Champa
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Champa (चंपा) was an ancient city in Bihar located near Bhagalpur. Champanagara (चंपानगर) and Champapura (चंपापुर) are situated at the site of ancient Champa. Suryavanshi king Prithulaksha's son Champa (चंप) was its founder. Champa is also a former kingdom located in what is now south and central Vietnam.
Variants
- Champa (चंपा) = 1. (जिला भागलपुर, बिहार), 2. चंपापुर (हिन्द-चीन) (AS, p.320)
- Champamalini (चंपमालिनी) = Champa चम्पा (AS,p.320)
- Champanagara चम्पानगर = Champapura चम्पापुर = Champa चम्पा (1) (AS,p.322)
- Champapuri (चंपपुरी) (AS,p.320)
- Kalachampa (कालचंपा) (AS,p.321)
- Champa River (चंपा नदी) (AS, p.321)
- Chanpamalini चंपमालिनी = चम्पा (AS, p.320)
History
चंपा
विजयेन्द्र कुमार माथुर[1] ने लेख किया है ...1. चंपा (AS, 320) (भागलपुर ज़िला, बिहार) में स्थित है। विष्णुपुराण 4,18,20 से इंगित होता है कि पृथुलाक्ष के पुत्र चंप ने इस नगरी को बसाया था- 'ततश्चंपोयश्चम्पा निवेशयामास।'. जनरल कनिंघम के अनुसार भागलपुर के समीपस्थ ग्राम चंपानगर और चंपापुर प्राचीन चंपा के स्थान पर बसे हैं। महाभारत, शान्तिपर्व 5,6-7 के अनुसार जरासंध ने कर्ण को चंपा या मालिनी का राजा मान लिया था- 'प्रीत्या बदौ स कर्णाय मालिनी नगरमथ, श्रंगेषु नरशार्दल स राजऽऽसोत् सपत्नजित्। पालयामास चम्पा च कर्ण: परबलार्दन:।' वायुपुराण 99, 105-106; हरिवंशपुराण 31, 49 और मत्स्यपुराण 48,97 के अनुसार भी चंपा का दूसरा नाम मालिनी था। चंपा को चंपपुरी भी कहा गया है- 'चंपस्य तु पुरी चंपा या मालिन्यभवत् पुरा।' इससे यह भी सूचित होता है कि चंपा का पहला नाम मालिनी था और चंप नामक राजा ने उसे चंपा नाम दिया था। दिग्धनिकाय 1,111;2,235
[p.321]: के वर्णन के अनुसार चम्पा अंगदेश में स्थित थी. महाभारत वन. 308,26 से सूचित होता है कि चंपा गंगा के तट पर बसी थी--'चर्मण्वत्याश्च यमुनां ततो गंगा जगाम ह, गंगाया सूत विषयं चंपामनुनयौ पुरीम्'.
प्राचीन कथाओं से सूचित होता है कि इस नगरी के चतुर्दिक चंपक वृक्षों की मालाकर पंक्तियां थीं। इस कारण इसे चंपामालिनी या केवमालिनी कहते थे। जातक कथाओं में इस नगरी का नाम कालचंपा भी मिलता है। महाजनक जातक के अनुसार चंपा मिथिला से 60 कोस दूर थी। इस जातक में चंपा के नगर द्वार तथा प्राचीर का वर्णन है, जिसकी जैन ग्रंथों से भी पुष्टि होती है। औपपातिक सूत्र में नगर के परकोटे, अनेक द्वारों, उद्यानों, प्रासादों आदि के बारे में निश्चित निर्देश मिलते हैं।
जातक कथाओं में चंपा की श्री समृद्धि तथा यहाँ के संपन्न व्यापारियों का अनेक स्थानों पर उल्लेख है। चंपा में कौशय या रेशम का सुंदर कपड़ा बुना जाता था, जिसका दूर-दूर तक भारत से बाहर दक्षिण-पूर्व एशिया के अनेक देशों तक व्यापार होता था। (रेशमी कपड़े की बुनाई की यह परंपरा वर्तमान भागलपुर में अभी तक चल रही है।) चंपा के व्यापारियों ने हिन्द-चीन पहुँचकर वर्तमान अनाम के प्रदेश में चंपा नामक भारतीय उपनिवेश स्थापित किया था। साहित्य में चंपा का 'कुणिक' अजातशत्रु की राजधानी के रूप में वर्णन है।
