Malsisar Jhunjhunu

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Location of Malsisar in Jhunjhunu district

Malsisar (मलसीसर) is village in Jhunjhunu tahsil & district in Rajasthan.

Jat Gotras

History

शेखावाटी किसान आन्दोलन के दौरान जयपुर के नए 24 दिसंबर 1934 के अध्यादेश में हैड कांस्टेबल तक को अधिकार प्राप्त गो गया कि वह जिसे चाहे लगान बंदी के प्रचार करने के बहाने गिरफ्तार करले. ठिकानेदारों ने इस कानून का खूब लाभ उठाया. इसके अंतर्गत इस गाँव के कुछ लोगों को गिरफ्तार किया गया उनके नाम इस प्रकार हैं [1], [2]:

  • महा सिंह मलसीसर

मलसीसर में किसान सम्मलेन

21 नवम्बर 1945 को प्रजामंडल ने जयपुर स्टेट से बातें करने के लिए एक उपसमिति का गठन किया. इसके संयोजक विद्याधर कुलहरी बनाये गए. दो सदस्य थे - सरदार हरलाल सिंह और नरोत्तम जोशी. पंडित ताड़केश्वर उपसमिति के मंत्री एवं सत्यदेव सिंह देवरोड़ आफिस इंचार्ज बनाये गए. इस उपसमिति ने जयपुर दरबार से बातचीत की परन्तु उनके कान पर जूं नहीं रेंगी. तब सरदार हरलाल सिंह, चौधरी घासी राम, नेतराम सिंह आदि ने गाँवों में तूफानी दौरे शुरू किये. किसानों को सावधान किया कि खतौनियों में दर्ज लगान से अधिक लगान बिलकुल न दें. ठिकाने दारों द्वारा प्रतिदिन किसानों को परेशान किया जाने लगा. 19 दिसंबर 1945 को चौधरी घासीराम ने झुंझनु जिले के मलसीसर गाँव में किसानों का विशाल जलसा आयोजित किया. पंडित हीरा लाल शास्त्री ने इस सम्मलेन कि अध्यक्षता की. झुंझुनू, सीकर एवं चूरू जिले से करीब दस हजार किसान इस सम्मलेन में उपस्थित हुए.

प्रसिद्ध भजनोपदेशक पृथ्वी सिंह बेधड़क, जीवन राम, मोहर सिंह, देवकरण पालोता, सूरजमल साथी आदि ने ऐसे गीत प्रस्तुत किये कि जानलेवा जाड़े के बावजूद किसान आधीरात तक डटे रहे. मलसीसर अति पिछड़े क्षेत्र में आता है. यहाँ के निवासियों ने प्रथम बार इतना बड़ा सम्मलेन देखा.

मलसीसर का ठाकुर असभ्य और क्रूर समझा जाता था. वह अन्य ठाकुरों से दुगुना लगान वसूल करता था. किसानों में वह फूट पैदा कर अपना स्वार्थ पूरा करता था.उसी मलसीसर में, ठीक गढ़ के सामने, चौधरी घासी राम ने किसानों का जलसा कर ठाकुर को सीधी चुनौती दी थी.

पंडित हीरालाल शास्त्री को दिन के बारह बजे ही सम्मलेन स्थल पर पहुँचाना चाहिए था. जाड़े का मौसम था. घासी राम की योजना थी कि चार बजे तक सम्मलेन समाप्त हो जायेगा. इससे किसान रात होने से पूर्व ही अपने अपने घरों में चले जायेंगे. दूर के किसानों के ठहराने की व्यवस्था थी. जिस समय चूरू जिले के गाँव दूधवा खारा के किसान नेता हनुमान सिंह बुडानिया मंच से भाषण कर रहे थे, ठाकुर के कारिंदे हथियारों से लैस होकर गढ़ के बाहर आ गए. सभा में कानाफूसी होने लगी. हनुमान सिंह को समझते देर नहीं लगी. उन्होंने अपनी आवाज ऊँची करते हुए कहा, 'किसानो, तुम, क्यों चिंता करते हो? तुम लोग तो जमीन पर बैठे हो. मैं मंच पर खड़ा हूँ. ठाकुर की पहली गोली मुझे ही लगेगी. लेकिन मैं कहना चाहता हूँ कि अब इन बंदूकों में जान नहीं है.'

कुम्भाराम आर्य ने भाषण दिया और कहा, 'किसानों, इन जागीरदारों से डरने की जरुरत नहीं है. परिवर्तन का शंख बज चुका है. ठाकुरों की तलवारों में जंग लग चुकी है. बंदूकों में पानी भर गया है. मैं ठाकुरों को चेतावनी देता हूँ कि वे अब समय की आवाज सुनें. अब किसानों को जानवर नहीं अन्नदाता समझें. तुम स्वयं को अन्नदाता समझना छोड़ दो. अब तुम्हारे पाप का घड़ा भर चूका है.'

सम्मलेन स्थल पर उस दिन किसानों में चर्चा हुई कि नरोत्तम जोशी जान बूझकर शास्त्री और हरलाल सिंह को विलम्ब से लाये. इसका कारण बताया जाता है कि जोशी चौधरी घासी राम से उनकी अधिक लोकप्रियता के कारण ईर्ष्या करते थे और सम्मलेन को असफल बनाना चाहते थे. बार-बार किसानों का मुद्दा उठाना जोशी को अच्छा नहीं लगता था. सम्मलेन के संयोजक चौधरी घासीराम ही थे. जोशी की यह सोच बताई जाती है कि लेट होने से रात को किसान सर्दी में भूखे रहेंगे और घासी राम पर क्रुद्ध होंगे. यह ईर्ष्या संगठन के लिए खतरनाक थी.

सम्मलेन समाप्त होने के बाद पंडित नरोत्तम जोशी ने चौधरी घासी राम को एक और लेकर कहा, 'तुमने इतनी भीड़ इकट्ठी करली, अब ये लोग तुम्हें भूखे पेट गलियां देते जायेंगे. इनके खाने की कोई व्यवस्था हो नहीं सकती.' चौधरी घासीराम इनके विलम्ब से आने पर पहले ही नाराज थे. झुंझलाकर बोले, 'तुम अपनी करलो. मेरा नाम घासीराम है. एक भी ऊँट या किसान यहाँ से भूखा नहीं जायेगा.'

बड़े सभी नेता मलसीसर से खिसक लिए. घासीराम ने हाड़तोड़ शर्दी में कड़क आवाज में कहा, 'सभी किसान खाना खाकर जायेंगे. ऊंटों के लिए चारे की व्यवस्था है.'

Notable persons

External links

References

  1. लोकमान्य 4 फ़रवरी 1935
  2. डॉ पेमाराम: शेखावाटी किसान आन्दोलन का इतिहास, 1990, p. 146

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