Devala

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Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Devala (देवल) is an ancient historical village of Puranpur area in Pilibhit district of Uttar Pradesh.

Origin

Variants

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History

It is believed by locals that Pilibhit was ruled by an ancient king named Mayurdhwaj or Moredhwaj or King Venu, who was a great devotee of lord Krishna and a loyal friend of Arjun, whose name and geography of his kingdom, can be traced in the epic Mahabharata. Local tradition connects them with the mythical Raja Vena.[1]

According to the Imperial Gazetteer of India, vol. 20, page 138, Pilibhit was ruled by Chhinda dynasty in the 10th century, an inscription, written in Sanskrit, has been found in the Dewal village of Puranpur area which shows that the princes of Chhinda dynasty made a canal out of River Sarada in the 10th century.[2]

देवल

विजयेन्द्र कुमार माथुर[3] ने लेख किया है ... देवल (AS, 450) पीलीभीत ज़िला, उत्तर प्रदेश का एक ऐतिहासिक स्थान है। बीसलपुर से 10 मील की दूरी पर देवल और गढ़गजना के खंडहर मौजूद हैं। कहा जाता है कि देवल में देवल ऋषि का आश्रम था। यह माना जाता है कि प्राचीन समय में देवल भगवान वराह की पूजा का मुख्य केन्द्र था। देवल ऋषि का उल्लेख श्रीमद्भागवदगीता 10, 13 में है- 'आहुस्तामृषय: सर्वे देवर्पिर्नारदस्तथा असितो देवलो व्यास: स्वयं चैव व्रवीषि में'

पांडवों के पुरोहित धौम्य, देवल ऋषि के भाई थे। देवल के खंडहरों में भगवान वराह की मूर्ति प्राप्त हुई थी, जो देवल के मंदिर में स्थापित है। ऐसा जान पड़ता है कि यह स्थान प्राचीन समय में वराह पूजा का केन्द्र था। देवल ऋषि के मंदिर में 992 ई. का कुटिला लिपि में एक अभिलेख है, जिससे यह सूचित होता है कि एक स्थानीय राजा और उसकी पत्नी लक्ष्मी ने बहुत से कुंज, उद्यान और मंदिर बनवाए और ब्राह्मणों को कई ग्राम दान में दिये, जो निर्मला नदी के जल से सिंचित थे। देवल के पास बहने वाला कटनी नाम का नाला ही इस अभिलेख की निर्मला नदी जान पड़ता है।

गढ़गजना

विजयेन्द्र कुमार माथुर[4] ने लेख किया है ...गढ़गजना (AS, p.274) पीलीभीत ज़िला, उत्तर प्रदेश का ऐतिहासिक स्थान है। देवल और गढ़गजना के प्राचीन खंडहर बीसलपुर से 10 मील (लगभग 16 कि.मी.) की दूरी पर स्थित हैं।

External links

References