Gangoli Jind
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Gangoli (गांगोली) is a village in Safidon tahsil of Jind district in Haryana.
Location
Jat gotras
History
कप्तान सिंह देशवाल लिखते हैं -
गाँव चान्दसमंद का खेड़ा पहले मुसलमानों का गाँव था। इस गाँव को सफीदों से सरदार व अन्य जातियों के लोग तंग करते थे। सफीदों के हमलावर पठानों के पशुओं को खोल ले जाते और दूसरी छोटी जातियाँ चोरी इत्यादि करते रहते थे। समय मिलते ही चान्दसमंद के पठानों की बेवजह (बिना कसूर) पिटाई भी करते थे। गाँव चान्दसमंद के पठान की दोस्ती गाँव लाढौत के जाट परिवार से थी। एक दिन पठान ने देशवाल परिवार से सारी बात बता कर कहा कि आप हमारे गाँव में बस जाओ। मेरे पास काफी जमीन है। गाँव लाढौत से 8 परिवार गाँव चान्दसमंद में आ गये। देशवालों ने सभी हमलावरों को पछाड़ दिया। गाँव में सुख-शान्ति से रहने लगे। इस गाँव में लगभग 150 साल तक देशवाल रहे। इसी दौरान में बीमारी के कारण मुसलमानों का परिवार खत्म हो गया। यहाँ के मुसलमान जो एक-दो परिवार बचे थे वो भी पलायन कर गये। अतः इस जगह को (गाँव को) अशुभ मान कर देशवाल भी यहाँ से चल दिए।
गाँव चान्दसमंद उजड़ होने पर देशवालों के लोग गाँव खेड़ी में आये (यह गाँव मुसलमानों का गाँव था)। इस खेड़ी से उठकर ये लोग खेड़िया पहुंचे। खेड़िया गाँव गांगोली का हिस्सा है। इन व्यक्तियों ने अपनी बस्ती के लिए एक नई जगह तलाशी। यह एक टीला था जो तीन तालाबों के बीच में था। ये तालाब पुराने बताये जाते हैं। रामसर तालाब, कुण्ड और डेगावाला तालाब था। यहाँ पर एक कुआँ भी बना हुआ था। इस कुएं को धेला कुआँ कहते हैं। यह कुआँ बहुत प्राचीन है। इनके बीच में चौ. गंगली के नाम से गाँव का नाम गांगोली रखा गया। कुछ देशवाल परिवार चान्दसमंद खेड़े से दूसरी जगह पर जा बसे। वहाँ पर अपने गाँव बसा लिए।
कुण्ड तालाब पर जीन्द के राजा की चौकी थी। इस तालाब की पहले चारदीवारी, एक पक्का घाट हिन्दुओं का, एक मुसलमानों का और एक पशुओं के लिए था। तालाब का पानी घरेलू काम के लिए भी प्रयोग होता था। एक दिन जब हिन्दुओं की लड़कियाँ और महिलायें तालाब पर पानी लेने गई थीं, राजा की चौकी में जो 13 सैनिक राज्य की सीमा पर रहते थे, उन सैनिकों ने लड़कियों और औरतों को अपशब्द कहे। गाँव में पंचायत हुई और पंचायत में फैसला हुआ कि जब ये सैनिक बाणियाँ की दुकान पर सामान लेने के लिए आयेंगे, तो उस समय उनको काट दिया जाए। इस फैसले के अनुसार एक-एक सैनिक आता रहा और गाँव वालों ने इस तरह 11 सैनिकों को काट दिया। इन्तजार करके बचे हुए दो सैनिक भी इकट्ठे आ गए। एक को पकड़ कर मार दिया गया लेकिन दूसरे ने भागकर राजा को रिपोर्ट देकर सारी घटना बताई। राजा संगत सिंह गाँव में आया। राजा ने उन आदमियों को माँगा जिन्होंने 12 सैनिक मारे थे। गाँव वालों ने आदमी देने से इन्कार कर दिया। राजा ने गाँव को उजाड़ने के उद्देश्य से लड़ाई कर दी। गाँव को तोप का निशाना बनाया गया। यह लड़ाई 6 महीने तक सन् 1824 में हुई थी। तोपची गोलों को गाँव के दायें-बायें करता रहा। जांट के वृक्ष में अब पीछे तक गोले का निशान था। इस लड़ाई में राजा को भारी नुकसान हुआ। राजा की हार हुई। तब राजा ने कहा कि मैं इस गाँव में से दूसरी तरफ जाऊँगा, मुझे जाने दो, लड़ाई बन्द कर दी जायेगी। और इस गाँव को कई भागों में बांट दो। कुछ दिन के लिए गाँव के कई परिवार अपनी रिश्तेदारियों में चले गये। राजा एक-दो घर के मंडेर गिरा कर चला गया। कई वर्षों बाद खेत दूर होने के कारण अपनी सुविधा के अनुसार अलग-अलग समय में अन्य गाँव अपने खेतों में बसे। लेकिन राजा के डर के कारण कोई गाँव नहीं बसाया गया।
विशेषताएँ -
- यह गाँव सफीदों से 21 किलोमीटर दक्षिण में जीन्द से 24 किलोमीटर उत्तर दिशा में जीन्द से गोहाना रोड पर 8 किलोमीटर पर सिंधवी खेड़ा से उत्तर दिशा में 16 किलोमीटर पर आबाद है।
- इस गाँव के पास 19000 पक्का बीघा जमीन है।
- इस गाँव में नत्थवाण और चैल्याण नाम के दो प्रसिद्ध पाने हैं।
