Kanhaiya Lal Sihag: Difference between revisions

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<center>'''एक अथक और निरंतर गतिशील व्यक्ति चौधरी कन्हैया लाल सिहाग'''</center>
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[[Chander Choudhary|कैप्टन चन्दर चौधरी]] के पिता, किसान नेता एवं समाजसेवी चौधरी कन्हैया लाल सिहाग का जन्म 1 अक्टूबर 1941 को राजस्थान के बीकानेर जिले की श्रीडूंगरगढ़ तहसील के बिग्गा (अब [[बिग्गा बास रामसरा]]) गांव में चौधरी सुखाराम सिहाग एवं श्रीमती अन्नी देवी गोदारा के घर में हुआ था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव बिग्गा में ही हुई। अपने छात्र जीवन में ये तत्कालीन किसान [[Kumbha Ram Arya|नेता कुंभाराम आर्य]] व [[Daulat Ram Saran|दौलत राम सारण]] के सक्रिय साथी रहे थे।
[[Chander Choudhary|कैप्टन चन्दर चौधरी]] के पिता, किसान नेता एवं समाजसेवी चौधरी कन्हैया लाल सिहाग का जन्म 1 अक्टूबर 1941 को राजस्थान के बीकानेर जिले की श्रीडूंगरगढ़ तहसील के बिग्गा (अब '''[[Beegawas Ramsara|बिग्गा बास रामसरा]]''') गांव में चौधरी सुखाराम [[Sihag|सिहाग]] एवं श्रीमती अन्नी देवी गोदारा के घर में हुआ था।
 
== शिक्षा  ==
इनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव बिग्गा में ही हुई। अपने छात्र जीवन में ये तत्कालीन किसान [[Kumbha Ram Arya|नेता कुंभाराम आर्य]] व [[Daulat Ram Saran|दौलत राम सारण]] के सक्रिय साथी रहे थे।


वर्ष 1971 में इन्होंने डूंगर कॉलेज बीकानेर से LLB की डिग्री प्राप्त की। 20 वर्ष इन्होंने मुंबई में व्यापार किया।
वर्ष 1971 में इन्होंने डूंगर कॉलेज बीकानेर से LLB की डिग्री प्राप्त की। 20 वर्ष इन्होंने मुंबई में व्यापार किया।
 
== समाज सेवा ==
चौधरी कन्हैया लाल ने सदैव सादा जीवन, उच्च विचार में विश्वास रखा। ये भारतीय किसान संघ-परिसंघ (CIFA) के राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष व सक्रिय सदस्य हैं। वर्ष 2002 में भारतीय सेना के ऑपरेशन पराक्रम में इनके बड़े पुत्र कैप्टन चन्दर चौधरी (4 ग्रेनेडियर्स) का बलिदान हो जाने से वृद्धावस्था में इनपर दुखों का वज्रपात हो गया।
चौधरी कन्हैया लाल ने सदैव सादा जीवन, उच्च विचार में विश्वास रखा। ये भारतीय किसान संघ-परिसंघ (CIFA) के राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष व सक्रिय सदस्य हैं। वर्ष 2002 में भारतीय सेना के ऑपरेशन पराक्रम में इनके बड़े पुत्र कैप्टन चन्दर चौधरी (4 ग्रेनेडियर्स) का बलिदान हो जाने से वृद्धावस्था में इनपर दुखों का वज्रपात हो गया।


