Basera Muzaffarnagar
For Basera gotra, please see Basera
Basera (बसेड़ा) is a large village in Muzaffarnagar tahsil of Muzaffarnagar district in Uttar Pradesh
Location
Pincode of the village is 251310. It is situated 28km away from Muzaffarnagar city. Basera village has got its own gram panchayat. Bhainser Heri, Samarthi and Tajelhera are some of the nearby villages.
Origin
The Founders
History
Comments by Ajeet Deswal
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नमस्कार मेरा नाम अजीत देशवाल है. मैं ग्राम बसेरा जिला मुजफ्फरनगर का रहने वाला हूँ.
श्री कप्तान सिंह जी एक बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं जिसमें वह देशवाल गोत्र के गाँवों के बारे में सूचना देते हैं। यह बहुत ही सराहनीय है। उन्होंने गांव, गांव जाकर सूचना एकत्रित की है और यह उनका देशवाल गोत्र के लिए एक बहुत बड़ा योगदान है। अभी हाल में उन्होंने मेरे ग्राम के बारे में जानकारी दें। उसमें बसेड़ा के बारे में साझा की गई सारी जानकारी के बारे में, मैं टिप्पणी करना चाहूंगा। जो इस प्रकार है।
पहला तो यह है कि उन्होंने गांव का नाम रानी का बसेडा लिखा है। यह अधिकारिक नाम नहीं है, ना ही यह नाम सरकारी दस्तावेज में है। इस ग्राम का नाम बसेडा़ है कभी लोग इसको बसेड़ा (रानी का) ब्रैकेट के अंदर लिखते थे लेकिन अब यह प्रचलन नहीं है क्यूँ कि यह आधिकारिक नाम नहीं है. इसलिए इस गांव को रानी बसेडा़ कहना उचित नहीं है। उसके बाद उन्होंने इस ग्राम के बारे में कुछ चीजें बतलाई है। जैसे हरियाणा से चल के एक परिवार बसेडा़ में आया और उनके बैलों और एक सांड के बारे में भी उन्होंने एक किवदंती बतलाई।
दरअसल बात यह है कि दो भाई अपनी गाड़ी में हरियाणा से ही चले होंगे, जिनका नाम रुन्डा और सुन्डा बताया जाता है। उनमें से एक विवाहित थे और एक अविवाहित। उनके गंतव्य स्थान की कोई जानकारी नहीं है, लेकिन यह जानकारी जो हमने पीढ़ी दर पीढ़ी अपने बुजुर्गों से और हमारे बुजुर्गों ने अपने बुजुर्गों से सुनी वह इस प्रकार है कि आज बसेडा़ ग्राम स्थित है, वहां आकर उनका एक बैल गुजर गया। अब शायद वह दूसरे बैल का प्रबंध नहीं कर सके या उन्होंने सोचा कि यही डेरा डाल लिया जाए तो उन्होंने वहीं डेरा डाल लिया। जैसा कप्तान सिंह जी ने कहा कि वह पानी की खोज में थे। यहां पर यह बात बतला देना उचित है कि ग्राम बसेडा़ में गंगनहर आने से पहले पानी की बहुत कमी थी। गांव बस जाने के बाद दो कुए बनाए गए थे। जिनको दो बड़े कुए बोला जाता है। बुजुर्ग लोग ऐसे बतलाते हैं कि प्रात काल ब्रह्म मुहूर्त में जाकर ही जिसने यहां पानी भर लिया, उसको पानी मिलता था, उसके बाद ही कुआ सुख जाता था. गंग नहर के निर्माण के बाद इस गांव में पानी का स्तर बढ़ा । मैंने अपने परिवार के फैमिली ट्री जो मेरे बुजुर्गों ने हाथ से बनाया था, उर्दू में उसको अब पूरा किया है और इसमें अगर उन दो भाइयों से गिनती की जाए तो शायद 10 वीं या 11 वीं पीढ़ी है एक पीढ़ी मे अनुमानित 25 से 30 वर्ष का समय माना जाता है। इसका मतलब यह हुआ कि यह बात ढाई सौ से 275 साल पुरानी बातें हैं। दूसरी बात उन्होंने जो एक कहीं कि इसको एक रानी जो देशवाल गोत्र की थी दादी रानी बोला है। उन्होंने यहां से एक मुस्लिम जागीरदार को जो शिया मुस्लिम था, उसको यहां से भगाया था। मेरे विचार से इसमें सत्यता प्रतीत नहीं होती। उसका कारण यह है कि आज भी ग्राम बसेडा़ में कोई शिया परिवार मूल रूप से बसेडा़ का रहने वाला नहीं है। केवल तीन चार परिवार हैं जो पास के गांव सीकरी जो शिया मुस्लिम का गाँव है, वहां से आए थे। उनमें से एक हकीम थे और वह हकीमगरी करने के लिए बसेडा़ में आए थे क्योंकि बसेडा़ बड़ा गांव है। इस बात की कल्पना करना थोड़ा मुश्किल है कि एक ग्राम जिसका जागीरदार शिया मुसलमान रहा हो उसमें कोई शिया परिवार आकर नहीं रहा दूसरे जब यह दो भाइयों की जोड़ी बसेडा़ में आकर बैल की मृत्यु के बाद डेरा डाल के रहने लगे तो यह कहना मुश्किल है कि उस वक्त यहां लोग रहते थे या उन्होंने ही इस को बचाया। बात यह है कि उनके बसने के बाद ही यह गांव बसना शुरू हुआ होगा। आज बसेडा़ में जितने भी देशवाल परिवार हैं, वह सब उसी बाबा की संताने हैं अर्थात करीब ढाई सौ वर्ष पूर्व वंश बेल शुरू हुई.
