Babu Lal Puniya
Babu Lal Puniya (Sepoy) (15.03.1978 - 21.08.2002) became martyr on 21.08.2002 in Rajauri sector of Jammu and Kashmir fighting with militants. He was from Bai village in Nawalgarh tahsil of Jhunjhunu district of Rajasthan. Unit: 45 Rashtriya Rifles/4 Jat Regiment.
सिपाही बाबू लाल पूनिया
सिपाही बाबू लाल पूनिया
15-03-1978 - 21-08-2002
सर्विस नं - 3188795
वीरांगना - श्रीमती सुनीता देवी
यूनिट - 45 राष्ट्रीय राइफल्स/4 जाट रेजिमेंट
आतंकवाद विरोधी अभियान
सिपाही बाबू लाल का जन्म 15 मार्च 1978 को राजस्थान के झुंझुनूं जिले की नवलगढ़ तहसील के बाय गांव में श्री मनरूपा राम पूनिया एवं श्रीमती सुरजी देवी के परिवार में हुआ था। शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात 28 अक्टूबर 1995 को वह भारतीय सेना की जाट रेजिमेंट में रंगरूट के रूप में भर्ती हुए थे। प्रशिक्षण के पश्चात उन्हें 4 जाट बटालियन में सिपाही के पद पर नियुक्त किया गया था।
सिपाही बाबू लाल ने अपने सेवाकाल में भिन्न-भिन्न परिचालन परिस्थितियों और स्थानों पर सेवाएं प्रदान की थी। उन्होंने 'ऑपरेशन रक्षक' और 1999 के कारगिल युद्ध के 'ऑपरेशन विजय' में काकसर सेक्टर में सेवाएं प्रदान की थी। वर्ष 2002 में उन्हें पुनः जम्मू-कश्मीर के आतंकवाद विरोधी अभियान के अंतर्गत 'ऑपरेशन रक्षक' में 45 राष्ट्रीय राइफल्स बटालियन के साथ प्रतिनियुक्त किया गया था।
21 अगस्त 2002 की रात्रि को, पुंछ जिले की सूरनककोट तहसील के भट्टावाली मोहल्ला, MY 1964 में आतंकवादियों की उपस्थिति से संबंधित विश्वसनीय सूचना प्राप्त हुई। सूचना के आधार पर 45 राष्ट्रीय राइफल्स बटालियन की एक टुकड़ी द्वारा वहां खोज अभियान चलाया गया। सिपाही बाबू लाल भी इस खोज टुकड़ी के सदस्य थे।
खोज के समय रात्रि के 11:15 बजे आतकंवादियों ने अंधाधुंध गोलीबारी आरंभ कर दी। जिसके परिणामस्वरूप वहां भीषण मुठभेड़ आरंभ हो गई। इस मुठभेड़ में असाधारण साहस, दृढ़ निश्चय एवं वीरता से संघर्ष करते हुए, सिपाही बाबू लाल को दांए कंधे व छाती पर गोलियां लगीं। वह गंभीर रूप से घायल हो गए और अंततः वीरगति को प्राप्त हुए।
गांव में इनका स्मारक बना कर भव्य प्रतिमा स्थापित की गई है।
शहीद को सम्मान
गांव में इनका स्मारक बना कर भव्य प्रतिमा स्थापित की गई है।
चित्र गैलरी
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सिपाही बाबू लाल पूनिया की भव्य प्रतिमा
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सिपाही बाबू लाल पूनिया की भव्य प्रतिमा
स्रोत
बाहरी कड़ियाँ
संदर्भ
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