Bhawla
Bhawla (भावला) is a village in Jayal tehsil in Nagaur district in Rajasthan.
Location
PIN Code of Bhawla village is: 341024. It is situated 45km away from Jayal town and 40 km away from Nagaur city. Kalvi, Kasnau, Lunsara and Barsoona are some of the neighbouring villages.
Origin
History
तेजापथ में स्थित यह गाँव

संत श्री कान्हाराम[1] लिखते हैं कि..... [पृष्ठ-224]: सारे जहां के मना करने के बावजूद - शूर न पूछे टिप्पणो, शुगन न पूछे शूर, मरणा नूं मंगल गिणै, समर चढ़े मुख नूर।।
यह वाणी बोलकर तेजाजी अपनी जन्म भूमि खरनाल से भादवा सुदी सप्तमी बुधवार विक्रम संवत 1160 तदनुसार 25 अगस्त 1103 ई. को अपनी ससुराल शहर पनेर के लिए प्रस्थान किया। वह रूट जिससे तेजा खरनाल से प्रस्थान कर पनेर पहुंचे यहाँ तेजा पथ से संबोधित किया गया है।
तेजा पथ के गाँव : खरनाल - परारा (परासरा)- बीठवाल - सोलियाणा - मूंडवा - भदाणा - जूंजाळा - कुचेरा - लूणसरा (लुणेरा) (रतवासा) - भावला - चरड़वास - कामण - हबचर - नूंद - मिदियान - अलतवा - हरनावां - भादवा - मोकलघाटा - शहर पनेर..इन गांवो का तेजाजी से आज भी अटूट संबंध है।
[पृष्ठ-225]:खरनाल से परारा, बीठवाल, सोलियाणा की सर जमीन को पवित्र करते हुये मूंडवा पहुंचे। वहाँ से भदाणा होते हुये जूंजाला आए। जूंजाला में तेजाजी ने कुलगुरु गुसाईंजी को प्रणाम कर शिव मंदिर में माथा टेका। फिर कुचेरा की उत्तर दिशा की भूमि को पवित्र करते हुये लूणसरा (लूणेरा) की धरती पर तेजाजी के शुभ चरण पड़े।
[पृष्ठ-226]: तब तक संध्या हो चुकी थी। तेजाजी ने धरती माता को प्रणाम किया एक छोटे से तालाब की पाल पर संध्या उपासना की। गाँव वासियों ने तेजाजी की आवभगत की। इसी तेजा पथ के अंतर्गत यह लूणसरा गांव मौजूद है।
जन्मस्थली खरनाल से 60 किमी पूर्व में यह गांव जायल तहसिल में अवस्थित है।ससुराल जाते वक्त तेजाजी महाराज व लीलण के शुभ चरणों ने इस गांव को धन्य किया था। गांव वासियों के निवेदन पर तेजाजी महाराज ने यहां रतवासा किया था। आज भी ग्रामवासी दृढ़ मान्यता से इस बात को स्वीकारते हैं। उस समय यह गांव अभी के स्थान से दक्षिण दिशा में बसा हुआ था।
उस जमाने में यहां डूडी व छरंग जाटगौत्रों का रहवास था। मगर किन्हीं कारणों से ये दोनों गौत्रे अब इस गांव में आबाद नहीं है। फिलहाल इस गांव में सभी कृषक जातियों का निवास है। यहाँ जाट, राजपूत, ब्राह्मण, मेघवाल, रेगर, तैली, कुम्हार, लोहार, सुनार, दर्जी, रायका, गुर्जर, नाथ, गुसाईं, हरिजन, सिपाही, आदि जातियाँ निवास करती हैं। गांव में लगभग 1500 घर है।
नगवाडिया, जाखड़, सारण गौत्र के जाट यहां निवासित है।
ऐसी मान्यता है कि पुराना गांव नाथजी के श्राप से उजड़ गया था।
