Kandahar Maharashtra: Difference between revisions
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[[Vijayendra Kumar Mathur|विजयेन्द्र कुमार माथुर]]<ref>[[Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur]], p.</ref> ने लेख किया है ...[[Kandhar Durg|कंदहार दुर्ग]] ([[AS]], p.122) महाराष्ट्र राज्य के [[Nander|नांदेड़]] ज़िले में स्थित पर कंदहार नरेश सोमदेव का बनाया हुआ प्राचीन दुर्ग है। मालखेड़ के राष्ट्रकूट नरेश कृष्ण तृतीय ने इस दुर्ग का विस्तार करवाया था और [[Kandaharapura|कंदहारपुर]] के स्वामी की उपाधि ग्रहण की थी। दुर्ग में [[Muhammad Tughlak|मुहम्मद बिन तुग़लक़]], [[इब्राहिम आदिलशाह]] और [[Aurangzeb|औरंगज़ेब]] के समय के अभिलेख हैं। अभिलेखों पर उनके निर्माताओं के नाम खुदे हैं। जामा-मस्जिद पर इब्राहिम आदिलशाह और निजामशाह के अभिलेख हैं। कंदहार में प्राचीन [[Jain|जैन]] एवं [[Buddhist|बौद्ध]] मंदिर भी हैं। इस दुर्ग के भीतर कई तुर्की तोपें भी रखी हुई हैं। | [[Vijayendra Kumar Mathur|विजयेन्द्र कुमार माथुर]]<ref>[[Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur]], p. 122</ref> ने लेख किया है ...[[Kandhar Durg|कंदहार दुर्ग]] ([[AS]], p.122) महाराष्ट्र राज्य के [[Nander|नांदेड़]] ज़िले में स्थित पर कंदहार नरेश सोमदेव का बनाया हुआ प्राचीन दुर्ग है। मालखेड़ के राष्ट्रकूट नरेश कृष्ण तृतीय ने इस दुर्ग का विस्तार करवाया था और [[Kandaharapura|कंदहारपुर]] के स्वामी की उपाधि ग्रहण की थी। दुर्ग में [[Muhammad Tughlak|मुहम्मद बिन तुग़लक़]], [[इब्राहिम आदिलशाह]] और [[Aurangzeb|औरंगज़ेब]] के समय के अभिलेख हैं। अभिलेखों पर उनके निर्माताओं के नाम खुदे हैं। जामा-मस्जिद पर इब्राहिम आदिलशाह और निजामशाह के अभिलेख हैं। कंदहार में प्राचीन [[Jain|जैन]] एवं [[Buddhist|बौद्ध]] मंदिर भी हैं। इस दुर्ग के भीतर कई तुर्की तोपें भी रखी हुई हैं। | ||
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Revision as of 05:07, 1 March 2019
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Kandhar Fort (कंदहार दुर्ग) is in Nander district of Maharashtra.
Origin
Variants
- Kandhar Durg (कंदहार दुर्ग) (जिला नांदेड़ , महा.) (AS, p.122)
- Kandahar Fort (कंदहार दुर्ग) (AS, p.122)
- Kandaharapura (कंदहारपुर) (AS, p.122)
History
कंदहार दुर्ग
विजयेन्द्र कुमार माथुर[1] ने लेख किया है ...कंदहार दुर्ग (AS, p.122) महाराष्ट्र राज्य के नांदेड़ ज़िले में स्थित पर कंदहार नरेश सोमदेव का बनाया हुआ प्राचीन दुर्ग है। मालखेड़ के राष्ट्रकूट नरेश कृष्ण तृतीय ने इस दुर्ग का विस्तार करवाया था और कंदहारपुर के स्वामी की उपाधि ग्रहण की थी। दुर्ग में मुहम्मद बिन तुग़लक़, इब्राहिम आदिलशाह और औरंगज़ेब के समय के अभिलेख हैं। अभिलेखों पर उनके निर्माताओं के नाम खुदे हैं। जामा-मस्जिद पर इब्राहिम आदिलशाह और निजामशाह के अभिलेख हैं। कंदहार में प्राचीन जैन एवं बौद्ध मंदिर भी हैं। इस दुर्ग के भीतर कई तुर्की तोपें भी रखी हुई हैं।