Fool Singh Solanki

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Author:Laxman Burdak, IFS (R), Jaipur

Fool Singh Solanki (मास्टर फूलसिंह सोलंकी) from village .... was a Freedom Fighter who took part in Shekhawati farmers movement in Rajasthan. [1]

जाट जन सेवक

ठाकुर देशराज[2] ने लिखा है ....रियासती भारत के जाट जन सेवक पुस्तक में शामिल शेखावाटी के वृतांत मास्टर फूलसिंह सोलंकी ने लिखे हैं। (p.2)


ठाकुर देशराज[3] ने लिखा है ....

मान्यवर ठाकुर साहब सादर नमस्ते!

आपको गए करीब 2 सप्ताह होते हैं। इधर मैं भी पुलिस चंगुल में फंसने से अब तक बच सका हूं और यही कारण था कि अभी तक कोई पत्र सेवा में न भेज सका। एक टीटीआई को आपके श्रीमुख द्वारा मेरा परिचय मिला और टीटीआई साहब ने मुझे सिरोही का हाल जानने के लिए पत्र द्वारा बुलाया। मुलाकात में हमारी और उनकी स्टेशन पर जो बातें हुई उन्हें ही पुलिस के सब इंस्पेक्टर साहब ने सुन लिए थे। यह सब राजपूत हैं।


[पृ.448]: अतः आप के साथ सिरोही जाने का अभियोग लगा रिपोर्ट करने ही वाले थे कि मैंने भी दूसरी अड़चन उन पर डाली जो कि उनकी सर्विस में बाधक होती है अतः तुरंत तसफिया हो गया।

सिरोही के जाट व अन्य किसान अभी तक अपने निश्चय पर अटल हैं और फसल जैसा कि आपने फरमाया था 1-2 क्यारी छोड़ शेष खेत काट लिए गए। इधर पाटन ठिकाने में भी ऐसे ही एक जाटों के आंदोलन की भारी खबर है। आत: प्रार्थना है कि आप इधर भी दृष्टि रखें।

आपका फूलसिंह सोलंकी

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इधर का काम करने के लिए नीचे लिखे सज्जनों के नाम शेखावाटी किसान पंचायत में शामिल कर लिए गए हैं यह लोग काफी मजबूत हैं:

1 कालूराम जी हनुमान जी, सिरोही ठिकाना, ढाणी सेवगांवाली
2 बालूजी काजला, रेखा जी जाखड़, ठिकाना सिरोही, ढाणी तेतरवाल की
3 मोती जी सामोता, ढाणी समोता, ठिकाना सिरोही
4 रुग्घाजी, ढाणी खेतावाली
5 रूड़ा मील सिरोही
6 पोकर अहीर गोपी अहीर, करोड़ की ढाणी
7 बल्ला अहीर ढानी करोड़, ठिकाना सिरोही
8 नंदा माली मंगला माली सिरोही

....आपका फूलसिंह सोलंकी


ठाकुर देशराज[4] ने लिखा है ....

तारीख 3 मार्च 1934

श्रीमान ठाकुर साहब नमस्ते !

इस समय ठिकाना सिरोही के जाटों ने ठाकुरों के अत्याचारों के विरुद्ध आंदोलन शुरू कर दिया है। ठाकुर साहब ने भी आस-पास के ठाकुरों को अपनी सहायता के लिए बुला लिया है। इस पर 200 आदमी भी उसके पास लड़ाई करने को तैयार है। इधर सभी काश्तकार अर्थात जाट, गुर्जर ,अहीर और माली आदि भी अपने-अपने कुए छोड़ कर एक तालाब पर प्रतिदिन जमा हुए बैठे रहते हैं। इस समय ये लोग आपका ही नाम रट रहे हैं। मुझे आशा है कि आप इधर पधारने का कष्ट करेंगे।

फूलसिंह सोलंकी नवलगढ़

References

  1. Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.2,447-448, 450
  2. Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.2
  3. Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.447-448
  4. Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.447-448

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