Ganpat Ram Kadwasra

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Ganpat Ram Kadwasra
Ganpat Ram Kadwasra

Ganpat Ram Kadwasra (10.8.1994-24.9.2017) is from village Khudiyala, Osian, Jodhpur, Rajasthan. He was from Jat Regiment. He became martyr on 24.9.2017 fighting with enemies in Jammu and Kashmir.

जीवन परिचय

सिपाही गणपतराम कड़वासरा सर्विस नं - 3210288L 10-08-1994 - 24-09-2017 वीरांगना - श्रीमती रूपा देवी यूनिट - 20 जाट रेजिमेंट ऑपरेशन रक्षक

सिपाही गणपतराम कड़वासरा का जन्म 10 अगस्त 1994 को राजस्थान के जोधपुर जिले की ओसियां क्षेत्र के खुडियाला गांव में श्री पूनाराम कड़वासरा के घर में हुआ था। उन्होंने बी.ए. प्रथम वर्ष तक शिक्षा प्राप्त की थी। 8 जून 2014 को वह भारतीय सेना की जाट रेजिमेंट में रंगरूट के रूप में भर्ती हुए थे। प्रशिक्षण के पश्चात उन्हें 20 जाट बटालियन में सिपाही के पद पर नियुक्त किया गया था। 13 अप्रैल 2015 को उनका विवाह बाना का बास गांव की सुश्री रूपा से हुआ था।

वर्ष 2017 में उनकी बटालियन जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के तंगधार सेक्टर में नियंत्रण रेखा पर अग्रिम रक्षा स्थितियों पर तैनात थी। तंगधार सेक्टर तीन और से पाकिस्तानी सीमा से घिरा हुआ है। यहां सबसे अधिक घुसपैठ के प्रयास और युद्ध विराम उल्लंघन की घटनाएं होती हैं। 24 सितंबर 2017 को पाकिस्तान की ओर से युद्ध विराम का उल्लघंन करते हुए अकारण की गई गोलीबारी में सिपाही गणपतराम गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें चिकित्सालय ले जाया गया, जहां उपचार के समय वह वीरगति को प्राप्त हो गए।

24 सितंबर 2018 को गांव में इनके स्मारक पर प्रतिमा का अनावरण किया गया। राज्य सरकार द्वारा इनकी स्मृति में गांव के राजकीय विद्यालय का नाम "शहीद गणपतराम कड़वासरा राजकीय प्राथमिक विद्यालय, केरला नाडा खुडियाला" किया गया है।

स्रोत: रमेश शर्मा


"खुडियाला कुण जानतो साधारण सो एक गाँव !
शहीद गणपतराम कड़वासरा ने किया मारवाड़ मे नाव !!
  • नाम- गणपत राम कड़वासरा
  • पिता का नाम- पुनाराम कड़वासरा
  • जन्मतिथि- 10 अगस्त 1994
  • सेना में भर्ती- जून 2014
  • सहादत- 24 सितम्बर 2017

जाट रेजीमेंट के जाबाज जवान गणपतराम कड़वासरा 24 सितम्बर 2017 को जम्मू-कश्मीर के तंगधार सेक्टर में रविवार को पाकिस्तान की तरफ से हुई गोलीबारी का जवाब देते शहीद हो गए ।

शहीद की अन्त्येष्टि उनके पैतृक गाँव खुडियाला में पूर्ण सैनिक सम्मान के साथ 26 सितम्बर 2017 को की जायेगी ।

24 वर्षीय शहीद गणपतराम कड़वासरा ओसियाँ तहसील के गाँव खुडियाला के रहने वाले थे। इनके पिता का नाम श्री पुनाराम जी कड़वासरा है।

जन्म

मारे धोरो री धरती है समुद्रीय सु दुर.......! समुद्र निपजे हिरा और मारी धोरा धरती निपजे शुर...!!


