Dronagiri
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Dronagiri (द्रोणगिरि) is a mountain described in the Indian epics Ramayana and Mahabharata. It is also mentioned in Puranas as a mountain of Shalmalidvipa.
Origin
Variants
- Dronagiri (द्रोणगिरि) (AS, p.456)
- Drona द्रोण = Dronagiri (द्रोणगिरि) (AS, p.456)
- Drona Parvata (द्रोण पर्वत) (AS, p.456)
- Dronaparvata (द्रोण पर्वत) (AS, p.456)
- Dronachala Parvata (द्रोणाचल पर्वत) (AS, p.456)
- Dronachala (द्रोणाचल पर्वत)
History
द्रोण = द्रोणगिरि
विजयेन्द्र कुमार माथुर[1] ने लेख किया है ...1. द्रोणगिरि (AS, p.456) अथवा 'द्रोण पर्वत' विष्णु पुराण 2,4,26 में उल्लिखित शाल्मल द्वीप का एक पर्वत है। 'कुमुदश्चोन्नतश्चैव तृतीयश्च बलाहृक: द्रोणो यत्र महौषध्य: स चतुर्थो महीधर:'। यहाँ द्रोण पर्वत पर महौषधियों का उल्लेख किया गया है। पौराणिक किंवदंती में कहा जाता है कि लक्ष्मण को लंका के युद्ध में शक्ति लगने पर हनुमान द्रोणाचल पर्वत से ही औषधियाँ लाए थे। वाल्मीकि रामायण, युद्धकाण्ड 74 में हनुमान को जिस पर्वत से औषधियाँ लानी थी, जामवन्त ने उसे हिमालय के कैलास और ऋषभ पर्वतों के बीच में बताया है- 'गत्वापरमध्वानमुपर्युपरिसागरम्, हिमवंतं नगश्रेष्ठं हनुमान गंतुमर्हसि, तत: कांचनमत्युग्रमृषभं पर्वतोत्ततम् कैलासशिखरं चात्र द्रक्ष्यस्यरिनिषूदन' वाल्मीकि रामायण, युद्ध. 74, 29-30.
अध्यात्म रामायण, युद्धकाण्ड 5,72 में इसका नाम द्रोणगिरि है- 'तत्र द्रोणगिरिर्नामदिव्यौषधि समुद्भव: तमानय द्रुतं गत्वा संजीवय महामते' अर्थात् रामचन्द्र जी ने वानर सेना के मूर्छित हो जाने पर कहा, "हे हनुमान, क्षीर सागर के निकट द्रोणगिरि नामक दिव्यौषधि समूह है, तुम वहाँ शीघ्र जाकर उसे ले आओ और वानर सेना को जीवित करो।" इससे पहले श्लोक 71 में इसे क्षीर सागर के निकट बताया गया है।
जनश्रुतियों के आधार पर द्रोण पर्वत का अभिज्ञान तहसील रानीखेत ज़िला अल्मोड़ा में स्थित दूनागिरि से किया जाता है। ( देहरादून के पर्वतों को भी 'द्रोणाचल' कहा जाता है।) दूनागिरि पर आजकल भी अनेक औषधियाँ उत्पन्न होती हैं। किन्तु वाल्मीकि रामायण के उद्धरण से ज्ञात होता है कि यह पहाड़ कैलास और ऋषभ पर्वतों के बीच में स्थित था। (वाल्मीकि ने इस पर्वत का नाम 'महोदय' बताया है।) बदरीनाथ और तुंगनाथ से जो द्रोणाचल दिखाई देता है, संभवत: वाल्मीकि रामायण में उसी का निर्देश है।
2. द्रोणगिरि (AS, p.456) : बुंदेलखंड (मध्य प्रदेश) में छतरपुर से सागर जाने वाले मार्ग पर सेंधवा ग्राम के निकट एक पर्वत जिसके सृंग पर 24 जैन मंदिर हैं. ये मध्यकालीन बुंदेलखंड की वास्तु शैली में निर्मित हैं. संभवतः इसी पर्वत का उल्लेख श्रीमद्भागवत 5,19,16 में है-- 'पारियात्रो द्रोणाश्चित्रकूटो गोवर्धनो रैवतक:' (यह द्रोण या द्रोणगिरि भी हो सकता है).
द्रोणगिरि मध्यप्रदेश
द्रोणगिरि मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में बिजावर तहसील में स्थित हैै। द्रोणगिरि क्षेत्र पर्वत पर है। पर्वत की तलहटी में सेंधपा नामक एक छोटा सा गाँव है। वहाँ पहुँचने के लिए मध्य रेलवे के सागर या हरपालपुर स्टेशन पर उतरना चाहिए। सुविधानुसार मऊ, महोबा या सतना भी उतर सकते हैं। प्रत्येक स्टेशन से क्षेत्र लगभग १०० कि.मी. पड़ता है। सभी स्थानों से पक्की सड़क गयी है। कानपुर-सागर रोड अथवा छतरपुर-सागर रोड पर मलहरा ग्राम है। मलहरा से द्रोणगिरि 7 कि.मी. है। वहाँ तक पक्की सड़क है। सागर से मलहरा तक बसें चलती हैं। बस द्वारा मलहरा पहुँचकर वहाँ से नियमित बस द्वारा क्षेत्र तक जा सकते हैं। बस का टिकट सेंधपा के लिए लेना चाहिए। गाँव का नाम तो सेंधपा है, किन्तु पर्वत का नाम द्रोणगिरि है। सेंधपा के बस अड्डे से जैन धर्मशाला लगभग १०० गज दूर गाँव के भीतर है। वहीं गाँव का मंदिर और गुरुदत्त संस्कृत विद्यालय है। निर्वाण भूमि—द्रोणगिरि निर्वाण क्षेत्र है। प्राकृत निर्वाणकाण्ड में इस संबंध में निम्नलिखित उल्लेख मिलता है— फलहोडी बड़गामे, पच्छिम भायम्मि दोणगिरि सिहरे। गुरुदत्तादि मुणिन्दा, णिव्वाण गया णमो तेसिं।। अर्थात्, फलहोडी बडगाँव के पश्चिम में द्रोणगिरि पर्वत है। उसके शिखर में गुरुदत्त आदि मुनिराज निर्वाण को प्राप्त हुए। उन्हें मैं नमस्कार करता हूँ। [2]