औपपातिक-सूत्र में इस नगरी का सुंदर वर्णन है और नगरी में पुष्यभद्र की विश्रामशाला, वहाँ के उद्यान में अशोक वृक्षों की विद्यमानता और कुणिक और उसकी महारानी धारिणी का चंपा से संबंध आदि बातों का उल्लेख है। इसी ग्रंथ में तीर्थंकर महावीर का चंपा में शमवशरण करने और कुणिक की चंपा की यात्रा का भी वर्णन है। चंपा के कुछ शासनाधिकारियों जैसे- 'गणनायक', 'दंडनायक' और 'तालबर' के नाम भी इस सूत्र में दिए गए हैं। जैन उत्तराध्ययन सूत्र में चंपा के धनी व्यापारी पालित की कथा है, जो महावीर स्वामी का शिष्य था। जैन ग्रंथ 'विविधतीर्थकल्प' में इस नगरी की जैन तीर्थों में गणना की गई है। इस ग्रंथ के अनुसार बारहवें तीर्थंकर वासुपूज्य का जन्म चंपा में हुआ था। इस नगरी के शासक करकंडु ने कुंड नामक सरोवर में पार्श्वनाथ की मूर्ति की प्रतिष्ठापना की थी। वीर स्वामी ने वर्षा काल में यहाँ तीन रातें बिताईं थीं। कुणिक (Ajatashatru|अजातशत्रु]]) ने अपने पिता बिंबिसार की मृत्यु के पश्चात् राजगृह छोड़कर यहाँ अपनी राजधानी बनाई थी। युवानच्वांग (वाटर्स 2,181) ने चंपा का वर्णन अपने यात्रावृत में किया है। 'दशकुमारचरित्र'2, 2 में भी चंपा का उल्लेख है, जिससे ज्ञात होता है कि यह नगरी 7वीं शती ई. या उसके बाद तक भी प्रसिद्ध थी।
चंपापुर के पास कर्णगढ़ की पहाड़ी भागलपुर के निकट है, जिससे महाभारत के प्रसिद्ध योद्धा अंगराज कर्ण से चंपा का संबंध प्रकट होता है। यहाँ का समीपतम रेल स्टेशन नावनगर, भागलपुर से 2 मील (लगभग 3.2 कि.मी.) है। चंपा नगरी इसी नाम की नदी और गंगा के संगम पर स्थित थी।
2. चंपापुर (हिन्द-चीन) (AS, 322) या 'चंपापुरी' को चंपा, बिहार के स्थान पर ही बसा माना जाता है। जनरल कनिंघम के अनुसार भागलपुर के समीपस्थ ग्राम चंपानगर और चंपापुर प्राचीन चंपा के स्थान पर ही बसे हुए हैं। चंपा के व्यापारियों ने 'हिन्द-चीन' पहुँचकर वर्तमान अनाम के प्रदेश में 'चंपा' नामक 'भारतीय उपनिवेश' स्थापित किया था। इसमें अनाम का अधिकांश भाग सम्मिलित था। अनाम के उत्तरी ज़िले ‘थान-हो-आ’ (Than Hoa), ‘नगे आन (Nghe An)’ और ‘हातिन्ह’ (Ha Tinh) केवल इसके बाहर थे। इस प्रकार चंपापुरी का विस्तार 14° से 10° उत्तरी देशातंर की बीच में था। दूसरी शती ई. में यहाँ पहली बार भारतीयों ने औपनिवेशिक बस्ती बसाई थी। ये लोग संभवत: भारत की चंपानगरी के निवासी थे। 15 वीं शती तक यहाँ के निवासी पूर्ण रूप से भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता के प्रभाव में थे। इस शती में अनामियों ने चंपा को जीतकर वहाँ अपना राज्य स्थापित कर लिया और भारतीय उपनिवेश की प्राचीन परंपरा को समाप्त कर दिया। चंपा का सर्वप्रथम भारतीय राजा 'श्रीमान' था, जिसका चीन के इतिहास में भी उल्लेख मिलता है। चंपापुरी के वर्तमान अवशेषों में यहाँ के प्राचीन भारतीय धर्म तथा संस्कृति की सुंदर झलक मिलती है।
3. चंपा नदी चंपा (1) के निकट बहने वाली नदी. चंपा नगरी इसी नदी और गंगा के संगम पर स्थित थी.