शहीद गणपत राम कड़वासरा का जन्म 10 अगस्त 1994 को जोधपुर जिले के ओसियां क्षेत्र के खुडि़याला गांव में हुआ । गणपतराम के पिता का नाम पुनाराम कड़वासरा है । शहीद गणपत के तीन छोटे भाई है पुखाराम, सीताराम व राजेश और एक बहन है। पिता किसान है और वे खेती करते हैं। गणपत ने बीए प्रथम वर्ष तक पढ़ाई की। जून 2014 में वह सेना में भर्ती हुए। 13 अप्रेल 2015 को उनकी शादी हुई । शहीद गणपत राम कड़वासरा का सुसराल बाना का बास है।

सेना में भर्ती

गणपत राम कड़वासरा में देश सेवा और मातृभूमि सेवा की भावना कूट-कूट कर भरी थी। जून 2014 को उनकी देशभक्ति का जज्बा काम आया जब वे सेना में भर्ती हुये। जाट रेजीमेंट में अपनी सेवा दे रहे थे । गणपतराम कड़वासरा अनुशासन, कार्यकुशलता और फिजिकल फिटनेस के मामले में एक मिशाल थे।

सहादत को सलाम

जम्मू-कश्मीर के तंगधार सेक्टर में रविवार को पाकिस्तान की तरफ से हुई गोलीबारी का जवाब देते हुए जोधपुर जिले के ओसियां क्षेत्र के खुडि़याला गांव का जवान गणपत राम कड़वासरा शहीद हो गया। ओसियाँ का यह सपूत 'जाट बलवान-जय भगवान' के नारे के साथ देश के लिए शहीद हो गए।

कवि के शब्द

सीमा माथै शान सूं
गणपत रोपियो पांव


1. पूने (पूनाराम) घर
प्रकटियो धरा खुड़ियाळ थार।
हेलो दीनो हेमाळे,
हाथां ले हथियार।।
2. सीमा माथै शान सूं,
गणपत रोपिया पांव।
डटियो पण डरियो नहीं,
घण झेलिया घाव।
3. जबर गणपत जूझियो,
धिन धरा तंग धार।
कुळ जायो कड़वासरा,
सूरां री गत सार।।
4. तंग धार सेक्टर तणों,
गणपत आयो काम।
अमर जौत अखंड जले
गढ़ खुड़ियाल गांव।।
5. सुरग गयो सूरमो,
अब न हवेली आण।
पीढ़ी पीढ़ी पूजसी,
केह नाथू कवियाण।।

लेखक की कलम से

जननी जणे तो ऐसा जण,जैसे गणपत ।
नितर रहीजे बान्जड़ी मत घमाजे नूर ॥
जाटणीया जबरा जणीया जीना मोटा भाग ।
मात्रभूमी री सेवा खातर प्राण दे दिया आप ॥


मातृभूमि के लिये मर मिटने के जज्बे से प्रेरणा लेकर सदा देशभक्ति की राह पर चलने के लिये कृतसंकल्पित है।....

वीर शहीद को मेरा सलाम जय हिन्द जय भारत
छोटी सी उम्र में इतनी हैसियत बना ली है दोस्तों..
कि मेला लग गया उस दिन से शमशान में..
जिस दिन वो चले गये आसमान में।
अमर शहीद चिता पर तेरी, लगता रहेगा मेला ।
तूने अपने खून से लिखा इतिहास अलबैला ॥

शत् शत् नमन्

गर्व है हमें आपके शौर्यशाली बलिदान पर जो आज भी हम सब के लिए प्रेरणा स्त्रोत बना हुआ है ....

गणपत राम कड़वासरा मातृभूमि की रक्षार्थ शहीद हो गए

शहीद गणपत राम कड़वासरा

Jodhpur जिले के खुडियाला ओसियां के निवासी गणपतराम रविवार २४-०९-२०१७ को बैटल कैजुल्टी में शहीद हो गए. एल ओ सी के तंगधार सेक्टर में २० जाट रेजिमेंट में तैनात थे. पाकिस्तान के साथ जारी तनाव में २४ -०९-२०१७ की दोपहर को गणपत राम को गोली लगी उसके बाद उनको सेना के हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया जहाँ देर रात उन्होंने अंतिम साँस ली. और वे मातृभूमि की रक्षार्थ शहीद हो गए। २६ सितम्बर २०१७ को पैतृक गांव खुडियाला ओसियां में पूर्ण राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया।

