Ganga Ram Isharwal

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Statue of Ganga Ram Isharwal at Cherai

Ganga Ram Isharwal Bishnoi, Shaurya Chakra, from village Cherai (Isharwalon Ki Dhani) in Osian tahsil of Jodhpur district, Rajasthan lost his life for the protection of deer on 12 August 2000. For his act of bravery and love for wildlife he was awarded with Shaurya Chakra (posthumous), Shahid Amrita Devi Bishnoi Awards of National and state levels, Paryavaran Mitra and other many awards.

शौर्य चक्र शहीद गंगाराम ईशरवाल

जन्म परिच: शौर्य चक्र अमर शहीद गंगाराम जी ईशरवाल के पिताजी का नाम श्री फूसाराम जी बिश्नोई के घर गांव चेराई (ईशरवालो की ढाणी) हुआ । ऐसे माता-पिता जिन्होने गंगाराम जी जैसे पुत्र को जन्म दिया जो अपने प्राणों से प्रिय हिरणों के लिए शहीद हो गए।

शहीद गंगाराम जी बिश्नोई की कहानी

सन् 2000 की बात है ! जब बरसात का मौसम था, लोग अपने खेतों में काम कर रहे थे। फुसाराम जी ईशरवाल का परिवार भी अपने खेत में काम कर रहा था। काम करने वाले व्यक्तियों में एक वन्य जीवो का रक्षक महान सिपाही शहीद गंगाराम बिश्नोई भी था। उनके खेत के पास ही कुछ शिकारी लोगों का भी घर है। सायं 5-6 बजे का वक्त था लोग अपने अपने घरों की तरफ जा रहे थे इतने में रेत के टिलों के बीच से गोली की आवाज़ सुनाई पड़ी ये आवाज़ सुनते ही गगाराम जी के जहन में एक ही बात आई कि निश्चित ही किसी शिकारी ने आज बेजुबान वन्य प्राणी पर वार किया है। गंगाराम भाई व धर्मपत्नी को खेत में ही छोड़कर उस बन्दूक की गोली की आवाज़ की तरफ भाग पड़े, थोङी दूरी पर एक शिकारी हिरण को लेकर भाग रहा था। बस गंगाराम ने वहीं से उसका पिछा शुरू किया। पेपाराम भील नामक शिकारी 3 किमी तक भागा लेकिन श्री गुरू जम्भेश्वर भगवान का शिष्य कहां थकने वाला था उसने भी हार नहीं मानी और शिकारी के पास पहुंच गया। शिकारी ने हिरण को वही गिरा दिया और गंगाराम को ललकारा की हिम्मत है तो आगे बढो। वो वीर उस कायर की आवाज़ से कैसे घबराता, चल पड़ा गोली को सीने से लगाने के लिए। उस शिकारी ने गंगाराम पर गोली चला दी और हिरण के साथ प्रकृति का पुजारी वहीं शहीद हो गया। देखते ही देखते लाखों लोग उस वीर के जयकारे लगाने के लिए एकत्रित हो गये।

शहीद को सम्मान

चेराई गाँव के बीचों बीच हिरण के साथ शहीद को समाधि दी गई , सरकार द्वारा मरणोपरांत शोर्य चक्र से सम्मानित किया गया शायद भारत का प्रथम व्यक्ति है जिसे वन्य जीवों की रक्षा के लिए शहीद होने पर यह सम्मान मिला हो । शहीद का ये जज्बा देखकर सीना गर्व से प्रफुल्लित हो उठता है की कितना महान सिपाही था जो हिरणों के लिए मौत से भी नहीं डरा । आज हमारी लाचारी व बेरूखी के कारण लाखों हिरण कुत्तों व शिकारियों का शिकार हो रहे है जिस कारण वे विलुप्त होने के कगार पर है। हम उसे बचाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे है। शायद वर्तमान हिरणों की दुरदशा देखकर उन शहीदों की आत्मा भी रोती होगी की हमारे बलि भी लोगों की प्रेरणा नहीं बन पायी जिस कारण वन्य जीवों की ये दशा हो रही होगी , नहीं तो लोग हमसे शिक्षा लेकर भी हिरणों की रक्षा के प्रति इतने बेरूखे कैसे? हम उन शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि तभी अर्पित कर सकेंगे, जब जमीनी हकीकत पर हिरणों को बचा सकेंगे। हिरण लुप्त होते जायें और हम सिर्फ फूल चढाते चले तो शहीद भी सच्ची श्रृद्धांजलि नहीं मानेंगे । आओ चेराई जोधपुर के महान योद्धा गंगाराम बिश्नोई को उनकी पुण्यतिथि पर वन्य जीवों की रक्षा के लिए कुछ ठोस प्रण लेकर सच्ची श्रृद्धांजलि अर्पित करें ।