चंपा परिचय
यह नगरी महान् पराक्रमी और शूरवीर कर्ण की राजधानी मानी जाती है। यह बिहार के मैदानी क्षेत्र का आख़िरी सिरा और बिहार-झारखंड के कैमूर पहाड़ी का मिलन स्थल है। प्राचीन समय में यह नगरी हाथीदाँत, शीशे के शिल्प आदि सामान के लिए बहुत प्रसिद्ध थी। गंगा नदी के तट पर स्थित होने के कारण चंपा नगरी आर्थिक व्यापारिक केन्द्रों से जुड़ी हुई थी। महाजनपद युग में यह अंग महाजनपद की राजधानी हुआ करती थी।
मौर्य पूर्व काल में चंपा एक विकसित शिल्प-व्यापारिक नगरी थी। यहाँ का रेशमी वस्त्र व्यवसाय बहुत प्रसिद्ध था। भगवान बुद्ध और भगवान महावीर के प्रचार का यह प्रमुख केन्द्र थी। जैन तीर्थंकर वसुपूज्य की यह जन्मस्थली थी। चंपा से शुंगकालीन मूर्तियाँ भी मिली हैं। फ़ाह्यान ने चंपा की यात्रा की थी तथा इसके वैभव का उल्लेख किया है। ह्वेन त्सांग ने चंपा को 'चेनपो' नाम से वर्णित किया है। ईसा पूर्व 5वीं सदी में भागलपुर को 'चंपावती' के नाम से जाना जाता था। यह वह काल था, जब गंगा के मैदानी क्षेत्रों में भारतीय सम्राटों का वर्चस्व बढ़ता जा रहा था।
अंग महाजनपद को पुराने समय में 'मलिनी', 'चम्पापुरी', 'चम्पा मलिनी', 'कला मलिनी' आदि के नाम से जाना जाता था। अथर्ववेद में अंग महाजनपद को अपवित्र माना गया है, जबकि कर्ण पर्व में अंग को एक ऐसे प्रदेश के रूप में जाना जाता था, जहाँ पत्नी और बच्चों को बेचा जाता था। वहीं दूसरी ओर महाभारत में अंग (चम्पा) को एक तीर्थ स्थल के रूप में पेश किया गया है। इस ग्रंथ के अनुसार अंग राजवंश के संस्थापक राजकुमार 'अंग' थे, जबकि रामायण के अनुसार यह वह स्थान है, जहाँ कामदेव ने अपने अंग को काटा था।
संदर्भ: भारतकोश-चंपा
नाथनगर
विजयेन्द्र कुमार माथुर[2] ने लेख किया है ...नाथनगर (AS, p.492) भागलपुर ज़िला, बिहार में स्थित एक ऐतिहासिक स्थान है। यहाँ का रेल स्टेशन भागलपुर से 3 मील (लगभग 4.8 कि.मी.) की दूरी पर ही स्थित है। बौद्ध तथा पूर्व बौद्ध कालीन नगरी चंपा की स्थिति इसी स्थान पर थी। चंपा प्राचीन समय में अंग जनपद की राजधानी हुआ करती थी। प्रसिद्ध जातक कथाओं में भी चंपा नगरी की श्रीसमृद्धि तथा यहाँ के सम्पन्न व्यापारियों का अनेक स्थानों पर उल्लेख है।
In Mahabharata
Champa (चम्पा) (Tirtha) in Mahabharata (III.82.142)
Vana Parva, Mahabharata/Book III Chapter 82 mentions names Pilgrims. Champa (चम्पा) (Tirtha) is mentioned in Mahabharata (III.82.142).[3].... Proceeding next to Champa (चम्पा)(III.82.142) and bathing in the Bhagirathi (भागीरथी) (III.82.142) the that sojourneth to Dandarka (दण्डार्क) (III.82.142), acquireth the merit of giving away a thousand kine.....
External links
See also
References
- ↑ Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.320-322
- ↑ Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.492
- ↑ 142 तथा चम्पां समासाद्य भागीरथ्यां कृतॊदकः, दण्डार्कम अभिगम्यैव गॊसहस्रफलं लभेत (III.82.142)