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विशेष बात, जिस देश में पंगु, लचर और कछुआछाप सरकारी तंत्र किसी व्यक्ति को जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने में ही चप्पलें घिसवा लेता है, उस तंत्र से पत्राचार कर के दो दो स्थानों पर स्मारक, प्रतिमाएं और टैंक-एयरक्राफ्ट स्थापित करवाना साधारण काम नहीं कहा जा सकता है।
विशेष बात, जिस देश में पंगु, लचर और कछुआछाप सरकारी तंत्र किसी व्यक्ति को जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने में ही चप्पलें घिसवा लेता है, उस तंत्र से पत्राचार कर के दो दो स्थानों पर स्मारक, प्रतिमाएं और टैंक-एयरक्राफ्ट स्थापित करवाना साधारण काम नहीं कहा जा सकता है।
==शहीद पिता के लिए एक सेल्यूट ==
पहले देश सेवा के लिए बेटा दिया और अब शहीद स्मारक की जमीन भी सेना अर्थात देश के नाम कर दी। ऐसी सोच के शहीद पिता के लिए एक सेल्यूट तो बनता है। इसी विषय पर राजस्थान पत्रिका के 07/01/22 के अंक में समूचे राजस्थान में प्रकाशित खबर।
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जज्बे को सलाम: बस एक ही धुन, हर जगह हो शहादत की गूंज
वीरों की भूमि राजस्थान में एक से बढकऱ एक उदाहरण हैं। जवान बेटे की शहादत की बाद 80 वर्षीय पिता की चाहत है कि उनके बेटे के शहादत की गूंज पूरे जहां में सुनाई दे। बीकानेर जिले के श्रीडूंगरगढ़ उपखंड के गांव बिग्गा बास रामसरा निवासी डा. कन्हैया लाल सिहाग चाहते हैं कि युवा पीढ़ी देश सेवा का संकल्प ले।
उनके पुत्र कैप्टेन चंद्र चौधरी नौ सितम्बर 2002 में कश्मीर में शहीद हो गए। उनका अंतिम संस्कार खुद की जमीन में करवाया। बाद में शहीद स्मारक बनाने के लिए चार बीघा जमीन दी। इसी परिसर में अंत्येष्टि स्थल, प्रतिमा स्थल के साथ विजयंत टैंक स्थापित है। प्रतिमा स्थापना, समाधि स्थल तथा चार दिवारी का आधा हिस्सा भी शहीद पिता ने बनाया है।
'''अब हो गई भारतीय सेना की सम्पत्ति''': पिछले माह गांव में प्रशासन गांवों के संग शिविर लगा। डा. कन्हैयालाल ने चार बीघा में बने शहीद स्मारक का पट्टा बनवाकर भारतीय सेना के नाम रजिस्ट्री करवा दी। अब यह स्मारक भारतीय सेना की संपत्ति है।
'''दो जगह हैं शहीद स्मारक''': शहीद के भाई सीताराम सिहाग ने बताया कि शहीद की याद में दो जगह स्मारक बने हैं। एक तो गांव में अंत्येष्टि स्थल पर है। इसका उद्घाटन तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने किया। जबकि, दूसरा बीकानेर में है। उसका उद्घाटन तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने किया।
सीताराम का दावा है कि शहीद की स्मृति में निजी स्तर पर बनने वाला यह स्मारक देश में इकलौता है। बीकानेर के म्यूजियम चौराहे के पास स्थित शहीद चंद्र चौधरी स्मारक में शहीद की प्रतिमा, टैंक और एयरक्राफ्ट लगे हैं। गांव में भी शहीद के नाम से स्कूल व स्टेडियम हैं।
'''बेटे पर फक्र''': शहीद राष्ट्र की धरोहर होते हैं। आने वाली पीढियां शहीदों से प्रेरणा लेे, बस यही सोचकर लगा हूं। आज सेना के प्रति जो सोच और माहौल बना है, उसको देखकर बड़ी खुशी होती है। बेटा शहीद हुआ तब गांव में मात्र दो जने सेना में थे। आज इनकी संख्या पांच दर्जन के करीब हो चुकी है। श्रीडूंगरगढ़ तहसील में भी जवानों की संख्या ज्यादा है। यह देखकर गर्व होता है। बेटे की शहादत पर सदा फख्र रहेगा।
- डा.कन्हैयालाल सिहाग,
शहीद पिता, बिगा बास रामसरा, श्रीडूंगरगढ़
== बाहरी कड़ियाँ ==
== बाहरी कड़ियाँ ==
== संदर्भ ==
== संदर्भ ==

Latest revision as of 17:14, 22 April 2022

Kanhaiya Lal Sihag

Kanhaiya Lal Sihag is a social worker from village Beegawas Ramsara in tahsil Dungargarh district Bikaner in Rajasthan. He is father of Chander Choudhary (Sihag) from 'The Grenadiers Regiment' who became martyr on 9 September 2002 in OP Parakram fighting with enemies in Udhampur area of Jammu and Kashmir.

