Gangaram Chaudhari Soi
Subedar Gangaram Chaudhari (Soi) (b.14.8.1956-d.22.8.1994) was from village Dhandhaniya in Shergarh tahsil in Jodhpur district of Rajasthan. He was awarded Shaurya Chakra for his bravery in Somalia Mission. The Shaurya Chakra award was received by her widow wife Smt Gogi Devi from President of India on 26 January 1995.
जीवन परिचय
सूबेदार गंगाराम चौधरी शौर्य चक्र मरणोपरांत का जन्म 14 अगस्त 1956 को शेरगढ़ तहसील के ढांढणिया गाँव में पिता श्री जालाराम सोईं तथा माता श्रीमती सज्जनो देवी के घर हुआ। आप बचपन से ही निडर और साहसी प्रवृति के थे। प्रारम्भिक शिक्षा गाँव से ही प्राप्त की। उनकी गिनती एक उत्कृष्ट और चरित्रवान विद्यार्थी के रूप में होती थी।
सेना में चयन
28.11.1974 को आपका चयन सैन्य सेवा के लिए हो गया। 20 वर्ष की आयु में प्रारम्भिक सैन्य ट्रेनिंग महार रेजीमेंट सेंटर सागर मध्य प्रदेश से प्राप्त कर 5 महार बोर्डर्स रेजीमेंट में में नियुक्ति हुई। आपकी लगन, उत्साह और कार्यकुशलता के कारण आपका प्रमोशन नायक, हवलदार व सूबेदार के पद पर हुआ।
सोमालिया मिशन
सोमालिया मिशन के दौरान 22.8.1994 को आप एक महत्वपूर्ण काफिले के सुरक्षा का दायित्व संभाल रहे थे। बरगीलो क्षेत्र से गुजरते हुये काफिले पर भीषण गौलीबारी हुई जिसमें 3 भारतीय सैनिक खेत रहे। सूबेदार गंगाराम ने तत्काल स्थिति का मूल्यांकन कर सही स्थिति से शत्रु पर धावा बोल दिया। शत्रु से वे अपने काफिले की गाडियाँ छुटाने में सफल रहे। शत्रु ने दोनाली विमान भेदी तोप से सूबेदार गंगाराम की गाड़ियों पर हमला किया। इस हमले में वे स्वयं और उनका ड्रायवर घायल हो गए। घायल अवस्था में वे गाड़ी से बाहर निकले और शत्रु पर सी.एम.जी. से गोले बरसाकर धावा बोल दिया। परंतु उनको गोली सीने में लगी थी जिसके कारण वे शहीद हो गए। शहीद सूबेदार गंगाराम के साथी सैनिकों ने विमान भेदी तोप और अन्य शस्त्रों पर कब्जा कर लिया। इस कार्यवाही में शत्रु के 10 सैनिक मारे गए, 11 घायल हुये और 3 को बंदी बना लिया।
शौर्यचक्र (मरणोपरांत) से सम्मानित
सूबेदार गंगाराम ने भारतीय सेना के उच्च आदर्शों के अनुरूप शौर्य, निष्ठा और बेमिसाल वीरता का परिचय देते हुये अपने प्राण न्यौछावर कर दिये। इस वीरता के लिए उन्हें शौर्यचक्र (मरणोपरांत) प्रदान कर सम्मानित किया गया। तत्कालीन राष्ट्रपति शंकरदयाल शर्मा ने 26 जनवरी 1995 को उनकी पत्नी गोगोदेवी को शौर्यचक्र प्रदान किया।
शाहीद स्मारक
जोधपुर-जैसलमर मार्ग पर ढांढणिया गाँव में तिराहे पर शहीद सूबेदार गंगाराम का स्मारक बनाया गया है।
लेखक की कलम से
आओ झुक कर सलाम करे उन्हें जिनके हिस्से में ये मुकाम आता है किस कदर खुश नसीब है वो लोग खून जिनका वतन के काम आता है । अमेश बैरड़ Abairad36@gmail.Com
लेखक के विचार
ए भीड़ में रहने वाले इंसान एक बार वर्दी पहन के तो देख, रात के अँधेरे में जब दुनिया सोती है तू मुस्तैद खड़ा जाग के तो दिखा । बॉर्डर पे खड़ा हो कर घर की तरफ मुड़ के तो दिखा, मुड़ने से पहले वाइफ को छुट्टी के सपने तो दिखा, कल छुट्टी आऊंगा बोलके बच्चों को फोन पे ही चॉकलेट खिला के तो दिखा, थकी हुई आँखों से याद करने वाले माँ-बाप को अपना मुस्कुराता चेहरा तो दिखा, ये सब करते समय दुश्मन की गोली अपने सीने पे लेके तो दिखा, आखिरी सांस लेते समय तिरंगे को सलाम करके तो दिखा, छुट्टी से लौटते वक़्त बच्चों के आँखों में आंसू-माँ बाप की बेबसी-पत्नी की लाचारी को नज़र अंदाज़ करके तो दिखा ए भीड़ में रहने वाले इंसान एक बार वर्दी पहन के तो दिखा...... ।। ।। जय हिन्द ।।
लेखक
संदर्भ
- ↑ Added by अमेश बैरड़
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