Rambaksh Bhukar
Author:Laxman Burdak IFS (R) |
Rambaksh Bhukar (चौधरी रामबक्श), from village Gothra Bhukaran, was a leading Freedom fighter who took part in Shekhawati farmers movement in Rajasthan.
Family of freedom fighters
Rambaksh Bhukar was father of 1. Prithvi Singh Bhukar and 2. Ganga Singh Bhukar.
Rambaksh Bhukar's both sons Prithvi Singh Bhukar and Ganga Singh Bhukar were freedom fighters.
Prithvi Singh Bhukar's son was Hari Ram Bhukar, who was also a freedom fighter.
चौधरी रामबक्श का जीवन परिचय
भिवानी जाने वाले शेखावाटी के जत्थे - शेखावाटी में किसान आन्दोलन और जनजागरण के बीज गांधीजी ने सन 1921 में बोये. सन् 1921 में गांधीजी का आगमन भिवानी हुआ. इसका समाचार सेठ देवीबक्स सर्राफ को आ चुका था. सेठ देवीबक्स सर्राफ शेखावाटी जनजागरण के अग्रदूत थे. आप शेखावाटी के वैश्यों में प्रथम व्यक्ति थे जिन्होंने ठिकानेदारों के विरुद्ध आवाज उठाई. देवीबक्स सर्राफ ने शेखावाटी के अग्रणी किसान नेताओं को भिवानी जाने के लिए तैयार किया. भिवानी जाने वाले शेखावाटी के जत्थे में आप भी प्रमुख व्यक्ति थे. [1]
सीकर जिले के गाँव गोठड़ा भूकरान के चौधरी रामबक्श और उनके बेटे पृथ्वी सिंह ने किसान आन्दोलन में सबसे अधिक योगदान दिया और मुशीबतें झेली. सम्पूर्ण शेखावाटी में इन बाप-बेटों के त्याग के आगे कोई उदहारण नहीं है. पृथ्वीसिंह गोठड़ा का जन्म 8 सितम्बर 1902 को हुआ. [2]
जाट जन सेवक
ठाकुर देशराज[3] ने लिखा है ....कुंवर पृथ्वीसिंह जी - [पृ.303]: सीकर के जिस आदमी ने सबसे पहले कौमी सेवा का व्रत लिया और जो कठिन परिस्थितियों में भी शेर के समान आगे बढ़ा, खेद है वह कुमार पृथ्वी सिंह हमारे बीच में नहीं है। ठीक जवानी के दिनों में उनका देहांत हो गया।
आपका जन्म संवत 1959 की भादो सुदी 6 को हुआ था। आपके पिताजी का नाम चौधरी रामबक्स और गोत्र भूकर था। नाग जाटों का एक समुदाय सांभर के निकट से उठकर सीकर से 6-7 मील की दूरी पर जा बसा था। उन्होंने जो गांव आवाज किया वह भूखरों का गोठड़ा के नाम से प्रसिद्ध हुआ। भूमि के कर वाहक होने के कारण ये लोग भूकर कहलाए।
[पृ.304]: चौधरी राम बाक्स जी के दूसरे पुत्र चौधरी गंगा सिंह है। पृथ्वी सिंह और गंगासिंह की नल नील की जोड़ी थी। जब तक सीकर वाटी के लोग गहरी नींद में सो रहे थे ठाकुर भोला सिंह महोपदेशक जाट सभा ने गोठड़ा में जाकर चौधरी राम बाक्स जी को अपने मिशन की ओर आकर्षित किया और तभी से यह घर का जाट सभाई बन गया।
मैंने सबसे पहले कुंवर पृथ्वी सिंह जी को जाट महोत्सव झुंझुनू के अवसर पर देखा जब उन्होंने मुझसे कहा ऐसा चमत्कारपूर्ण समारोह सीकर में करके दिखाएं तो हम आपके बहुत कृतज्ञ होंगे।
इसके बाद जाट महासभा का डेपुटेशन शेखावाटी में घूमा तो हम लोगों ने ठाकुर झम्मन सिंह जी तत्कालीन मंत्री जाट महासभा के साथ गोठड़ा की यात्रा की और चौधरी राम बाक्स जी के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त किया।
सीकर का महायज्ञ हुआ और हजारों जाटों के ह्रदय में उसने उत्साह की लहर पैदा करदी। उस समय कुंवर पृथ्वी सिंह के अंदर एक अपूर्व जीवन रेखा चमकी। एक परवाने की भांति और उतावली के साथ मैदान में आ गए। थोड़े ही दिनों में सीकर में जागृति दमन और पुनरुत्थान का दौर-दौरा आरंभ हो गया। जगह-जगह मीटिंग होने लगी, पुलिस फौज गांव में गश्त करने लगी। लगान बंदी आरंभ हुई और बदले में गोलियों की बौछार और गांव को लूटना ठिकाने की ओर से आरंभ हुआ। कुंवर पृथ्वी सिंह जेल में बार-बार गए। उनका घर लूटा गया गांव जलाया गया, किंतु वह शेर कभी घबराया नहीं। सीकर वाटी कुंवर पृथ्वी सिंह पर अभिमान करती थी।
[पृ.305]: उनकी इज्जत हर दिल में थी कि काल बली उन्हें इस दुनिया से उठा ले गया। उनके पीछे उनके एकमात्र पुत्र कुंवर हरिराम सिंह जी हैं जिनका जन्म संवत 1980 में हुआ। कुंवर हरी राम सिंह जी ने अपने पूज्य पिताजी की यादगार में जाट बोर्डिंग हाउस सीकर में ₹1000 की लागत से एक कमरा बनवाया है। वे एक होनहार और समझदार नौजवान हैं और योग्य पिता के योग्य पुत्र हैं।
External links
References
- ↑ राजेन्द्र कसवा: मेरा गाँव मेरा देश (वाया शेखावाटी), जयपुर, 2012, ISBN 978-81-89681-21-0, P. 70
- ↑ राजेन्द्र कसवा: मेरा गाँव मेरा देश वाया शेखावाटी, 2012, पृ. 80
- ↑ Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.303-305
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