Chitabhumi
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Chitabhumi (चिताभूमि) is one of the twelve Jyotirlingas, the most sacred abodes of Shiva known as Vaidyanath Dham (वैद्यनाथ धाम). It is located in Deoghar city in Jharkhand.
Origin
Variants
- Chitabhumi (चिताभूमि) = Vaidyanath Dham (वैद्यनाथ धाम) (AS, p.333)
History
Vaidyanath Jyotirlinga temple
Vaidyanath Jyotirlinga temple, also known as Baba dham and Baidyanath dham is one of the twelve Jyotirlingas, the most sacred abodes of Shiva.[1] This states that Vaidyanath jyotirlinga is located at Prajwalika nidhanam (meaning funeral place i.e., chithabhoomi) in the North-Eastern part of the country. Deoghar is far located in east compared to Parli which is in west central part of the country. Also Chitabhoomi indicates that, in olden days, this was a funeral place, where corpses are burnt and post-death ceremonies were performed. This place could have been a centre of tantric cults like Kapalika/Bhairava where Lord Shiva is worshipped significantly as smasan vasin (meaning, residing in crematorium), sava bhasma bhushita (meaning, smearing body with ashes of burnt bodies).[2]
चिताभूमि
चिताभूमि (AS, p.333) देवी सती के बावन शक्तिपीठों में से एक है। संथाल परगना जनपद के गिरीडीह रेलवे स्टेशन के समीप देवघर पर स्थित स्थान को 'चिताभूमि' कहा गया है। माना जाता है कि लंका के राजा रावण ने यहाँ शिवोपासना की थी।[3]
जिस समय भगवान शंकर सती के शव को अपने कन्धे पर रखकर इधर-उधर उन्मत्त की तरह घूम रहे थे, उसी समय इस स्थान पर सती का 'हृत्पिण्ड' अर्थात् हृदय भाग गलकर गिर गया था। भगवान शंकर ने सती के उस हृत्पिण्ड का दाह संस्कार इसी स्थान पर किया था, जिसके कारण इसका नाम 'चिताभूमि' पड़ गया। शिवपुराण में एक निम्नलिखित श्लोक भी आता है, जिससे वैद्यनाथ का 'चिताभूमि' में स्थान माना जाता है- प्रत्यक्षं तं तदा दृष्टवा प्रतिष्ठाप्य च ते सुरा:। वैद्यनाथेति सम्प्रोच्य नत्वा नत्वा दिवं ययु:।। अर्थात् 'देवताओं ने भगवान का प्रत्यक्ष दर्शन किया और उसके बाद उनके लिंग की प्रतिष्ठा की। देवगण उस लिंग को 'वैद्यनाथ' नाम देकर, उसे नमस्कार करते हुए स्वर्गलोक को चले गये।'[4]
वैद्यनाथ (बिहार)
वैद्यनाथ (AS, p.880): 'वैद्याभ्यांपूजितं सत्यं लिंगमेतत्पुरा मम, वैद्यनाथमितिख्यातं सर्वकामप्रदायकम्'.--शिव पुराण. शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में इसकी गणना है. यहां शिव तथा पार्वती के लगभग 25 मंदिर हैं. इस तीर्थ में शिव-पार्वती की संयुक्त पूजा की जाती है जिसके प्रतिकस्वरूप दोनों मंदिरों के शिखरों की मालाओं को एक साथ बांधा जाता है. वैद्यनाथ को भवरोगहर भी कहा जाता है. शिव पुराण के अनुसार देवताओं के वैद्य अश्विनी कुमार ने इस स्थान पर तप किया था. पद्मपुराण के पातालखंड में भी इस तीर्थ का उल्लेख है. वैद्यनाथ के निकट कई स्थान प्रसिद्ध हैं जिनमें, जिनमें त्रिकूट, नन्दनपर्वत, तपोवन, शिवगंगा आदि प्रमुख हैं. इन सब के विषय में पौराणिक जनश्रुतियां प्रचलित हैं. त्रिकूट से मयूराक्षी नदी निकलती है.[5]
External links
References
- ↑ Poorvothare prajwalika nidhane, sada vasantham girija sametham, surasuraradhitha padapadmam, srivaidyanatham thamaham namami
- ↑ Om Prakash Ralhan. Encyclopaedia Of Political Parties, Volumes 33-50.
- ↑ Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.333
- ↑ भारतकोश-चिताभूमि
- ↑ Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.880