Yamuna Parvata

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(Redirected from Yamunaprabhava)
Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Yamuna Parvata (यामुन पर्वत) or Kalinda Parvata (कलिंद पर्वत) is name of the hill from which originates the Yamuna River in Himalayas.

Origin

Variants

History

Bandarpunch (lit. Hindi: Monkey's tail) is a mountain massif in the Garhwal Himalaya in Uttarakhand, India. The name is inspired by the mythological tale in which Hanuman, the monkey god, extinguishes his tail, after it catches fire during the battle between King Rama and Ravana in Lanka, by going to the summit of the mountain.

The massif has 3 peaks: White Peak (6102 m), also called Banderpunch II, to the west above Yamunotri; almost 5 km east is Bandarpunch main peak or Banderpunch I (6316 m); and about 4 km to the north-east is Kalanag (6387 m).

कलिंद पर्वत

विजयेन्द्र कुमार माथुर[1] ने लेख किया है ...कलिंद पर्वत (AS, p.150) यमुना का उद्गम स्थान है. यामुन या यमुनोत्री, हिमालय पर्वत श्रेणी में स्थित पर्वत को माना जाता है. महाभारत वन पर्व 84,85 में इसी को यमुना-प्रभव कहा है-- 'यमुना प्रभवंगत्वा समुपस्यपृश्यामुनम्-- (देखें:यामुनपर्वत)

कलिंदकन्या

विजयेन्द्र कुमार माथुर[2] ने लेख किया है ...कलिंदकन्या (AS, p.150): यमुना नदी. 'यस्यावरोधस्तनचंदनानां प्रक्षालनाद्वारिविहारकाले, कलिंदकन्या मथुरां गतापि गंगोर्मि संसक्त जलेवभाति' रघु. 6,48; (देखें: कलिंद)

यामुन पर्वत

विजयेन्द्र कुमार माथुर[3] ने लेख किया है ...यामुन पर्वत (AS, p.771) का उल्लेख महाभारत, उद्योगपर्व तथा वनपर्व में हुआ है- 'वारणं वाटधानं च यामुनश्चैव पर्वत:, एष देश सुविस्तीर्णः प्रभूत धनधान्यवान्।' (महाभारत, उद्योगपर्व 19,31) 'यमुनाप्रभवं गत्वा समुस्पृश्य यामुनम् अश्वमेघफलं लब्ध्वा स्वर्गलोके महीयते।' ( महाभारत, वनपर्व 84, 44)

इतिहासकार वासुदेव शरण अग्रवाल ने इस पर्वत का अभिज्ञान हिमालय पर्वतमाला में स्थित 'बंदरपूंछ' नामक पर्वत (ज़िला गढ़वाल, उत्तराखण्ड) से किया है। बंदरपूंछ का संबंध महाभारत के प्रसिद्ध आख्यान से है, जिसमें भीम और हनुमान की भेंट का वर्णन है। महाभारत, अनुशासनपर्व (अनुशासनपर्व 68, 3-4|68, 3-4) में यामुनगिरि को गंगा-यमुना के मध्य भाग में स्थित बताया गया है तथा इस पहाड़ी की तलहटी के निकट 'पर्णशाला' नामक ग्राम का उल्लेख है- 'मध्यदेशे महान् ग्रामो ब्राह्मणानां वभूव ह । गंगायमुनयोर्मध्ये यामुनस्यगिरेरधः । पर्णशालेतिविख्यातो रमणीयोनराधिप।'

यमुनाप्रभव

विजयेन्द्र कुमार माथुर[4] ने लेख किया है ...यमुनाप्रभव (AS, p.769) नामक एक प्राचीन स्थान का उल्लेख 'महाभारत' (84, 44)में हुआ है। संभवतः यह यमुना का उद्गम स्थान था। इसे 'यमुनोत्री' भी कहा जाता है।

Yamunaparvata in Mahabharata

Yamuna Parvata (यामुन पर्वत) (V.19.30),

Yamuna Parvata (यामुन पर्वत) is mentioned in Mahabharata (V.19.30). [5]... mentions Kings and tribes Who joined Duryodhana for war.... and Ahichhatra and Kalakuta, and the banks of the Ganga, and Varana, and Vatadhana, and the hill tracts on the border of the Yamuna--the whole of this extensive tract--full of abundant corn and wealth, was entirely overspread with the army of the Kauravas.

Yamunaprabhava in Mahabharata

Yamunaprabhava (T) (यमुनाप्रभव) (III.82.39)

Vana Parva, Mahabharata/Book III Chapter 82 mentions names Pilgrims. Yamunaprabhava (Tirtha) (यमुनाप्रभव) is mentioned in Mahabharata (III.82.39).[6].... The man that proceedeth to the Yamuna-prabhava (यमुनाप्रभव) (III.82.39) , (the source of the Yamuna) and batheth there, obtaineth the merit of the horse-sacrifice and is worshipped in heaven.

External links

References

  1. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.150
  2. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.150
  3. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.771
  4. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.769
  5. अहिच छत्रं कालकूटं गङ्गाकूलं च भारत, वारणा वाटधानं च यामुनश चैव पर्वतः (V.19.30)
  6. यमुना प्रभवं गत्वा उपस्पृश्य च यामुने, अश्वमेध फलं लब्ध्वा स्वर्गलॊके महीयते (III.82.39)