Pratap Mal Gora: Difference between revisions
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[[Gora|गौर गोरा अथवा गौर]] जाट क्षत्रिय समुदाय का एक अंग थे, और अब भी राजपूताने में वे इसी नाम से पुकारे जाते हैं। [[Ajmer|अजमेर]] के पास ही [[Beawar|व्यावर]] में [[Pratap Mal Gora|प्रतापमलजी गोरा]] को आज भी ढूंढ सकते हैं। गामों से जाकर उनसे पूछिये कि आपकी क्या जाति है? वे कहेंगे गोरा। ब्राह्ममण, बनिये में से क्या है? तब वे कहेंगे जाट। [[Ajmer|अजमेर]]-[[Kishangarh|किशनगढ़]], [[Udaipur|उदयपुर]] और [[Mandsaur|मन्दसौर]] आदि के जिलों के जाटों से हमें मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। पूछने पर वे अपनी जाति के बजाय वंश (गोत्र) का नाम बताते हैं। यही बात देहाती राजपूतों में भी बहुत अंश में पाई गई। वे भी अपने को राजपूत की अपेक्षा [[Rathor|राठोर]], [[Gahlot|गहलौत]] आदि (वंश का नाम) बताते हैं। यही कारण था कि लोगों ने '''गोर''' या '''गौर''' को कुछ का कुछ समझने की गलती की।<ref> [[Jat History Thakur Deshraj/Chapter IX]], p. 593 </ref> | [[Gora|गौर गोरा अथवा गौर]] जाट क्षत्रिय समुदाय का एक अंग थे, और अब भी राजपूताने में वे इसी नाम से पुकारे जाते हैं। [[Ajmer|अजमेर]] के पास ही [[Beawar|व्यावर]] में [[Pratap Mal Gora|प्रतापमलजी गोरा]] को आज भी ढूंढ सकते हैं। गामों से जाकर उनसे पूछिये कि आपकी क्या जाति है? वे कहेंगे गोरा। ब्राह्ममण, बनिये में से क्या है? तब वे कहेंगे जाट। [[Ajmer|अजमेर]]-[[Kishangarh|किशनगढ़]], [[Udaipur|उदयपुर]] और [[Mandsaur|मन्दसौर]] आदि के जिलों के जाटों से हमें मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। पूछने पर वे अपनी जाति के बजाय वंश (गोत्र) का नाम बताते हैं। यही बात देहाती राजपूतों में भी बहुत अंश में पाई गई। वे भी अपने को राजपूत की अपेक्षा [[Rathor|राठोर]], [[Gahlot|गहलौत]] आदि (वंश का नाम) बताते हैं। यही कारण था कि लोगों ने '''गोर''' या '''गौर''' को कुछ का कुछ समझने की गलती की।<ref> [[Jat History Thakur Deshraj/Chapter IX]], p. 593 </ref> | ||
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Latest revision as of 16:09, 1 February 2018
Pratap Mal Gora (चौधरी प्रताप मल्ल जी गोरा) was a social worker from Gora clan from Delwara, Beawar in Ajmer district. [1]
He was working member of Rajasthan Jat Mahasabha.[2]
जाट जन सेवक
ठाकुर देशराज[3] ने लिखा है ....[पृ.112]: ब्यावर में श्री किशन लाल जी बाना के साथियों में रामप्रसादजी रामगोपाल जी और कनीराम जी समाज सुधार के कामों में सदैव कोशिश करते रहे हैं। यही पर से चौधरी प्रतापमल्ल जी गोरा है। जो अच्छे व्यवसाई होने के कारण मशहूर है। सरकारी मुलाजमत करते हुए जितना भी बन पड़ा हृदय से कौम का काम करने वालों में दोनों छोगालाल जी साहब और हललाल सिंह जेलर का नाम उल्लेखनीय है। इन सभी के दिल में कौम की उन्नति देखने की साध है।
जीवन परिचय
इतिहास
गौर गोरा अथवा गौर जाट क्षत्रिय समुदाय का एक अंग थे, और अब भी राजपूताने में वे इसी नाम से पुकारे जाते हैं। अजमेर के पास ही व्यावर में प्रतापमलजी गोरा को आज भी ढूंढ सकते हैं। गामों से जाकर उनसे पूछिये कि आपकी क्या जाति है? वे कहेंगे गोरा। ब्राह्ममण, बनिये में से क्या है? तब वे कहेंगे जाट। अजमेर-किशनगढ़, उदयपुर और मन्दसौर आदि के जिलों के जाटों से हमें मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। पूछने पर वे अपनी जाति के बजाय वंश (गोत्र) का नाम बताते हैं। यही बात देहाती राजपूतों में भी बहुत अंश में पाई गई। वे भी अपने को राजपूत की अपेक्षा राठोर, गहलौत आदि (वंश का नाम) बताते हैं। यही कारण था कि लोगों ने गोर या गौर को कुछ का कुछ समझने की गलती की।[4]
संदर्भ
- ↑ Jat History Thakur Deshraj/Chapter IX, p. 593
- ↑ Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.112
- ↑ Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.112
- ↑ Jat History Thakur Deshraj/Chapter IX, p. 593
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