Gingee
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Gingee (Senji) is a panchayat town in Villupuram district (erstwhile South Arcot district) in the Indian state of Tamil Nadu.
Location
The nearest town with a railway station is Tindivanam, 28 km away and Thiruvannamalai, 29 km. Gingee is located between three hills covering a perimeter of 3 km.
Origin
Variants
- Gingee
- Gingee Fort
- Jinji जिंजी (जिला आरकट, मद्रास) (AS, p.365)
Jat clans
History
Gingee Fort Hill
Gingee is famous for its Gingee Fort, a popular tourist attraction. The Kon dynasty laid the foundations for the Gingee Fort in 1190 AD.[1] The fort was later built by the Chola dynasty in the 13th century. In 1638, Gingee came under the control of Bijapur Sultanate from Vijayanagar. In 1677, it was under the control of Maratha king Shivaji. In 1690, it came under the Mughals, when it became the headquarters of Arcot. It changed hands to the French in 1750, and then to the British in 1762. During this time, many sculptural aspects of Gingee were shifted to Pondicherry by the French.
जिंजी
विजयेन्द्र कुमार माथुर[2] ने लेख किया है ...जिंजी (AS, p.365) कर्नाटक के अर्काट ज़िला में स्थित था। वर्तमान में यह तमिलनाडु के विलुप्पुरम ज़िले में स्थित है। जिंजी मद्रास-धनुष्कोटि रेलमार्गपर तिंडिवनम् स्टेशन से 20 मील पश्चिम में बसा हुआ यह स्थान अपने सुदृढ़ दुर्ग के कारण उल्लेखनीय है। जिंजी का दुर्ग तीन पहाड़ियों को मज़बूत दीवार से जोड़ कर तीन मील की परिधि में बनाया गया है। दुर्ग की तीन पहाड़ियाँ हैं-- राजगिरि, श्रीक़ृष्ण गिरि और चांद्रायण. राज गिरि पहाड़ी पर रंगनाथ का सुन्दर मन्दिर है, जिसमें कृष्ण की कलात्मक मूर्तियाँ हैं। वेंकटरमण स्वामी के मंदिर में रामायण के सुंदर चित्र हैं. जनश्रुति के अनुसार इस दुर्ग तथा मंदिरों के निर्माण कर्ता काशिराज सूरशर्मा थे. यह काशी से यहां यात्रा पर आए थे. दूसरी लोककथा यह भी है कि जिंजी नगर की स्थापना तुप्पकल कृष्णाप्पा ने की थी जो कांचीपुरी के निवासी थे.
सन् 1677 ई. में शिवाजी ने जिंजी के क़िले को बीजापुर से छीन लिया और अपनी कर्नाटक सरकार की राजधानी बना दिया। शिवाजी की मृत्यु के बाद जिंजी पूर्वी तट पर मराठों के स्वातंत्र्य युद्ध का प्रमुख केन्द्र बन गया। सन 1690 ई. में विशाल मुग़ल सेना ने जिंजी के क़िले पर अधिकार करने के लिए घेरा डाला ताकि शिवाजी के उत्तराधिकारी रामराजा को पराजित किया जा सके। जिंजी का दुर्ग अजेय समझा जाता था, अतः दुर्ग का घेरा 18 जनवरी, 1698 ई. तक पड़ा रहा। उस दिन मुग़लों ने दुर्ग पर भीषण आक्रमण किया। रामराजा को यहाँ से भागकर अन्यत्र जाना पड़ा। कालांतर में इस क़िले पर फ्रांसीसी लोगों ने अधिकार कर लिया, किंतु 1761 ई. में पांडिचेरी के पतन के बाद उन्हें यह किला अंग्रेज़ों को सौंपना पड़ा। [3]
External links
References
- ↑ Alf Hilteibetel. The Cult of Draupadi. University of Chicago.
- ↑ Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.365
- ↑ भारतकोश-जिंजी