समाजसेवी चौधरी कन्हैया लाल सिहाग

एक अथक और निरंतर गतिशील व्यक्ति चौधरी कन्हैया लाल सिहाग

कैप्टन चन्दर चौधरी के पिता, किसान नेता एवं समाजसेवी चौधरी कन्हैया लाल सिहाग का जन्म 1 अक्टूबर 1941 को राजस्थान के बीकानेर जिले की श्रीडूंगरगढ़ तहसील के बिग्गा (अब बिग्गा बास रामसरा) गांव में चौधरी सुखाराम सिहाग एवं श्रीमती अन्नी देवी गोदारा के घर में हुआ था।

शिक्षा

इनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव बिग्गा में ही हुई। अपने छात्र जीवन में ये तत्कालीन किसान नेता कुंभाराम आर्यदौलत राम सारण के सक्रिय साथी रहे थे।

वर्ष 1971 में इन्होंने डूंगर कॉलेज बीकानेर से LLB की डिग्री प्राप्त की। 20 वर्ष इन्होंने मुंबई में व्यापार किया।

समाज सेवा

चौधरी कन्हैया लाल ने सदैव सादा जीवन, उच्च विचार में विश्वास रखा। ये भारतीय किसान संघ-परिसंघ (CIFA) के राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष व सक्रिय सदस्य हैं। वर्ष 2002 में भारतीय सेना के ऑपरेशन पराक्रम में इनके बड़े पुत्र कैप्टन चन्दर चौधरी (4 ग्रेनेडियर्स) का बलिदान हो जाने से वृद्धावस्था में इनपर दुखों का वज्रपात हो गया।

वर्ष 2004 में इन्होंने कुछ समय नैचुरोपैथी के क्षेत्र में कार्य किया। अपने पुत्र के बलिदान पर भारत सरकार के तत्कालीन रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस से सहायता स्वरूप गैस एजेंसी या पेट्रोल पंप नहीं ले कर अपने गांव में बने कैप्टन कैप्टन चन्दर चौधरी के स्मारक पर बख्तरबंद टैंक की मांग की। इस मांग पर भारत सरकार व भारतीय सेना के साथ 8 वर्ष तक लंबे पत्राचार के पश्चात सरकार द्वारा भारत में पहली बार किसी शहीद स्मारक पर MBT विजयंत टैंक उपलब्ध करवाया गया। इस टैंक ने गांव के युवावर्ग में एक प्रेरणा का काम किया और आज गांव की युवतियां भी सशस्त्र बलों में सेवाएं दे रही हैं।

चौधरी कन्हैया लाल वृद्धावस्था में भी एक युवक के समान उर्जा से सामाजिक कार्य करते हैं व सदैव सक्रिय रहते हैं।

चौधरी कन्हैया लाल के प्रयासों से बीकानेर में भी कैप्टन चन्दर चौधरी का स्मारक बना। उस स्मारक पर भी MBT विजयंत टैंक एवं HTP 32 एयरक्राफ्ट स्थापित किया गया है। चौधरी कन्हैया लाल सैन्य वीरांगनाओं को राजस्थान सरकार में अनुकंपा के आधार पर प्रशासनिक नियुक्तियां दिलाने में सक्रिय रहे हैं। कई विरांगनाएं आज अतिरिक्त जिला कलेक्टर के पद पर हैं।

