों के प्रयोग से पैदावार तो बढ़ती है,लेकिन उसके द्वारा पैदा हुआ उत्पाद जहर से कम नहीं होता। इसी कारण कारण वो आज भी जैविक या वनस्पति खाद के द्वारा ही खेती करती हैं। विमला का नाम कृषि क्षेत्र में सम्मान के साथ लिया जाता है। विमला ने सिद्ध कर दिया कि स्त्री चाहे तो कुछ भी कर सकती है बस उसके हौसलों में दम होना चाहिए। जोधपुर की जोधा बन विमला महिलाओं को अगल राह दिखा रही हैं।

संदर्भ - कृषि जागरण, 29.12.2016

References


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