Nemi Chand Garhwal: Difference between revisions
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Latest revision as of 16:31, 4 September 2024

Nemi Chand Garhwal (Rifleman) (19-07-1969 - 26-08-1989) became martyr on 26-08-1989 during Operation Pawan in Srilanka. He was awarded Vir Chakra (posthumous) for his act of bravery. He was from Jodhras village in Degana tehsil of Nagaur district in Rajasthan. Unit - 11 Rajputana Rifles
राइफलमैन नेमी चंद गढ़वाल
राइफलमैन नेमी चंद गढ़वाल
2884459H
19-07-1969 - 26-08-1989
वीर चक्र (मरणोपरांत)
वीरांगना - श्रीमती मोहनी देवी
यूनिट - 11 राजपुताना राइफल्स
ऑपरेशन पवन
राइफलमैन नेमी चंद का जन्म 19 जुलाई 1969 को राजस्थान के नागौर जिले की डेगाना तहसील के जोधड़ास गांव में श्री बक्साराम गढ़वाल एवं श्रीमती घेवरी देवी के परिवार में हुआ था। 31 जनवरी 1987 को नागौर से वह भारतीय सेना की राजपुताना राइफल्स रेजिमेंट में रंगरूट के रूप में भर्ती हुए थे। प्रशिक्षण के पश्चात उन्हें 11 राजरिफ बटालियन में राइफलमैन के पद पर नियुक्त किया गया था।
12 जुलाई 1988 को 11 राजरिफ बटालियन को भारतीय शांति सेना द्वारा श्रीलंका में चलाए जा रहे ऑपरेशन पवन में भाग लेने का अग्रिम आदेश प्राप्त हुआ। तत्पश्चात 28 सितंबर 1988 को बटालियन ने मद्रास से श्रीलंका के लिए कूच किया। श्रीलंका पहुंच कर स्थानीय क्षेत्र के प्रारंभिक प्रशिक्षण के पश्चात 11 राजरिफ बटालियन ने 11 गढ़वाल राइफल्स बटालियन को मुलायहिवू क्षेत्र से कार्यमुक्त किया।
26 अगस्त 1989 को, हेडक्वार्टर कंपनी की एक प्लाटून को मुलयाहिवू से नेदुनकेनी जा रही एक CONVOY की सुरक्षा करने का कार्य सौंपा गया था। राइफलमैन नेमी चंद भी इस प्लाटून के अवयव थे। नेदुनकेनी की सुरक्षित यात्रा के पश्चात, लौटते समय औड्डसूदन के निकट लिट्टे उग्रवादियों ने घात लगाकर आक्रमण (AMBUSH) किया।
लिट्टे उग्रवादियों ने स्वचालित शस्त्रों से प्रचंड फायरिंग की और रॉकेट लॉंचर से रॉकेट दागे, जिससे संकीर्ण मार्ग होने से पीछे के सुरक्षा वाहन को अवरुद्ध कर दिया गया। राइफलमैन नेमी चंद और उनके साथी इसी पिछले सुरक्षा वाहन में थे। गोलियों की तड़तड़ाहट सुनकर राइफलमैन नेमी चंद और उनके साथी अभीत होकर वाहन से कूद पड़े और शत्रु के घात को तोड़ते हुए वीरता से पलटवार किया और चलते हुए फायरिंग की।
भीषण मुठभेड़ में, राइफलमैन नेमी चंद की जांघों पर अनेक गोलियां लग गई। गंभीर रूप से घायल होते हुए भी, वह रेंगते हुए रॉकेटों के फायर से धधकते एक वाहन की ओर बढ़े। राइफलमैन नेमी चंद ने अपनी फायरिंग से तीन उग्रवादियों को गंभीर घायल कर दिया, जिससे शेष उग्रवादी भागने पर विवश हो गए। उसी समय, घात की सूचना प्राप्त होने से 7 सिख बटालियन का एक सुदृढ़ीकरण दल उनकी सहायता के लिए वहां पहुंच गया था।
अत्यंत घायलावस्था में भी राइफलमैन नेमी चंद को शत्रु पर फायरिंग करते हुए देखकर 7 सिख के कंपनी कमांडर ने उन्हें "वीर चक्र" के लिए अनुसंशित किया। यद्यपि राइफलमैन नेमी चंद को वहां से निकाला गया, किंतु अथक प्रयासों के उपरांत भी घातक आघातों से वह वीरगति को प्राप्त हो गए।
राइफलमैन नेमी चंद की त्वरित प्रतिक्रिया और अटल वीरता ने उस CONVOY के अनेक भारतीय और श्रीलंकाई सैनिकों के जीवन की प्रभावी ढंग से रक्षा की। 26 जनवरी 1991 को उन्हें मरणोपरांत "वीर चक्र" से सम्मानित किया गया।
चित्र गैलरी
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राइफलमैन नेमी चंद का स्मारक
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बटालियन की युद्ध पुस्तिका में नेमी चंद की वीरता का वर्णन
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बटालियन की युद्ध पुस्तिका में नेमी चंद की वीरता का वर्णन
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स्रोत
बाहरी कड़ियाँ
संदर्भ
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