[पृष्ठ-227]: पुराने गांव के पास 140 कुएं थे जो अब जमींदोज हो गये हैं। उस जगह को अब 'सर' बोलते है। एक बार आयी बाढ से इनमें से कुछ कुएं निकले भी थे।...सन् 2003 में इस गांव में एक अनोखी घटना घटी। अकाल राहत के तहत यहां तालाब खौदा जा रहा था। जहां एक पुराना चबूतरा जमीन से निकला। वहीं पास की झाड़ी से एक नागदेवता निकला, जिसके सिर पर विचित्र रचना थी। नागदेवता ने तालाब में जाकर स्नान किया और उस चबूतरे पर आकर बैठ गया। ऐसा 2-4 दिन लगातार होता रहा। उसके बाद गांववालों ने मिलकर यहां भव्य तेजाजी मंदिर बनवाया। प्राण प्रतिष्ठा के समय रात्रि जागरण में भी बिना किसी को नुकसान पहुंचाये नाग देवता घूमते रहे। इस चमत्कारिक घटना के पश्चात तेजा दशमी को यहां भव्य मेला लगने लग गया। वह नाग देवता अभी भी कभी कभार दर्शन देते हैं। उक्त चमत्कारिक घटना तेजाजी महाराज का इस गांव से संबंध प्रगाढ़ करती है। गांव गांव का बच्चा इस ऐतिहासिक जानकारी की समझ रखता है कि ससुराल जाते वक्त तेजाजी महाराज ने गांववालों के आग्रह पर यहां रात्री-विश्राम किया था। पहले यहां छौटा सा थान हुआ करता था। बाद में गांववालों ने मिलकर भव्य मंदिर का निर्माण करवाया।
लूणसरा से आगे प्रस्थान - प्रातः तेजाजी के दल ने उठकर दैनिक क्रिया से निवृत होकर मुंह अंधेरे लूणसरा से आगे प्रस्थान किया। रास्ते में भावला - चरड़वास - कामण - हबचर - नूंद होते हुये मिदियान पहुंचे। मिदियान में जलपान किया। लीलण को पानी पिलाया। अलतवा होते हुये हरनावां पहुंचे। वहाँ से भादवा आए और आगे शहर पनेर के लिए रवाना हुये।
नदी ने रोका रास्ता – भादवा से निकलने के साथ ही घनघोर बारिस आरंभ हो गई। भादवा से पूर्व व परबतसर से पश्चिम मांडण - मालास की अरावली पर्वत श्रेणियों से नाले निकल कर मोकल घाटी में आकर नदी का रूप धारण कर लिया। इस नदी घाटी ने तेजा का रास्ता रोक लिया।
तेजा इस नदी घाटी की दक्षिण छोर पर पानी उतरने का इंतजार करने लगे। उत्तर की तरफ करमा कूड़ी की घाटी पड़ती है। उस घाटी में नदी उफान पर थी। यह नदी परबतसर से खरिया तालाब में आकर मिलती है। लेकिन तेजाजी इस करमा कूड़ी घाटी से दक्षिण की ओर मोकल घाटी के दक्षिण छोर पर थे। उत्तर में करमा कूड़ी घाटी की तरफ मोकल घाटी की नदी उफान पर
[पृष्ठ-228]: थी अतः किसी भी सूरत में करमा कूड़ी की घाटी की ओर नहीं जा सकते थे। दक्षिण की तरफ करीब 10 किमी तक अरावली की श्रेणियों के चक्कर लगाकर जाने पर रोहिण्डीकी घाटी पड़ती है। किन्तु उधर भी उफनते नाले बह रहे थे। अतः पर्वत चिपका हुआ लीलण के साथ तैरता-डूबता हुआ नदी पार करने लगा। वह सही सलामत नदी पर करने में सफल रहे। वर्तमान पनेर के पश्चिम में तथा तत्कालीन पनेर के दक्षिण में बड़कों की छतरी में आकर नदी तैरते हुये अस्त-व्यस्त पाग (साफा) को तेजा ने पुनः संवारा।
Jat Gotras
Population
- Population of Bhawla village, at the time of Census 2001, stood at 1692, (Males- 852, Females- 840).
- According to Census-2011 information:
- With total 401 families residing, Bhawla village has the population of 2099 (of which 1110 are males while 989 are females).[2]
Notable Persons
External Links
References
- ↑ Sant Kanha Ram: Shri Veer Tejaji Ka Itihas Evam Jiwan Charitra (Shodh Granth), Published by Veer Tejaji Shodh Sansthan Sursura, Ajmer, 2015. p. 224-228
- ↑ Web-page of Bhawla village at Census-2011 website
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