Nawalgarh

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Author: Laxman Burdak IFS (R)

Location of Nawalgarh in Jhunjhunu district

Nawalgarh (नवलगढ) is a town and tahsil in Jhunjhunu district in Rajasthan. Its original name was Rohili (रोहिली).

Founders

It was inhabited by Rohela (रोहेला) Jats.

History

Thakur Nawal Singh , son of Shardul Singh , constructed a fort in Jhunjhunu district of Rajasthan on magha shukla 2 samvat 1794 (1738 AD) at place called Rohili (रोहिली) and named it Nawalgarh after him. Thakur Nawal Singh took part in many wars like Gagwana, Bahal, Sihani and Dhundh. He also constructed a fort on the habitation of Mandu Jat and named it Mandawa in vikram samvat 1812 (1755 AD). [1]

नवलगढ़ का इतिहास

रामेश्वरसिंह[2] ने लेख किया है....भोजासर गांव के बसने की निश्चित तिथि असाढ़ बदी 1 संवत 1632 (=1575 ई.) बताई जाती है।

भोजासर गांव को बसाने वाला भोजा नाम का व्यक्ति था जो जाट जाति के मील गोत्र का था। उसके नाम पर इस गांव का नाम भोजासर पड़ा। भोजासर बसाने से पहले भोजा व उनके पूर्वज रोहिली ग्राम में रहते थे । रोहिली गांव झुंझुनूसीकर के लगभग बीच में स्थित था। सामरिक दृष्टि से इसकी स्थिति बहुत महत्वपूर्ण थी। राजा नवल सिंह ने अपने शासनकाल में यहां एक गढ़ का निर्माण कराया तथा इस गांव का नाम बदलकर नवलगढ़ रख दिया जो कालांतर में झुंझुनू जिले का प्रमुख व्यवसायिक एवं शैक्षणिक केंद्र बन गया । रोहिली गांव में भोजा के पूर्वजों ने एक बावड़ी का निर्माण करवाया था जो कुछ समय पूर्व तक नवलगढ़ में मौजूद थी। नवलगढ़ के बावड़ी गेट का नाम भी इस बावड़ी के कारण है।


शेखावाटी के गांधी अमरशहीद करणीराम, पृष्ठांत-1

सामरिक केंद्र होने के कारण भोजा के पूर्वजों ने शांतिपूर्वक जीवन यापन के लिए रोहिली गांव छोड़ दिया और वर्तमान सीकर जिले के कोलिडा गांव में बस गए। कोलिंडा ग्राम सीकर के अधीन था। इस गांव में अधिकांश मील गोत्र के जाट परिवार रहते थे। सीकर के राव राजा का वहां के जाटों के साथ सदा ही टकराव रहा। दिन प्रतिदिन के अत्याचारों से तंग आकर भोजा ने कोलिंडा गांव भी छोड़ दिया तथा झुंझुनू के कायमखानियों के अधीन किसी क्षेत्र में आकर बस गए जिसे अब भोजासर कहा जाता है।

नवलगढ़ परिचय

नवलगढ़ झुंझुनू ज़िला, राजस्थान की तहसील है। यह मुकुन्दगढ़ के उत्तर में पन्द्रह किलोमीटर और डुण्डलोद से दस किलोमीटर दूर स्थित है। 18वीं शताब्दी में स्थापित इस गढ़ में शेखावाटी प्रदेश की कुछ अत्यंत सुंदर कलाकृतियाँ मौजूद हैं।

इतिहास: नवलगढ़ की स्थापना ठाकुर नवल सिंह बहादुर ने 1737 ई. में की थी। मारवाड़ी समुदाय के कई महान् व्यापारिक परिवार नवलगढ़ मूल के हैं। नवलगढ़ उच्च दीवारों और अलग-अलग दिशाओं में चार फाटकों, अगूना दरवाज़ा, बावड़ी दरवाज़ा, मंडी दरवाज़ा और नानसा दरवाज़ा से मिलकर सुसज्जित घेरे में सुरक्षित किया गया था।

पर्यटन स्थल: रंग-बिरंगा बाज़ार तथा अनगिनत हवेलियाँ और महीन वास्तुकला के साथ यहाँ का विशाल क़िला इस जगह को रोचक दर्शन स्थल बनाते हैं। यहाँ कुछ मुख्य हवेलियाँ हैं, जैसे- आनंदीलाल पोद्दार हवेली, आठ हवेली, होड़ राज पटोदिया हवेली, जहाँ पर्यटक जा सकते हैं। यहाँ पर दो क़िले भी हैं। महल का होटल रुप निवास एक सुंदर विरासत संपत्ति है और यहाँ आधुनिक सुविधायें उपलब्ध हैं। इस महल में विशाल रंगीन कमरें, आरामदेह व्यवस्था, अदब के साथ आतिथ्य तथा संकल्पना पर आधारित शाम का मनोरंजन और साथ में भोजन भी उपलब्ध है।

नवलगढ़ का क़िला वर्ष 1737 में स्थापित किया गया था। यह अब काफ़ी हद तक खंड़हर बन चुका है। अग्नेय दिशा में केवल एक ही कमरें में सुंदर मीनाकारी तथा पुराने जयपुर तथा नवलगढ़ के चित्र हैं। यहाँ जाने के लिये एक मिठाई की दुकान से होकर गुजरना होता है, जिसके लिए शुल्क देना पड़ता है। इस क़िले का बाकी हिस्सा एक बहुत बड़ा फल तथा सब्जियों का बाज़ार और दो बैंक इस्तेमाल करती हैं।

हवेलियाँ: नवलगढ़ क़िले के पश्चिम में हवेलियों का एक समूह है, जिसे 'आठ हवेलियाँ' कहते हैं। इन हवेलियों पर बनी नक़्क़ाशी आधुनिकता के साथ मेल खाती है। एक चित्र में भाप का इंजन है तो अन्य में बड़े हाथी, घोड़े तथा ऊँट की प्रतिमायें हैं। इन हवेलियों के सामने है मोरारका हवेली, जिसमें कुछ बहुत ही सुंदर चित्र हैं। इसमें भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी कथाओं पर आधारित सूक्ष्म चित्र भी हैं। इस हवेली में कोई नहीं रहता तथा उसका आंगन हमेशा बंद रहता है। महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम के समय इसे खोला जाता है। उत्तर दिशा में है हेमराज कुलवाल हवेली, जो 1931 में बनवाई गई थी। इस हवेली के द्वार पर गांधीजी तथा जवाहरलाल नेहरू के साथ कुलवाल परिवार के सदस्यों के चित्र हैं। अन्य देखने लायक़ हवेलियों हैं- भगतों की छोटी हवेली, परशुरामपुरिया हवेली, धारनी धाकरा हवेली, चौछारिया हवेली, हीरा लाल सरावगी हवेली, गीवराजका हवेली. डॉ. रामनाथ पोद्दार हवेली संग्रहालय, इन सभी में भित्ती चित्रों की देखभाल की जाती है तथा नये चित्र शामिल होते रहते हैं। [3]

Jat Gotras

Villages in Nawalgarh tahsil

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Notable persons

  • Subhash Punia - SHO, Rajasthan Police, Kota.

Deokaran Singh Punia Dy.GM BSNL

External links

References

  1. रतन लाल मिश्र:शेखावाटी का नवीन इतिहास, कुटीर प्रकाशन मंडावा, १९९८, पृ. १७१
  2. Rameshwar Singh Meel:Shekhawati Ke Gandhi Amar Shahid Karni Ram/Janm, Shaishav Aur Shiksha,pp.1-2
  3. भारतकोश-नवलगढ़

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