Ganga Ram Nuwad

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Ganga Ram Nuwad

Ganga Ram Nuwad (Naik) (05.02.1963-12.10.1987), Vira Chakra (posthumous), became martyr on 12.10.1987 during Operation Pawan in Sri Lanka. He was from Peenglod village in Kishangarh tehsil in District Ajmer, Rajasthan. Unit: 10 Parachute Regiment (Desert Scorpion).

नायक गंगा राम नुवाद

नायक गंगा राम नुवाद

05-02-1963 -12-10-1987

सेवा संख्या - 13614332 M

वीर चक्र (मरणोपरांत)

वीरांगना - श्रीमती चांद देवी

यूनिट - 10 पैराशूट रेजिमेंट (Desert Scorpion)

ऑपरेशन पवन (श्रीलंका)

नायक गंगा राम का जन्म 5 फरवरी 1963 को राजस्थान के अजमेर जिले की किशनगढ़ तहसील में सलेमाबाद के निकट धेड़ की ढाणी , चक पींगलोद (अब पींगलोद गांव) में स्व. श्री सुखा राम नुवाद एवं स्व. श्रीमती भंवरी देवी के परिवार में हुआ था। जब वह तीन वर्ष की आयु के थे तभी उनकी माता का निधन हो गया था। इनका लालन-पालन इनके चाचा-चाची स्व. श्री सुगना राम नुवाद एवं श्रीमती बिदाम देवी द्वारा किया गया था। उनकी शिक्षा पींगलोद गांव व निम्बार्क तीर्थ (सलेमाबाद) के विद्यालयों में हुई थी। विधार्थी जीवन से ही वह अत्यंत साहसी प्रवृति के थे।

शिक्षा प्राप्त करते समय उनके शिक्षकों द्वारा उनके जीवन का लक्ष्य पूछने पर वह सैनिक बनकर देश सेवा करना बताते थे। मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात 10 दिसम्बर 1981 को, 19 वर्ष की आयु में वह भारतीय सेना की पैराशूट रेजिमेंट में रंगरूट के रूप में भर्ती हुए थे। प्रारंभिक प्रशिक्षण के उपरांत उन्हें 10 पैरा बटालियन में पैराट्रूपर के पद पर नियुक्त किया गया था। वह मुक्केबाजी, ताईक्वांडो, घुड़सवारी तथा क्रॉस कन्ट्री के उत्कृष्ट खिलाड़ी थे। अपनी बटालियन में सेवाएं देते हुए वह लांस नायक के पद पर पदोन्नत हो गए थे।

वर्ष 1987 में नायक गंगा राम की बटालियन को भारतीय शांति सेना के एक भाग के रूप में ऑपरेशन पवन के अंतर्गत श्रीलंका में तैनात किया गया था। 12 अक्टूबर 1987 को 10 पैरा बटालियन की एक टुकड़ी को जाफना नगर के मध्य, कोकोविल क्षेत्र में लिट्टे उग्रवादियों का मुख्यालय बन चुके जाफना विश्वविद्यालय पर आक्रमण करने और नष्ट करने का कार्य दिया गया। लांस नायक गंगा राम भी उस आक्रमणकारी टुकड़ी के सदस्य थे।

अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा की घोर उपेक्षा करते हुए, नायक गंगा राम ने आँधी की भांति उस भवन में प्रवेश किया, जहां से लिट्टे उग्रवादी ग्रेनेड दाग रहे थे। आगामी आमने-सामने की शारिरिक लड़ाई में, परास्त होने से पूर्व उन्होंने भीषण प्रचंडता और असाधारण साहस से तीन उग्रवादियों को मार गिराया। लिट्टे मुख्यालय पर भारतीय सेना का अधिकार होने के पश्चात नायक गंगा राम का पार्थिव शरीर उन तीन उग्रवादियों के साथ एक कक्ष में पड़ा हुआ पाया गया था।

नायक गंगा राम ने लिट्टे उग्रवादियों के समक्ष विशिष्ट साहस एवं वीरतापूर्ण नेतृत्व का परिचय दिया। उन्हें मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया गया था।

इनके बड़े पुत्र सर्वेश्वर राज्य सेवा में कनिष्ठ सहायक के पद पर कार्यरत हैं तथा छोटे पुत्र हरदयाल अपने पिता के पदचिन्हों पर चलते हुए, अपने पिता की 10 पैरा बटालियन में सेवाएं दे रहे हैं।

14 अप्रैल 2023 को गांव में इनकी प्रतिभा का अनावरण किया गया।

शहीद को सम्मान

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