Parnashala
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |

Parnashala (पर्णशाला) is name a village inhabited by learned Brahmanas mentioned in Mahabharata. Parnashala is also mentioned in Ramayana. It is interesting to note that Dr Ram Gopal Soni[1] has identified Parnsala of Bhadradri Kothagudem district (formerly in Khammam) in Telangana with Panchavati whereas it is generally believed to be near Nasik.
Origin
Variants
- Parnashala (पर्णशाला) (AS, p.534)
- Parnashala (पर्णशाला) Mahabharata (XIII.67.4)
History
In Mahabharata
Parnashala (पर्णशाला) mentioned in Mahabharata (XIII.67.4)
Anusasana Parva/Book XIII Chapter 67 mentions Parnashala (पर्णशाला) in verse Mahabharata (XIII.67.4).[2]....Bhishma narrates to Yudhishthira of the discourse that took place in ancient times between a Brahmana and Yama. In the country lying between the rivers Ganga and Yamuna, at the foot of the hills called Yamuna, there was a large town inhabited by Brahmanas. The town was celebrated under the name of Parnashala and was very delightful in appearance, O king. A large number of learned Brahmanas lived in it.
पर्णशाला
विजयेन्द्र कुमार माथुर[3] ने लेख किया है ...पर्णशाला (AS, p.534): यामुन पर्वत की तलहटी में स्थित विद्वान ब्राह्मणों का एक ग्राम, जिसका उल्लेख महाभारत अनुशासन पर्व 68,3-4 में है-- 'मध्यदेशे महान ग्रामॊ ब्राह्मणानां बभूव ह, गङ्गायमुनयॊर्मध्ये यामुनस्य गिरेरध्र: (XIII.68.3) पर्णशालेति विख्यातॊ रमणीयॊ नराधिप, विद्वांसस्तत्र भूयिष्ठा ब्राह्मणाश्चावसंस तथा' (XIII.68.4)
पर्णशाला (पंचवटी)
डॉ. रामगोपाल सोनी[4] ने पर्णशाला पर लिखा है: [पृ.147]:गोदावरी नदी के तट पर स्थित आश्रम में सीता को नहीं पाया तो राम बहुत दुखी हो गए और विलाप करने लगे. राम ने कुछ दूरी पर गिद्धराज जटायु को पड़ा देखा. वह श्री राम के चरणों का स्मरण कर रहा था. पर्णशाला से कुछ ही दूरी पर भद्राचलम की दिशा में रावण और जटायु की लड़ाई हुई होगी.
वाल्मीकि रामायण के अनुसार गिद्धराज जटायु ने राम को ढाढस बंधाया और कहा कि आप धैर्य रखें जानकी जी अवश्य मिलेंगी. रावण ने सीता को बृन्द नमक मुहूर्त में हरण किया था. इस मुहूर्त में चोरी गई वस्तु वापस मिल जाती है.
पद्म पुराण, पातालखंड में लोमस ऋषि द्वारा अरण्यक ऋषि को बताया था कि गिद्धराज जटायु की उम्र उस समय 60000 वर्ष थी. रावण ने सीता का अपहरण
[पृ.148]: माघ मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को बृन्द नमक मुहूर्त में किया था.
[पृ.149]: गिद्ध राज की लड़ाई और उसका शरीर त्याग गोदावरी के उस किनारे पर होना पाया जाता है जहां धनुषाकर नदी का एक कोना किनारे जमीन से लगा हुआ है. पर्णशाला धनुषाकार नदी के बीच में थी और गिद्धराज का शरीर धनुषाकार भाग के एक छोर पर था. भगवान राम ने गिद्धराज के पार्थिव शरीर का विधिवत दाह संस्कार किया और गोदावरी नदी में जाकर नहाया और जल से तिलांजलि दी.
डॉ. रामगोपाल सोनी[5] ने दंडकारण्य, बस्तर के पश्चिम बस्तर वन मंडल की कार्य योजना को बनाते समय गोदावरी के किनारे पर्णशाला जगह देखी जिससे पाया कि यही पंचवटी है. बस्तर में पश्चिम बस्तर वन मंडल की कार्य योजना बनाते समय इन्होंने गोदावरी के तट पर पर्णशाला स्थान पर एक मंदिर देखा. यहीं से सीता जी का रावण द्वारा अपहरण किए जाने की बात पता लगी. यह स्थल पश्चिम बस्तर वन मंडल के दक्षिणी छोर पर स्थित कोटापल्ली से लगभग 25 किलोमीटर दूर चेरला और भद्राचलम के बीचों-बीच वर्तमान में तेलंगाना प्रदेश के खम्मम जिले में स्थित है. यही वन दंडकारण्य है जहां भगवान राम पंचवटी में रहते थे और इससे वहां की भाषा में पर्णशाला कहते हैं. बाल्मीकि रामायण के अरण्यकांड के सर्ग 15 में इसका उल्लेख गोदावरी नदी के किनारे पंचवटी, पर्णशाला नाम से हुआ है. तुलसीदास के रामचरितमानस में कहा गया है कि दंडकरण, जो आज का बस्तर है, में जहां गोदावरी नदी धनुसाकर है वहीं पर पर्णशाला बनाकर राम पंचवटी में निवास करते थे.
External links
References
- ↑ राम वन गमन (पुनरावलोकन), लेखक: डॉ. रामगोपाल सोनी IFS: , प्रकाशक: ऋषिमुनि प्रकाशन, उज्जैन, प्रथम संस्करण: 2021, ISBN: 9788794990338 p.147,148,149
- ↑ पर्णशालेति विख्यातॊ रमणीयॊ नराधिप, विद्वांसस तत्र भूयिष्ठा बराह्मणाश चावसंस तदा (XIII.67.4)
- ↑ Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.534
- ↑ राम वन गमन (पुनरावलोकन), लेखक: डॉ. रामगोपाल सोनी IFS: , प्रकाशक: ऋषिमुनि प्रकाशन, उज्जैन, प्रथम संस्करण: 2021, ISBN: 9788794990338 p.147,148,149
- ↑ राम वन गमन (पुनरावलोकन), लेखक: डॉ. रामगोपाल सोनी IFS: , प्रकाशक: ऋषिमुनि प्रकाशन, उज्जैन, प्रथम संस्करण: 2021, ISBN: 9788794990338 p.03