Ganga Ram Fageria

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Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Ganga Ram Fageria (born:1882) (श्री गंगाराम फगेडिया खरसाडू), Kharsadoo, Sikar, was a Freedom fighter and hero of Shekhawati farmers movement. [1]

जाट जन सेवक

ठाकुर देशराज[2] ने लिखा है ....श्री गंगाराम जी खरसाडू - [पृ.492]: आपके पिताजी का नाम चौधरी मेवाराम जी फगेडिया था। आपका जन्म संवत 1939 विक्रमी का है। आप सीकर के उन पुराने बहादुर आदमियों में से हैं जिन्होंने अकेले ही अकेले ठिकाने से टक्कर ली। संवत 1987 (1930 ई.) में जो निश्चित लगान से ज्यादा लगान वसूल करने की ठिकाने ने कोशिश की। आपने लगान देने से इनकार किया और उसके उसके विरुद्ध में आपने जयपुर आदि आबू तक पुकार की। आबू में एजीजी हैं 4 दिन तक मिलकर अपनी कष्ट कहानी सुनाई। इसके बाद दिल्ली गए और गोलमेज कांफ्रेंस में दरख्वास्त देते रहे। इससे चिढ़कर ठिकाने वालों ने आपके मकान को लूट लिया, स्त्री और बच्चों को देश निकाला दे दिया और जमीन भी जप्त कर ली। चार पांच साल आपके स्त्री-बच्चों को व आपको काफी सामना


[पृ.493]: करना पड़ा। तब आखिर ठिकाने को झक खानी पड़ी। जमीन भी वापस लौटानी पड़ी, सामान भी जो लूटा था वापस लौटा दिया और जिन लोगों ने लूट की थी उन लोगों से मुकदमा लड़के जयपुर सरकार से सजा करा दी। आपकी इस तरह की हलचलों का यह नतीजा हुआ कि आप लोगों को सवा लाख रुपए लगान में जो बढ़ाएं थे माफ़ किए गए। आप तभी से कौम का बराबर काम करते आ रहे हैं। आपके लड़के का नाम रामबक्स सिंह है।

संवत 1889 (1932 ई.) में आपको लगान बंदी का प्रचार करने के कारण लक्ष्मणगढ़ के पहाड़ी किले में बंद कर दिया गया और 5 दिन तक खाने को भी कुछ नहीं दिया गया। लेकिन आप अपने प्रण पर अटल रहे और सवा लाख की छूट ठिकाने को विवश होकर देनी पड़ी।

जीवन परिचय

सहयोगी

ठाकुर देशराज[3] ने लिखा है ....चौधरी ईसर जी - [पृ.493]: चौधरी गंगाराम जी के पुराने साथियों में छोटे भूमा के चौधरी ईसर जी का नाम भी उल्लेखनीय है। आप ढाका गोत्र के जाट चौधरी बीजाराम जी के पुत्र हैं। इस समय आपकी 50 साल से ऊपर उम्र होगी।

संवत 1979 (1922 ई.) के लगान बढ़ाने पर आरंभ किए गए आंदोलन में आपने बड़ा काम किया। इस आंदोलन में पूरां के चौधरी हनुमाना और रेणावा के फड़सी ने भी काफी काम किया। उस समय कूदन के पेमा चौधरी और पनलावा के सेवा चौधरी को जेल में दे रखा। उन्हें छुड़ाने के लिए तिलोकाराम मील का बेटा हनुमानाराम और घुमा एजेंट साहब जयपुर के पास पहुंचे थे।

बाहरी कड़ियाँ

संदर्भ


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