Gokul Ram Mahla
Gokul Ram Mahla (born:15.4.1912-) (कर्नल गोकुलराम महला), from Jat Behror (जाट बहरोड़), Mandawar Alwar, was a Social worker in Alwar, Rajasthan. [1]
जाट जन सेवक
ठाकुर देशराज[2] ने लिखा है ....कर्नल गोकुलराम जी: [पृ.86]: सन् 1933 के दिसंबर महीने की बात है। हिंदी महीना माघ था। बसंत का सुहाना समय सीकर जाट महायज्ञ हो रहा था। मीलों तक जाट स्त्री-पुरुष फूस की छावनी डाले पड़े थे। दस दिन से वेद मंत्रों के उच्चारण और स्वाही बाट से वायुमण्डल सुगंधित हो उठा था और उन्हीं 10 दिनों के एक सुहानी प्रभात में चौधरी रिछपाल सिंह ने मेरे सामने एक गौरे बदन और मझले कद के सुंदर नौजवान को ला खड़ा किया और कहा यह गोकुलरामजी हैं। वह
[पृ.87]: बहरोड जाट गांव अलवर जिले के रहने वाले हैं। दिल्ली में बीए की पढ़ाई कर रहे हैं। किसी दिन आपके मिशन के उतशाही मिशनरी बनेंगे। मुझे स्वयं लगा कि मैं एक हौनहार नौजवान से बातें कर रहा हूँ।
कप्तान गोकुलराम का जन्म 15 अप्रैल सन् 1912 में हुआ। इनके पिता चौधरी मंगतूराम (महला गोत्र) फौज में सिपाही थे। सन् 1914 के महायुद्ध में वह वीरगति को प्राप्त हो गये। सिपाही मंगतूराम की वीर पत्नी ने विधवा होने के बाद अपने नन्हें बच्चे गोकुलराम का सिर्फ पालन पोषण ही नहीं किया उसे उचित शिक्षा भी दिलाई। यह माता की तपस्या का फल था कि उसका बेटा आज एक सरदार है और एक दिन अलवरी जाट जनता का अगुआ होगा।
जिस समय सन् 1940 में सिरोहड़ में अलवर राज्य जाट कांफ्रेंस हो रही थी उस समय कप्तान गोकुलराम सुदूर समुद्र पार रणक्षेत्र में काम कर रहे थे। वहीं आपने अपनी एक माह का वेतन अलवर में जाट बोर्डिंग व जाट धर्मशाला के बनाने के लिए भेज कर लोगों का उत्साह बढ़ाया।
कर्नल गोकुलराम गंभीर स्वभाव के व मननशील नौजवान हैं। कौम की वर्तमान दशा से उनके दिल में दर्द है और वह महसूस करते हैं कि जाति को जगना चाहिए। इससे भी अधिक उनके स्वभाव में नम्रता है जो मनुष्य का भूषण है। दूसरों की सेवाओं की कद्र करने की उनमें भावना है जो सहज ही कार्यकर्ताओं को अपनी ओर आकर्षित करती है।
आपके इस समय सन् 1946 तक तीन संताने हैं जिनमें दो पुत्र और एक पुत्री है।
जीवन परिचय
गैलरी
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Jat Jan Sewak,p.86
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Jat Jan Sewak,p.87
संदर्भ
- ↑ Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.86-87
- ↑ Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.86-87
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