Girivraja
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Girivraja (गिरिव्रज) was the name capital of Kekaya Janapada during Ramayana period. Another Girivraja was the name of Rajagriha of Magadha in Bihar, India.
Origin
Variants
- Girajaka (गिरजाक) = Girivraja गिरिव्रज (AS, p.284)
- Girivraja (गिरिव्रज) (AS, p.288)
- Vasumati वसुमती दे. Girivraja गिरिव्रज (2)
History
गिरजाक
विजयेन्द्र कुमार माथुर[1] ने लेख किया है ...गिरजाक (AS, p.284) रामायण काल में केकय देश की राजधानी थी। गिरिव्रज का अभिज्ञान जनरल कनिंघम ने झेलम नदी के तट पर बसे हुए 'जलालपुर' नामक ग्राम से किया है। जलालपुर का प्रचीन नाम गिरजाक कहा जाता है जो गिरिव्रज का अपभ्रंश हो सकता है. प्राचीन काल में इसे 'नगरहार' भी कहते थे.
गिरिव्रज
विजयेन्द्र कुमार माथुर[2] ने लेख किया है ...
1. गिरिव्रज (AS, p.288): गिरिव्रज रामायण काल में केकय देश की राजधानी थी। 'गिरिव्रज' का शाब्दिक अर्थ है- "पहाड़ियों का समूह"। इसे राजगृह भी कहा जाता था- ‘उभयौ भरतशत्रुघ्नौ केकयेषु परंतपौ, पुरे राजगृहे रम्ये मातामहनिवेशने’ वाल्मीकि रामायण, अयोध्या काण्ड 67, 7. ‘गिरिव्रजं पुरवरं शीघ्रमासेदुरंजसा’ वाल्मीकि रामायण, अयोध्या काण्ड 68, 22।
गिरिव्रज का अभिज्ञान जनरल कनिंघम ने झेलम नदी के तट पर बसे हुए 'गिरजाक' अथवा 'जलालपुर' नामक क़स्बा (जो अब पाकिस्तान में है) से किया है। जलालपुर का प्रचीन नाम 'नगरहार' भी था।
2. गिरिव्रज (AS, p.288): बिहार प्रांत के राजगृह स्थान का प्राचीन नाम है। गिरिव्रज मगध की प्राचीन राजधानी, जिसे राजगृह भी कहते थे। केकय के गिरिव्रज से इस गिरिव्रज को भिन्न करने के लिए इसे "मगध का गिरिव्रज" कहते थे। (सेक्रेड बुक्स ऑव दी ईस्ट-13, पृ. 150) वाल्मीकि रामायण के बालकाण्ड 1, 38-39 में गिरिव्रज की पांच पहाड़ियों का उल्लेख है- 'चक्रेपुरवरंराजा [p.289]: वसुर्नाम गिरिव्रजम्। एषा वसुमती नापवसोस्तस्य महात्पन:, एते शैलवरा: पंच प्रकाशन्ते समन्तत:।' उपरोक्त उल्लेख के अनुसार इस नगर को 'वसु' नामक राजा ने बसाया था।
महाभारत काल में गिरिव्रज में मगध नरेश जरासंध की राजधानी थी- 'तने रुद्धा हि राजान: सर्वे जित्वा गिरिव्रजे' महाभारत सभापर्व, 14, 63. अर्थात् 'जरासंध ने सब राजाओं को जीतकर गिरिव्रज में कैद कर लिया है।'
'भ्रामयित्वा शतगुणमेकोनं येत भारत, गदाक्षिप्ता बलवता मागधेन गिरिव्रंजात्।'-- महाभारत सभापर्व 19,23 अर्थात् 'श्रीकृष्ण के ऊपर आक्रमण करने के लिए बलवान मगधराज जरासंध ने अपनी गदा निन्यानबे बार घुमाकर गिरिव्रज से (99 योजन दूर मथुरा की ओर) फैंकी। संभवत: मगध का गिरिव्रज, केकय देश के इसी नाम के नगर के निवासियों द्वारा रामायण काल के पश्चात् बसाया गया होगा। सौंदरनंद 1, 42 में कपिलवस्तु की तुलना अश्वघोष ने गिरिव्रज से की है- 'सरिद्विस्तीर्णपरिखं स्पष्टांचितमहापथम्, शैलकल्पमहावप्रं गिरिव्रजमिवा परम्।' गिरिव्रज के अन्य नाम 'राजगृह', 'मगधपुर', 'बार्हद्रथपुर', 'बिंविसारपुरी', 'वासुमती' आदि प्राचीन साहित्य में प्राप्त हैं। (दे. राजगृह)