स्मृति शेष

ज्ञात रहे कि आज से ठीक 14 वर्ष पूर्व 12 अगस्त 2000 को चेराई ओसियां निवासी गंगाराम ईश्रवाल ने हिरण रक्षार्थ अपने प्राणों का बलिदान दिया था। शहीद की वीरता के लिए भगवान ईन्द्र भी उस दिन खुब रोये थे और अमृत वर्षा कर उस वीर का स्वर्ग लोक में स्वागत किया था। एक शिकारी से हिरण को बचाने के लिए 3 किमी तक पिछा करते हुऐ हिरण के साथ साथ आप स्वयं भी उस पापी की गोली का शिकार हो गऐ।

जब शहीद गंगाराम ईश्रवाल की पार्थिव देह अस्पताल से घर ले जाई गई उस समय सारा वातावरण शहीद गंगाराम बिश्नोई अमर रहे..... जब तक सुरज चांद रहेगा, गंगाराम तेरा नाम रहेगां..... हिरण के हत्यारों कों फांसी दो...... तथा श्री गुरू जम्भेष्वर भगवान की जयघो से सारा वातावरण गुंजायमान हो गया। समस्त बिश्नोई समाज इस वीर सपूत की शाहदत को सलाम करते हुए शत शत नमन करता हैं।

" शहीदों की चिताओं पर लगेंगे, हर बरस मेले, वतन पे मरने वालों का यही निषां होगा।"


शहीद गंगाराम विश्नोई मेला 12 अगस्त को! विदीत रहे श्री गंगाराम 12 अगस्त 2000 को वन्य जीव हिरण की रक्षार्थ शिकारियों की मुठभेेड़ मे शहीद हो गये थे.

श्री गंगाराम विश्नोई को मरणोपंरात रक्षा मत्रांलय भारत सरकार द्वारा शौर्य चक्र से ,राष्ट्रीय व राज्य स्तर के अमृता देवी पर्यावरण पुरस्कार, प्राणी मित्र पुरस्कार सहित अनेेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। यूं कहने को तो यह मेला अखिल भारतीय जीव रक्षा विश्नोई सभा व बिश्नोई नवयुवक मडंल औसियां के सयुंक्त तत्वाधान मे आयोजित होता है,लेकिन प्रचार प्रसार व मेला व्यवस्था पारिवारिक स्तर पर ही हो रहे है, मेला कमेटी भी बनी हुई है लेकिन वो भी निष्र्किय है।

अमर शहीद को लेखक अमेश बैरड़ की और से समर्पित दो पंक्तियाँ

कायरों की करतुत के आगे झुका नही वो,
मूक प्राणी को मरते देख खुद जिन्दा रह सका नहीं वो ।
शहादत परम्परा को जिन्दा रखा है जिसने?
वो गंगाराम बिश्नोई मिट गया पर मर सकता नहीं कभी ।।

शहीद स्थल

जोधपुर जिले के ओसिया तहसील के चेराई गांव के बीचोबीच में हिरण के प्रतिमा व शहीद गंगाराम बिश्नोई की प्रतिमा लगी हुई हैं।

शहीद की चित्र वीथी

लेखक

अमेश बैरड़ निवासी रतानिया की ढाणी चेराई , मो.8000095924, 9602695924, Email-Abairad36@gmail.com

संदर्भ


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