Dharakhoh
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |


Dharakhoh (धाराखोह) is a village in Betul tahsil of Betul district in Madhya Pradesh. There is a Forest Rest House built in 1915.
Author's Visit
Author (Laxman Burdak) visited it on 24.07.1993, 06.08.1993, 27.10.1993, 19.03.1994, 29.09.1994, 18.11.1994.
Variants
- Dharakho (धाराखो)
- Dharakhoh Waterfall (धाराखोह जलप्रपात)
Origin
Jat Gotras Namesake
- Dharan (धारण) (Jat clan) → Dharakhoh (धाराखोह) is a village in Betul tahsil of Betul district in Madhya Pradesh. Author (Laxman Burdak) visited it on 24.07.1993, 06.08.1993, 27.10.1993.
Location
Dharakhoh railway station
Dharakhoh is a railway station of Bhopal–Nagpur section under Nagpur CR railway division of West Central Railway zone of Indian Railways. The station is situated at Sihari in Betul district of Indian state of Madhya Pradesh.
The Bhopal–Itarsi line was opened by the Begum of Bhopal in 1884. Itarsi and Nagpur Junction railway station was linked in between 1923 and 1924.[1] Electrification started in Bhopal–Itarsi section in 1988–89 and the rest Itarsi to Nagpur section was electrified in 1990–91.
Despite not having stoppage, almost all Mail / Express trains stop here. Hardly any passenger can be seen alighting any train from here. The reason for the stopping of trains is due to further ghat sections and hill tunnels, trains have to stay here for 2-3 minutes to add additional engine. Dharakhoh station mesmerizes travelers by being surrounded by the tree-covered mountain ranges of Satpura and the picturesque valley-trenches around it. Particularly during the rainy season, the waterfalls from the mountains make it very beautiful.
History
धाराखोह जलप्रपात
धाराखोह जलप्रपात - बैतूल से 6 किलोमीटर उत्तर में बैतूल परिक्षेत्र के वन ग्राम धाराखोह के निकट कक्ष क्रमांक 259 में महारुख नदी जलप्रपात बनाती है जहाँ पानी लगभग 50 मीटर ऊंचाई से कई स्तरों में गिरकर मनोरम दृश्य बनाता है.[2]
सोनाघाटी से धाराखोह तक रेलवे ट्रैक
13 सितंबर 1998 को बैतूल से धाराखोह के बीच रेलवे ट्रैक पर चट्टानें गिरी थीं। इससे 30 घंटे तक रेल यातायात प्रभावित रहा था। राजधानी एक्सप्रेस समेत अन्य कई बड़ी ट्रेनें खड़ी रही थीं। इसी तरह 19 मार्च 2019 को भी जीटी एक्सप्रेस आने के 20 मिनट पहले मरामझिरी घाट सेक्शन में रेलवे ट्रैक पर चट्टानें गिर गई थीं। गनीमत रही कि पहले से जानकारी होने के कारण बड़ी दुर्घटना टल गई। लेकिन जीटी एक्सप्रेस काफी देर यहां रुकी रही।
सोनाघाटी से धाराखोह के बीच रेलवे ट्रैक पर गिरती चट्टानों के कारण कई बार ट्रेनों की आवाजाही रुक जाती है। दुर्घटनाओं का खतरा भी बना रहता है। खतरा कम करने के लिए रेलवे ने घाट सेक्शन के घाट की कटिंग शुरू करवाई है। इससे रेलवे ट्रैक के आसपास से पहाड़ों को साफ किया जा रहा है, इससे गिरती चट्टानों का खतरा खत्म हो जाएगा। ट्रेनों के घंटों इस ट्रैक पर फंसे रहने, लेट होने और दुर्घटनाओं की आशंकाएं खत्म हो जाएंगी। बैतूल का रेलवे ट्रैक 1908 से 1912 के बीच बिछाया था। पुराने और नए दोनों ट्रैक सतपुड़ा के जंगलों के हार्ड रॉक और मुरम वाले पहाड़ों को खोदकर बनाए हैं। दोनों ट्रैक पर पांच-पांच सुरंगें और बेहद ऊंचे चार पुल भी हैं। इस तरह पहाड़ी क्षेत्र से गुजरने वाले इस रेलवे ट्रैक पर अक्सर चट्टानें गिरती रहती हैं। खासकर सोनाघाटी से धाराखोह तक बारिश के मौसम में बहुत चट्टानें गिरती हैं। कई बार ट्रेनों को रोकना भी पड़ा है, हादसे भी टले हैं। इसे देखते हुए रेलवे ने सोनाघाटी से धाराखोह तक 12 किलोमीटर क्षेत्र में घाट वाले पहाड़ी, संवेदनशील क्षेत्र में घाट कटिंग करके लोहे की जालियां और सीमेंट लगाकर पैकिंग करने का काम शुरू करवाया है। दो किलोमीटर क्षेत्र में ट्रैक के किनारे कटिंग का काम पूरा हो गया है। इस हिस्से में चट्टान गिरने का खतरा कम हो गया है।
Source - सोनाघाटी:धाराखोह पहाड़ी पर लगा रहे जाली, रेलवे ट्रैक पर नहीं होंगे हादसे, भास्कर बैतूल, 2021
People
External links
See also
References
- ↑ "Nagpur District Gazetteer". 10 April 2009. A
- ↑ आर डी महला,कार्य आयोजना अधिकारी, उत्तर बेतूल वनमंडल