Ishadhyushita

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(Redirected from Isanadhyushita)
Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Ishadhyushita (ईशानध्युषित) is pilgrim mentioned in Mahabharata. It was located in northern hills of Punjab.

Variants

History

ईशानध्युषित

ईशानध्युषित (AS, p.85) तीर्थ पंजाब के उत्तरी पर्वतों में स्थित रहा होगा। महाभारत वन पर्व 84, 9 में ईशानध्युषित तीर्थ को सौगंधिक-वन कहा गया है और इसे सरस्वती नदी के उद्गम से 6 शम्यानिपात (प्राय: आधा मील) पर बताया गया है- 'ईशानाध्युषितां नाम तत्र तीर्थ सुदुर्लभम् षट्सुशम्यानिपातेषु वल्मीकादिति निश्चय:'। [1]

सौगंधिक वन

1. सौगंधिक वन (AS, p.996): यह प्राचीन तीर्थ वर्तमान सर्राघाट है जो नर्मदा के तट पर स्थित है. [2]

2. सौगंधिक वन (AS, p.996): महाभारत, वनपर्व के तीर्थ यात्रा प्रसंग में इस स्थान का वर्णन निम्नलिखित है--'सौगन्धिकंवनं राजंस्ततॊगच्छेत् मानवः,तद वनं प्रविशन्न एव सर्वपापैः प्रमुच्यते। ततश्चापिसरिच्छ्रेष्ठा नदीनामुत्तमानदी, प्लक्षाद देवी स्नुता राजन् महापुण्या सरस्वती, तत्राभिषेकं कुर्वीत वल्मीकान निःसृते जले' वनपर्व 84,4,6,7. इस वर्णन से ऐसा प्रतीत होता है कि यह स्थान सरस्वती नदी के उद्गम के निकट स्थित था. सौगंधिक वन से छ: सम्यानिपात पर (प्राय: आधा मील दूर) ईशानध्युषित नामक तीर्थ था. [3]

In Mahabharata

Isanadhyushita (ईशानाध्युषित) Mahabharata (III.82.7)

Saugandhika Vana (सौगन्धिक वन) Mahabharata (III.82.3)


Vana Parva, Mahabharata/Book III Chapter 82 mentions names of Pilgrims. Isanadhyushita (ईशानाध्युषित) is mentioned in Mahabharata (III.82.7).[4]... There existeth a rare tirtha called Isanadhyushita (ईशानाध्युषित) (III.82.7), lying from the ant-hill at the distance of six throws of a heavy stick. As seen in the Puranas, O tiger among men, bathing there a man obtaineth the merit of giving away a thousand Kapila kine and of the horse-sacrifice.


Vana Parva, Mahabharata/Book III Chapter 82 mentions names of Pilgrims. Saugandhika Vana (सौगन्धिक वन) is mentioned in Mahabharata (III.82.3).[5].... Then, O monarch, a man should repair to the: Saugandhika-vana (सौगन्धिकं वनं) (III.82.3). There dwell the celestials with Brahma at their head, Rishis endued with wealth of asceticism, the Siddhas, the Charanas, the Gandharvas, the Kinnaras and the serpents. As soon as one entereth these woods, he is cleansed of all his sins.

External links

References

  1. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.85
  2. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.996
  3. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.996
  4. ईशानाध्युषितं नाम तत्र तीर्थं सुदुर्लभम, षट्सु शम्या निपातेषु वल्मीकाद इति निश्चयः (III.82.7)
  5. सौगन्धिकं वनं राजंस ततॊ गच्छेत मानवः, यत्र बरह्मादयॊ देवा ऋषयश च तपॊधनाः (III.82.3)