शहीद को सम्मान

सम्मान के साथ हुआ शहीद गणपत राम कड़वासरा का अंतिम संस्कार

पैतृक गांव खुडियाला ओसियां में संसदीय सचिव भैराराम सियोल, बद्रीराम जाखड़, राजेश गेहलोत, खींवसर विधायक हनुमान बैनीवाल समेत कई जनप्रतिनिधि और सेना अधिकारी रहे मौजूद। सेना के कर्नल शेखर गुप्ता, मेजर विनोद, सूबेदार मेघाराम माचरा की टुकड़ी ने मातमी धुन के बीच सशस्त्र सलामी देते हुए शहीद गणपत राम कड़वासरा को अंतिम विदाई दी। पार्थिव शरीर के घर पहुंचते ही सैकड़ों लोगों की आंखें नम थी वहीं देश के खातिर उसकी शहादत को लेकर लोग गर्व भी महसूस कर रहे थे। और सुबह से ही हजारों की संख्या में लोग उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि देने के लिए शहीद गणपत राम कड़वासरा के घर में पहुंचे और शहीद की शहादत को याद करने के साथ-साथ इस मार्मिक अवसर पर उसके रोते-बिलखते परिवारजनों को सांत्वना भी दी। हजारों की भीड़ और बस एक आवाज गणपत राम ,अमर रहें, जब तक सूरज चांद रहेगा, शहीद तेरा नाम रहेगा.. गूंज रही थी । राजनीतिक, गैर राजनीतिक और प्रशासन के लोग शहीद की अंतिम यात्रा में शामिल हुए।

शहीद गणपतराम कड़वासरा का परिवार

गणपत राम कड़वासरा खुडियाला ओसियां के रहने वाले थे। परिवार में उनके पिता श्री पुनाराम के अलावा उनके तीन भाई और उनकी पत्नी रूपा देवी हैं। भाई पुखराज भी सेना में जाने की तैयारी कर रहा हैं जबकि उनके छोटे भाई सीताराम और राजेश क्रमश आठवीँ और छठी में अध्ययनरत हैं। शहीद गणपत राम की शादी ढाई साल पहले बाना का वास निवासी रूपा देवी के साथ हुई थी। उनकी कोई संतान नहीं हैं। गणपतराम ने सेना भर्ती रैली के माध्यम से वर्ष 2014 में सेना ज्वाइन की थी। जम्मू कश्मीर में शहीद हुए जोधपुर के लाल गणपतराम के पार्थिव शरीर को सड़क मार्ग से दिल्ली से उनके पैतृक गांव खुडियाला ओसियां लाया गया.


लेखक

Martyr cremated with full honours

Ref - Times of India, Sep 27, 2017

Mortal remains of martyr Ganpat Ram Kadwasra were consigned to flames at his parental village Khudiyala amid the military honour on Tuesday afternoon (26.9.2017). Thousands thronged the village to attend the funeral of this son of the soil from 20 Jat Regiment of the Army who had achieved martyrdom in Tangdhar sector of J&K on Sunday during a cross-border firing. He was survived by his wife.

The mortal remains of Kadwasra reached his village on Tuesday in a military vehicle with full honour. The crowd chanted slogans like "shaheed Ganpatram amar rahe" and "Jab tak sooraj chand rahega, Ganpatram tera naam rahega". The moment, his remains were alighted from the vehicle, entire atmosphere turned gloomy with an apparent anger against the terrorists and Pakistan.

The administrative officials and the public representatives present on the occasion offered floral tribute to the martyr and consoled the family members. 85 armed regiment guard gave a guard of honour to the martyr with 21 gun shots. A farmer of the village Ved Prakas Boob offered space in his farm for the funeral.


While his younger brother Pukharam offered the flames to the pyre, his father Punaram appearing proud of his son's gallantry, demanded a severe action against Pakistan for its dastardly act.


Pukharam himself is determined to join the army and father is equally determined to encourage him to join the defence services. Punaram said that he had appeared in a recruitment rally recently.


Ganpatram had returned back to job after a month's leave on September 7 and was sent to J&K thereafter. Eldest of all the four brothers, Ganpatram was the only earning member in the family with two younger brothers studying in school.

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