विशेष बात, जिस देश में पंगु, लचर और कछुआछाप सरकारी तंत्र किसी व्यक्ति को जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने में ही चप्पलें घिसवा लेता है, उस तंत्र से पत्राचार कर के दो दो स्थानों पर स्मारक, प्रतिमाएं और टैंक-एयरक्राफ्ट स्थापित करवाना साधारण काम नहीं कहा जा सकता है।

शहीद पिता के लिए एक सेल्यूट

पहले देश सेवा के लिए बेटा दिया और अब शहीद स्मारक की जमीन भी सेना अर्थात देश के नाम कर दी। ऐसी सोच के शहीद पिता के लिए एक सेल्यूट तो बनता है। इसी विषय पर राजस्थान पत्रिका के 07/01/22 के अंक में समूचे राजस्थान में प्रकाशित खबर।


जज्बे को सलाम: बस एक ही धुन, हर जगह हो शहादत की गूंज

वीरों की भूमि राजस्थान में एक से बढकऱ एक उदाहरण हैं। जवान बेटे की शहादत की बाद 80 वर्षीय पिता की चाहत है कि उनके बेटे के शहादत की गूंज पूरे जहां में सुनाई दे। बीकानेर जिले के श्रीडूंगरगढ़ उपखंड के गांव बिग्गा बास रामसरा निवासी डा. कन्हैया लाल सिहाग चाहते हैं कि युवा पीढ़ी देश सेवा का संकल्प ले।

उनके पुत्र कैप्टेन चंद्र चौधरी नौ सितम्बर 2002 में कश्मीर में शहीद हो गए। उनका अंतिम संस्कार खुद की जमीन में करवाया। बाद में शहीद स्मारक बनाने के लिए चार बीघा जमीन दी। इसी परिसर में अंत्येष्टि स्थल, प्रतिमा स्थल के साथ विजयंत टैंक स्थापित है। प्रतिमा स्थापना, समाधि स्थल तथा चार दिवारी का आधा हिस्सा भी शहीद पिता ने बनाया है।

अब हो गई भारतीय सेना की सम्पत्ति: पिछले माह गांव में प्रशासन गांवों के संग शिविर लगा। डा. कन्हैयालाल ने चार बीघा में बने शहीद स्मारक का पट्टा बनवाकर भारतीय सेना के नाम रजिस्ट्री करवा दी। अब यह स्मारक भारतीय सेना की संपत्ति है।

दो जगह हैं शहीद स्मारक: शहीद के भाई सीताराम सिहाग ने बताया कि शहीद की याद में दो जगह स्मारक बने हैं। एक तो गांव में अंत्येष्टि स्थल पर है। इसका उद्घाटन तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने किया। जबकि, दूसरा बीकानेर में है। उसका उद्घाटन तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने किया।

सीताराम का दावा है कि शहीद की स्मृति में निजी स्तर पर बनने वाला यह स्मारक देश में इकलौता है। बीकानेर के म्यूजियम चौराहे के पास स्थित शहीद चंद्र चौधरी स्मारक में शहीद की प्रतिमा, टैंक और एयरक्राफ्ट लगे हैं। गांव में भी शहीद के नाम से स्कूल व स्टेडियम हैं।

बेटे पर फक्र: शहीद राष्ट्र की धरोहर होते हैं। आने वाली पीढियां शहीदों से प्रेरणा लेे, बस यही सोचकर लगा हूं। आज सेना के प्रति जो सोच और माहौल बना है, उसको देखकर बड़ी खुशी होती है। बेटा शहीद हुआ तब गांव में मात्र दो जने सेना में थे। आज इनकी संख्या पांच दर्जन के करीब हो चुकी है। श्रीडूंगरगढ़ तहसील में भी जवानों की संख्या ज्यादा है। यह देखकर गर्व होता है। बेटे की शहादत पर सदा फख्र रहेगा।

- डा.कन्हैयालाल सिहाग, शहीद पिता, बिगा बास रामसरा, श्रीडूंगरगढ़

बाहरी कड़ियाँ

संदर्भ


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