Hanuman Devanda

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Hanuman Devanda

Hanuman Devanda (Sep) (1997-17.4.2021) was from Khedooliya village in Peeploo tahsil in Tonk district in Rajasthan. He became martyr on 17.4.2021 in Udhampur area of Jammu and Kashmir fighting with the militants. He was in 12 RR Rifles of Indian Army.

हनुमान देवंदा शहीद हुये

पीपलू उपखंड क्षेत्र के डारडातुर्की ग्राम पंचायत के खेडूल्या गांव का जवान हनुमान देवंदा जाट (24) शनिवार देर रात को जम्मू कश्मीर के ऊधमपुर में आतंकवादियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गया. जानकारी के अनुसार, हनुमान देवंदा 12 आरआर राइफल्स में सिपाही के पद पर तैनात था. शनिवार रात्रि को सेना के ऑपरेशन के दौरान गोली लगने के बाद भी वीर जवान हनुमान देवंदा आतंकवादियों से लोहा लेता रहा.

हनुमान की शहादत की खबर मिलते ही उनके पैतृक गांव खेडूल्या सहित टोंक जिले में शौक की लहर दौड़ गई है. परिजनों से मिली जानकारी के अनुसार, शहीद जवान का पार्थिव देह सोमवार दोपहर बाद घर पहुंचेगा. यहां सैन्य सम्मान के साथ उसका अंतिम संस्कार किया जाएगा.

14 मई को थी शादी

दरअसल, खेडूल्या के रतनलाल जाट के घर में पैदा हुआ हनुमान का करीब 17 साल की उम्र में ही भारतीय सेना (Indian Army) में चयन हो गया. जो वर्तमान में जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) में तैनात था. शहीद जवान का बड़ा भाई ओमप्रकाश चौधरी भी आर्मी में हैं, जिसकी प्रेरणा व मार्गदर्शन से ही वह 12 वीं पास करते ही सेना में नौकरी पाने में सफल हुआ.

शहीद जवान की 14 मई को बगड़ी निवासी रामलाल जाट की सुपुत्री से शादी होनी थी. परिजन जवान के हाथ-पीले करने को लेकर तैयारियों में जुटे हुए थे. वहीं, जवान भी 25 अप्रैल को अपने गांव आने वाला था. लेकिन उससे पहले ही वह शहीद हो गया.

पिता करते हैं खेती: शहीद जवान के पिता रतनलाल जाट खेती करते हैं. जानकारी अनुसार, शहीद का परिवार करीब 28 साल पहले टोडारायसिंह के माधोगंज में रहता था. यहां से वह पीपलू क्षेत्र के खेडूल्या में अपनी जमीन होने के चलते यहां आकर बस गए. शहीद की माता काली देवी गृहणी हैं. वहीं, एक बड़ा भाई ओमप्रकाश गुजरात में आर्मी में हैं. छोटा भाई रामफूल पिता के साथ खेती में सहयोग करता हैं. वहीं, दो बहने सीमा व मनराज बीए प्रथम वर्ष में टोंक के एक निजी कॉलेज में अध्ययनरत हैं.

संदर्भ: पुरुषोत्तम जोशी, ज़ी न्यूज़

अंतिम यात्रा

खेडूल्या निवासी जवान हनुमान देवंदा चौधरी (24) का पार्थिव शरीर मंगलवार सुबह उसके पैतृक गांव पहुंचा. यहां जवान का शव तिरंगे में लपटा जैसे ही घर पहुंचा तो गांव में कोहराम मच गया और परिजन पार्थिव देह को देखकर बार-बार बेसुध होते रहे. वहीं, जवान के पार्थिव शरीर को जुलूस के रूप में करीब 2 किमी दूर स्थित श्मशान तक 'जब तक सूरज चांद रहेगा हनुमान तेरा नाम रहेगा' सहित कई नारों व सम्मान के साथ ले जाया गया. यहां पहुंचकर परिजनों की ओर से मुखाग्नि दी गई. इस दौरान जवान का भाई रामफूल कई बार बेहोश हुआ. [1]

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References

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