- चौ. लक्ष्मण सिंह देशवाल चर्चित पहलवान हुआ जिसका वजन तीन मण (140 किलोग्राम) था। साढे-छह फुट की लम्बाई थी। घाघर नदी और यमुना नदी के बीच में इसके मुकाबले का पहलवान नहीं था। यह पहलवान सुशील स्वभाव, सुलझा हुआ पंचायती और न्यायप्रिय व्यक्ति था। अपने जीवनकाल में अनेकों गरीब लड़कियों की शादी अपने खर्च पर की थीं। यह एक दानवीर और निःस्वार्थ मल्लयोद्धा था। इनके समय में लोहे की एक बहुत भारी बेल (चैन) 20 हाथ लम्बी होती थी। उस चैन को कोई भी व्यक्ति नहीं उठा पाया। चौ. लिछमन सिंह पहलवान उस बेल का कुंजड़ा (इकट्ठी करके बनाकर काफी समय तक घुमाता था।
- चौ. सोमनन्द नाड़िया वैद्य हुआ है। यह वैद्य जी प्रसिद्ध सारंगी वादक होने के कारण अंग्रेजों ने इसको तुर्की में साजवादक प्रतियोगिता में भेजा और वहाँ पर प्रथम स्थान प्राप्त किया। वैद्य जी को वहाँ पर सम्मानित किया गया था।
- चौ. रिसालसिंह, गिर्धाला, तुलसीराम और शेरसिंह स्वतन्त्रता सेनानी हुए हैं।
- चौ. मलवा सिंह देशवाल जाट महारानी लक्ष्मीबाई की सेना में प्रसिद्ध सेनानायक था। वह महारानी की अग्रणीय सैनिक टुकड़ी में शामिल था। झांसी के किले को जिस समय अंग्रेजों ने चारों ओर से घेर लिया था, उस समय महारानी लक्ष्मीबाई को अंग्रेजों की घेराबन्दी से निकालने वाला वीर सेनानी चौ. मलवा देशवाल जाट था। उस समय सैंकड़ों अंग्रेजों को मौत के घाट उतारकर महारानी को सुरक्षित निकालने में कामयाब रहा। सन् 1857 की आजादी की क्रान्ति में अंग्रेजों की सेना के साथ लड़ता-लड़ता शहीद हो गया। इस वीर सेनानी मलवा देशवाल जाट का नाम "शहीदों का स्मारक झांसी" में मोटे अक्षरों में अंकित है।
- गाँव लाढौत से इन देशवालों के पूर्वज सन् 1080 में आये थे और 1247 में गाँव गांगोली बसाया था।
- यहाँ से कुछ परिवार वापिस लाढ़ौत चले गये। इन्हें लाढ़ौत गांव में गांगोलिया कहते हैं।
- चौ. दीवान सिंह देशवाल सन् 1937 में जिला जीन्द से एम.एल.सी. चुने गये थे। चौ. ओमप्रकाश देशवाल हरयाणा में डी.एस.पी. रहे हैं। गाँव के कई अन्य व्यक्ति उच्च अधिकारी व चेयरमैन भी रहे हैं।
- मार्च 2014 में अन्तर्राष्ट्रीय कुश्तियों में संदीप देशवाल पहलवान गोल्ड मैडल से सम्मानित किया गया और अनूप पहलवान ने भी अन्य कई मैडल, अन्य प्रान्तों से कुश्ती जीत कर प्राप्त किए हैं। जगमेन्द्र (जग्गा) ने पैरा-ओलिम्पिक प्रतियोगिता (34 देश) मलेशिया व कुवैत से गोल्ड मैडल प्राप्त किए हैं।
- आचार्य धरूदेव जी गांव गोरड़-बखेता में अपना गुरुकुल चला रहे हैं। ये आर्य सन्यासी हैं। इनके गुरुकुल में ब्रह्मचारियों के चरित्र की शिक्षा, देश धर्म, आत्मरक्षा, वैदिक संस्कृति पर विशेष ध्यान दिया जाता है। (स्वामी द्यरूवानन्द देशवाल)
- सिद्धश्री बाबा श्रद्धानाथ गाँव करसिन्धु (जीन्द) के मठ के प्रसिद्ध महन्त रहे हैं। यहाँ गाँव करसिन्धु व अन्य गाँवों की मानता (आस्था) है। इस मठ में बाबा श्रद्धानाथ जी के नाम पर भंडारे का आयोजन हर साल होता रहता है। इस गांव के लोग उसे सिद्ध और तपस्वी साधु कहकर हर समय नतमस्तक होते हैं और उसका गुणगान करते हैं।
- पेट की लगाणा नामक बीमारी का चौ० मोहलाराम देशवाल के परिवार का किसी भी सदस्य द्वारा झाड़ा लगाने पर यह बीमारी तुरन्त प्रभाव से ठीक हो जाती है। क्योंकि किसी सिद्ध साधु द्वारा फ्री में झाड़ा लगाने का आशीर्वाद इस परिवार को मिला हुआ है।
- चौ. सहिराम देशवाल मार्किट कमेटी पील्लूखेड़ा और चौ. सुभाष देशवाल ब्लॉक समिति पील्लूखेड़ा के चेयरमैन रहे। श्रीमती वीना देवी देशवाल जिला जीन्द की चेयरमैन रही।[2]
Population
It is a medium size village (Population around 5500).
Notable persons
Subhash Deswal - MLA, Haryana Vidhan Sabha
External Links
References
- ↑ जाट वीरों का इतिहास: दलीप सिंह अहलावत, पृष्ठ-999
- ↑ कप्तान सिंह देशवाल : देशवाल गोत्र का इतिहास (भाग 2) (पृष्ठ 112-116)
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