Baderan

From Jatland Wiki
Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Baderan (बड़ेरण) is a village in Lunkaransar tehsil of Bikaner district in Rajasthan.

Founders

Jat gotras

History

Nathu Dhatarwal married with Rupa Godara daughter of Narsi Godara at Baderan (Bikaner) in VS 1406 (= 1349 AD) on Akshaya Tratiya.

धतरवाल गोत्र के इतिहास में गोदारा

धातरी में धतरवालसींवर बराबर अनुपात में रहते थे. धतरवालों व सींवरों में युद्ध हुआ और युद्ध के पश्चात नाथूदादा परिवार सहित धातरी से प्रस्थान कर गए.

नाथूजी धतरवाल बड़ेरण (बीकानेर) में रूके :

लुणकरणसर से आगे चलकर नाथुजी वर्तमान बड़ेरण गांव (बीकानेर) में जाकर रूके। यहां आते ही उन्हें सबसे पहले जल की भारी कमी की समस्या का सामना करना पड़ा। तत्कालीन समय में तकनीकी व संसाधनों के अभाव में रेगिस्तान में पानी ढूंढना बड़ा कठिन काम था। । बडेरण गांव से 10-10 कोस दूर कुछ स्थानों से ऊँटों पर पानी लाया जाता था। दादा मांगीराम जी ने अपने परिवार की महिलाओं को गांव से पानी लाने भेजा लेकिन किसी ने उन्हें पानी नहीं भरने दिया। जब महिलाएं खाली मटके लेकर आई तो मांगीरामजी ने कहा अब क्या होगा ? गर्मी के कारण बच्चे, गायें, वैलिये सब पानी के लिए व्याकुल थे।

नाथू ने यह सुनकर मां दुर्गा का स्मर्ण किया तो दुर्गा ने आकाशवाणी की - "नाथू घबराओं मत! जहां तू बैठा है वहां से उत्तर दिशा में दस कदम पर एक कुएँ की नाल है, शिला है उसमें मीठा पानी है।" नाथूजी ने दस कदम चलकर अपने भाइयों से मिट्टी हटवाई। वहां खुदाई में मीठा पानी मिला। सभी ने खुशी प्रकट की, उसी गांव के गोदारा परिवार की बहू बेटी खेत में सूड़ करके वापस लौट रही थी तब उन्होने पास पानी से भरे तालाब को देखना चाहा। ननंद, भोजाई से पहले घर आ गई और भोजाई उन लोगों को देखने चली गई जिन्होंने वह कुआं खोदा था। जब वह घर लौटी तो घरवालों ने उसे घर से निकाल दिया। वह रोती-बिलखती नाथुजी के पड़ाव पर जा पहुंची। मांगीरामजी ने उसके सर पर हाथ रखकर धर्म की बेटी मानकर अपने पड़ाव पर बैठा दी। उसकी सास ने बडेरण के चौधरी नरसी जी से कहा कि हमारी बहु को तो पड़ाव वाले ले गए। वडेरण चौधरी नरसी गोदारा ने गांव वालों से कहा कि आप लोग जैसा सोच रहे हो वैसा नहीं है। वे तो कोई महान पुरुष ही हैं क्योंकि उन्होंने रातोंरात कुआँ खुदवा लिया है। हम जाकर उनसे मिलते हैं। जब नरसी गोदारा अपने लोगों के साथ पड़ाव पर पहुंचे तो मांगीराम जी ने उनका आदर सत्कार किया तथा सच्चाई बताई। जब नरसी ने नाथुजी को देखा तो उन्होंने मांगीराम जी से उनका परिचय पूछा। मांगीरामजी ने कहा कि यह मेरा पोता है। नरसी जी ने कहा कि मैं अपनी पुत्री का ब्याह आपके पोते नाथुजी से करना चाहता हूं। । मांगीराम जी ने कहा कि हमारे पास तो अपनी जमीन भी नहीं है। विवाह कैसे कर सकते हैं। नरसीजी ने कहा कि आपका घोड़ा सूर्योदय से सूर्यास्त तक चलकर नापले वह जमीन आपकी होगी। मांगीराम जी ने रिश्ता स्वीकार कर लिया।

नाथूदादा ने अनुरोध स्वीकार कर अपने चाचा के साथ क्षेत्र का भ्रमण किया तो मालूम पड़ा कि यह क्षेत्र तो वही है जो कुछ समय पहले उन्हें माँ ने सपने में दिखाया था। फिर क्या था, नाथू दादा को अपनी मंजिल मिल गई तथा वे इस रेगिस्तान को नखलिस्तान (हरा-भरा) बनाने में लग गए। वि. सं. 1406 (= 1349 ई.) को आखातीज के दिन नाथूदादा का विवाह नरसीजी गोदारा की बेटी रूपों के साथ सम्पन्न हुआ।

स्रोत: धतरवाल गोत्र का इतिहास

Population

Notable person

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References


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