Dunagiri
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Dunagiri (दूनागिरि) is a historic area in Almora district in the state of Uttarakhand in India. Approximately 400 km from Delhi, a cluster of six small villages forms the place Dunagiri.
Location
116 such villages combine to form the Development Block of Dwarahat, which falls under the District of Almora. Located at a height of 8,000 feet above sea level, Dunagiri is famous within Kumaon for its temple of Shakti – known here as Dunagiri Devi.
Origin
Variants
- Dunagiri (दूनागिरि) (जिला अल्मोड़ा, उ.प्र.) (AS, p.440)
- Dronagiri द्रोणगिरि (p.456)
- Drongiri (द्रोणगिरि) (AS, p.440)
- Doonagiri (दूनागिरि)
History
It is said that during their period of anonymous travel, the Pandavas of Mahabharata took shelter at Dunagiri. Pandukholi is said to be the place near Dunagiri where they stayed for a period of time. Pandav's Guru Dronacharya also did tapasya (devout austerity) at Dunagiri. Dunagiri is mentioned in Manas khand of Skanda Purana. Dunagiri Devi is described as Mahamaya Harpriya (Manaskhand, 36.17–18). Manaskhand of Skandpuran bestows Dunagiri with the title of Brahm-parvat (Divine Mountain). Among all the Shakti temples of Kumaon, Dunagiri is counted amid the most ancient ‘Sidh Shaktipeeth’, as a primary ‘ugra’ (intense) ‘peeths’ – called ‘Ugra Peeth’. This Shaktipeeth in its essence has been influenced over time by Shaiva, Vaishnav and Shakt practices.
दूनागिरि
विजयेन्द्र कुमार माथुर[1] ने लेख किया है ...दूनागिरि (AS, p.440) अल्मोड़ा ज़िला, उत्तराखंड में रानीखेत के निकट एक पहाड़ी है। प्राचीन समय से ही दूनागिरि पहाड़ी जड़ी बूटियों तथा औषधियों के लिए प्रख्यात है। जनश्रुति में कहा जाता है कि लंका में लक्ष्मण के शक्ति लगने पर हनुमान इसी पहाड़ (द्रोणगिरि) पर से संजीवनी ले गये थे।
द्रोणगिरि
विजयेन्द्र कुमार माथुर[2] ने लेख किया है ...द्रोणगिरि अथवा 'द्रोण पर्वत' विष्णु पुराण 2,4,26 में उल्लिखित शाल्मल द्वीप का एक पर्वत है। 'कुमुदश्चोन्नतश्चैव तृतीयश्च बलाहृक: द्रोणो यत्र महौषध्य: स चतुर्थो महीधर:'। यहाँ द्रोण पर्वत पर महौषधियों का उल्लेख किया गया है। पौराणिक किंवदंती में कहा जाता है कि लक्ष्मण को लंका के युद्ध में शक्ति लगने पर हनुमान द्रोणाचल पर्वत से ही औषधियाँ लाए थे। वाल्मीकि रामायण, युद्धकाण्ड 74 में हनुमान को जिस पर्वत से औषधियाँ लानी थी, जामवन्त ने उसे हिमालय के कैलास और ऋषभ पर्वतों के बीच में बताया है- 'गत्वापरमध्वानमुपर्युपरिसागरम्, हिमवंतं नगश्रेष्ठं हनुमान गंतुमर्हसि, तत: कांचनमत्युग्रमृषभं पर्वतोत्ततम् कैलासशिखरं चात्र द्रक्ष्यस्यरिनिषूदन' वाल्मीकि रामायण, युद्ध. 74, 29-30.
अध्यात्म रामायण, युद्धकाण्ड 5,72 में इसका नाम द्रोणगिरि है- 'तत्र द्रोणगिरिर्नामदिव्यौषधि समुद्भव: तमानय द्रुतं गत्वा संजीवय महामते' अर्थात् रामचन्द्र जी ने वानर सेना के मूर्छित हो जाने पर कहा, "हे हनुमान, क्षीर सागर के निकट द्रोणगिरि नामक दिव्यौषधि समूह है, तुम वहाँ शीघ्र जाकर उसे ले आओ और वानर सेना को जीवित करो।" इससे पहले श्लोक 71 में इसे क्षीर सागर के निकट बताया गया है।
जनश्रुतियों के आधार पर द्रोण पर्वत का अभिज्ञान तहसील रानीखेत ज़िला अल्मोड़ा में स्थित दूनागिरि से किया जाता है। ( देहरादून के पर्वतों को भी 'द्रोणाचल' कहा जाता है।) दूनागिरि पर आजकल भी अनेक औषधियाँ उत्पन्न होती हैं। किन्तु वाल्मीकि रामायण के उद्धरण से ज्ञात होता है कि यह पहाड़ कैलास और ऋषभ पर्वतों के बीच में स्थित था। (वाल्मीकि ने इस पर्वत का नाम 'महोदय' बताया है।) बदरीनाथ और तुंगनाथ से जो द्रोणाचल दिखाई देता है, संभवत: वाल्मीकि रामायण में उसी का निर्देश है।