यहां केवल एक देशवाल परिवार था और धीरे-धीरे वह परिवार बड़ा होता रहा और उनके आगे परिवार का विस्तार होता रहा तो ऐसी कल्पना करना मुश्किल है कि ये परिवार उस समय संख्या बल में इतना हो गया कि, शिया मुस्लिम जागीरदार को उन्होंने उसको वहां से भगा दिया। इसके आगे उन्होंने इस बात को बताया कि यह गांव जिसको की रानी का बसेडा़ हैं, वह दादी रानी जो देशवाल गोत्र के थे, उनके नाम पर पड़ा है यह सत्य नहीं है। क्योंकि इतिहास गवाह है इसका कि बसेड़ा गांव लंढोरा रियासत का गांव था जो सम्भवतः शायद मराठों से उनको मिला था इसके प्रमाण मिलने मुश्किल है लेकिन इसका इतिहास मिलता है क्योंकि बसेड़ा गांव में बड़ी गढ़ी थी। उस गढ़ी में रानी का रहना होता था और कोई भी जागीरदार इतनी बड़ी गढ़ी तब तक नहीं बना सकता जब तक कि उसकी वहां कोई कोई भागीदारी ना हो । उसके अलावा हमने अपने बुजुर्गों से हमारे बुजुर्गों ने अपने बुजुर्गों से उन्होंने अपने बुजुर्गों से सुना है वह वृतांत जो मेरे परिवार से संबंधित हैं। यद्यपि वह व्यक्तिगत है लेकिन वो इस बात का प्रमाण देते हैं कि यह गांव लंढोरा रियासत का एक गाँव रहा है कि हमारी एक दादी (7 पीढ़ी पहले) जब रानी आई तो वहां उनसे मिलने के लिए गांव के चुनिंदा परिवारों की स्त्रियां के साथ गई थी तो रानी ने न हमारी दादी की सादगी पर टिप्पणी की थी। यह कहते हुए कि देखिए कितनी सादगी से रहती है वह वृत्तांत आज तक हमें बताया गया । समकालीन हमारी परदादी के समय जो परदादा थे उनको एक बार रानी ने गंगा स्नान करने के लिए शुक्रताल जाने के लिए अपना हाथी देने का ऑफर दिया था जो उन्होंने स्वीकार कर लिया और वह उस पर हाथी पर जाकर गंगा स्नान करके आए और इसमें एक और परिवार दूसरे की बात जुड़ी हुई है जो मैं कहना नहीं चाहता हूं, लेकिन बात यह है जो कप्तान सिंह जी ने बताया कि ये दादी रानी देशवाल गोत्र की थी उनके नाम पर प़डा वह प्रमाणिक नहीं है.
यहां एक बात और बता दूँ कि गाँव के बाकी ज़मींदार लगान रानी को देते थे लेकिन हमारा परिवार अंग्रेजी सरकार को देता था.
क्योंकि कप्तान सिंह जी यह सूचना इकट्ठा कर रहे हैं और उनका इरादा देशवाल इतिहास के ऊपर और गांव के बारे में जानकारी देने का बहुत नेक इरादा है। इसलिए मैं यहां प्रस्तुत कर रहा हूं कि ताकि वे सही तथ्य रखे. उनको सही कहा कि बसेड़ा देशवालों का शायद सबसे बड़ा गांव है क्योंकि 52000 बीघे का रकबा बसेरा के पास है जो यू.पी. में तो किसी देशवाल गांव के पास नहीं है।
और जो उन्होंने आर्य समाज के बारे में बात कही वह बिल्कुल उन्होंने सच कहा, हम तो बच्चे थे जब आर्य समाज की स्थापना हुई और इसमें कोई दो राय नहीं है कि वह आर्यसमाज का बहुत बड़ा मंदिर भी वहां है और उसमें साप्ताहिक यज्ञ भी होता है जो हमारी परंपराएं हैं उनको बनाए रखने का एक प्रयास वहां के लोगों के द्वारा किया जा रहा है। शिक्षा के क्षेत्र में भी विभिन्न जातियों के लोग शिक्षा प्राप्त करने के लिए गए एक जमाने में शांति निकेतन में भी बसेडा़ के एक बनिया परिवार के लड़के गए थे और वह बाद में बड़े मशहूर हुए जिनके नाम पर मुंबई में एक सड़क का नाम भी है। खुद हमारे ताऊ जी ने Thomson Engineering college, Roorkee से civil engineering की डिग्री ली ।
और मैं यह भी मानता हूं कि दो तरह का इतिहास होता है। एक इतिहास तो जो इतिहासकार लिखते हैं और वह गांव के बारे में तो नहीं लिखता और गांव में अगर आप इतने भाग्यशाली हैं कि आपके बुजुर्गों ने आपको कुछ बातें बतलाई हैं तो वह जो मुंह जबानी पीढ़ी दर पीढ़ी बातें बतलाई जाती हैं वहीं इतिहास है. मेरा स्रोत वही है और इसलिए यह सारी चीजें मैंने प्रस्तुत करते हैं।
मेरा निवेदन है कि श्रीं कप्तान सिंह प्रकाशित करने से पहले तथ्यों को जांच लें। धन्यवाद।
Jat Gotras
Jat Monuments
Population
Population of Basera according to Census 2011, stood at 17,031 (Males: 9124, Females: 7907).[1]
Notable Persons
- Dr. Alam Singh Deshwal
- Ajeet Deswal
- Dr. Brijveer Singh
- Arjun Deshwal - गांव बसेड़ा मैं कब्बड़ी एशियन गेम्स मैं गोल्ड मेडल जीतकर लाए अर्जुन देशवाल को उत्तर प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश पुलिस में पुलिस उपाधीक्षक (DSP) पद पर नियुक्त करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार का धन्यवाद
Gallery
External Links
References
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