Dayanand Ram Sangwan
Dayanand Ram Sangwan (1936 - 05.12.1971), Vir Chakra (posthumous), became martyr on 05.12.1971 during Indo-Pak War-1971. He was from Chandeni village in Charkhi Dadri tehsil and district of Haryana. His family shifted to Pilani in 1971. Unit - 3 Rajputana Rifles
हवलदार दयानंद राम सांगवान
हवलदार दयानंद राम सांगवान
सर्विस नं - 2840521K
1936 - 05-12-1971
वीर चक्र (मरणोपरांत)
वीरांगना - श्रीमती शाम कौर देवी
यूनिट - 3 राजपुताना राइफल्स
इस्लामगढ़ का युद्ध
ऑपरेशन कैक्टस लिली
भारत-पाक युद्ध 1971
हवलदार दयानंद राम (बाटा) का जन्म ब्रिटिश भारत में वर्ष 1936 में तत्कालीन पंजाब प्रांत में वर्तमान हरियाणा के चरखी-दादरी जिले के चन्देनी गांव में श्री रामपत राम सांगवान एवं श्रीमती मुली देवी के परिवार में हुआ था। 5 दिसंबर 1951 को वह को वह भारतीय सेना की राजपुताना राइफल्स रेजिमेंट में रंगरूट के रूप में भर्ती हुए थे।
प्रशिक्षण के पश्चात उन्हें 3 राजरिफ बटालियन में राइफलमैन के पद पर नियुक्त किया गया था। वह शारीरिक रूप से बलवान और एक उत्कृष्ट खिलाड़ी थे। खेलों में उन्हें कितना ही दबाया जाता, तो भी वह खेल नहीं छोड़ते थे। खेलों में अडिग रहने और बाटा के जूतों की भांति कठोर होने के कारण बटालियन में सभी लोकप्रिय रूप से उन्हें "बाटा" कहते थे।
4/5 दिसंबर 1971 की रात्रि को 3 राजरिफ बटालियन की 'B' कंपनी ने मेजर जे. एस. बेदी के नेतृत्व में राजस्थान सेक्टर में पाकिस्तानी सीमा के भीतर इस्लामगढ़ में शत्रु के रक्षित क्षेत्र पर आक्रमण किया। उस आक्रमण में हवलदार दयानंद राम एक प्लाटून की कमान संभाल रहे थे। प्लाटून का उद्देश्य शत्रु द्वारा अधिकृत एक भलीभांति रक्षित चौकी पर अधिकार करना था। उस आक्रमण में, उनकी प्लाटून शत्रु के लघु शस्त्रों की प्रचंड और प्रभावी गोली वृष्टि में घिर गई।
गोलियां लगने से हवलदार दयानंद राम गंभीर रूप से घायल हो गए थे। अपने प्राणों की घोर उपेक्षा करते हुए उन्होंने शत्रु की चौकी पर आक्रमण किया और उनकी प्लाटून को हताहत कर रही शत्रु की मशीनगन की बैरल पकड़ कर उसका मुंह घुमा दिया। उन्हें अपनी मृत्यु आसन्न दिख रही थी, तो भी वह उच्च स्वर में अपने सैनिकों को निर्देश देते रहे और उन्हें निरंतर आगे बढ़ने को प्रोत्साहित करते रहे, जिससे प्लाटून अंततः शत्रु की उस चौकी पर अधिकार करने में सफल हो गई।
हवलदार दयानंद राम अति साहसी, वीर और कठोर सैनिक थे। शत्रु के कड़े प्रतिरोध में भी, अंतिम श्वास तक उन्होंने अपने वीरतापूर्ण कार्यों से युद्ध के मैदान पर प्रभाव बनाए रखा। उन्हें मरणोपरांत वीर चक्र सम्मान दिया गया था।
11 अगस्त 1972 को, वीरांगना श्रीमती शाम कौर ने बटालियन के संग्रहालय के लिए अपने पति का वीर चक्र मेडल लेफ्टिनेंट कर्नल एम. एम. के बकाया को सौंप दिया था।
हरियाणा सरकार द्वारा गांव के राजकीय विद्यालय का नाम इनकी स्मृति में "शहीद हवलदार दयानंद राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, चन्देनी" किया गया है।
शहीद को सम्मान
स्रोत
गैलरी
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3 राजरिफ की ऑफिसर्स मैस में प्रदर्शित हवलदार दयानंद राम का वीर चक्र पदक
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3 राजरिफ की ऑफिसर्स मैस में हवलदार दयानंद राम व वीरांगना श्रीमती शाम कौर के चित्र
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वीरांगना श्रीमती शाम कौर देवी से उनके पति का वीर चक्र पदक स्वीकारते हुए लेफ्टिनेंट कर्नल एम. एम. के. बकाया
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वीरांगना स्व. श्रीमती शाम कौर देवी
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शहीद हवलदार दयानंद राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, चन्देनी (भिवानी)
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राष्ट्रीय युद्ध स्मारक, दिल्ली में स्वर्णाक्षरों में अंकित हवलदार दयानंद राम का नाम
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स्वर्णिम विजय वर्ष के अवसर पर बटालियन में आयोजित कार्यक्रम में परिजन
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बटालियन में प्रदर्शित हवलदार दयानंद राम के मूल वीर चक्र मेडल को देखते परिजन
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1971 के युद्ध के स्वर्णिम विजय वर्ष के अवसर पर सेना द्वारा पिलानी में आयोजित कार्यक्रम में श्री रविंदर सांगवान
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1971 के युद्ध के स्वर्णिम विजय वर्ष पर सेना द्वारा पिलानी में आयोजित कार्यक्रम में श्री रविंदर सांगवान को स्मृति चिन्ह भेंट करते सैन्य अधिकारी
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हवलदार दयानंद राम के परिजनों द्वारा संचालित पिलानी गैस सर्विस, पिलानी
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दिसंबर 2023 में उदयपुर में आयोजित बटालियन के कार्यक्रम में हवलदार दयानंद राम की कांस्य प्रतिमा का अनावरण करते परिजन
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दिसंबर 2023 में उदयपुर में आयोजित बटालियन के कार्यक्रम में हवलदार दयानंद राम की कांस्य प्रतिमा का अनावरण करते परिजन
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लांस हवलदार दयानंद राम की कांस्य प्रतिमा
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बटालियन के उदयपुर में आयोजित कार्यक्रम में पाकिस्तान के इस्लामगढ़ किले की प्रतिकृति
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बाहरी कड़ियाँ
संदर्भ
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