Jat Bavisi

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Jat Bavisi (जाट बाविसी) is a group of 22 Jat villages in Maharashtra. They migrated here after fall of Maratha army in Third Battle of Panipat.

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Jat Bawisi (जाट बायसी)

History

History

जाट इतिहास

महाराष्ट्र के जाट- जब मराठा पानीपत का तीसरा युद्ध हार गए तो लुटे-पिटे मराठों को लोहागढ़ के वीर सूरजमल जाट ने शरण दी और उनको सुरक्षित मराठवाड़ा पहुचाने के लिए एक टुकड़ी भेजी जिस में से कुछ जाट महाराष्ट्र के नासिक जिले की मालेगांव तहसील और कुछ औरंगाबाद, जलगांव में बस गए । बाद में कुछ जाट पंजाब और पश्चिमी राजस्थान से यहां आकर बस गए आज यह 22 गाँव है जिनको जाट बायसी बोलते है।

नासिक जिला: 1.टोकडा 2. जलकू, 3.राजमाने , 4. पाडलदे, 5. हताने, 6. सायतरपाड़ा , 7. जाटपाड़ा 8.भूतपाड़ा 9. दापौरा, 10. चिंचगयहा, 11. नरडाणा ( नरदाणे / नरदाणा ) 12. पलासदरा, 13. लखाने

जलगाँव – 14.पिंजारपाड़ा, 15. राजूर, 16. मनुर, 17.तलोंदा,

धुलिया- 18.कुलथे

औरंगाबाद- 19. पारडी, 20.अंजनगांव

जालना-21.लोधेवाड़ी 22. बामनोद


महम चौबीसी से तो हम सभी परिचित हैं, ये जाटों के 24 गाँवों की खाप है जिसमें सह-जातियाँ भी सम्मिलित होती हैं। लेकिन जाट बाईसी का नाम बहुत कम लोगों ने सुना होगा । जाट बाईसी पूरी ऐतिहासिक घटना पर आधारित है। बम्बई से 180 कि. मी. दूर महाराष्ट्र राज्य के नासिक जिले की मालेगांव तहसील में जाटों के इकट्ठे छोटे-छोटे 22 गाँव हैं।

पानीपत की तीसरी लड़ाई में पेशवा ब्राह्मण व मराठे लगभग 4 हजार परिवार अपने साथ लाये थे। जब लड़ाई में इनकी हार हुई तो कुछ परिवार मारे गये और बचे-खुचे परिवारों ने भरतपुर नरेश महाराजा सूरजमल के राज क्षेत्र व किलों में पनहा ली थी। महाराजा सूरजमल ने कड़कती सर्दी (जनवरी 1761) में इनको पूरे अतिथि सत्कार के तहत घायलों आदि की देखभाल की तथा इन परिवारों को इनके घरो तक सकुशल पहुंचाने के लिए अपनी सेना के रोहतकहिसार जिले के जाट सिपाही साथ भेजे जो उन्हें बड़ी इज्जत और सम्मान के साथ वहाँ उनके घरों तक ले गये, जो उस समय किसी भी कल्पना से परे था।

महाराजा सूरजमल और रानी किशोरी की शानदार मेहमानबाजी तथा इन हरियाणवी सिपाहियों की जिन्दादिली इंसानियत पर मराठा समाज कायल हो गया और इस समाज ने ऐसे नेक सिपाहियों, जिनकी शादियां नहीं हुई थी, को अपनी बेटियां देकर अपनी जम़ीन पर बसाने का फैसला लिया। समय अपनी गति से चलता रहा और आज लगभग 250 वर्ष बाद इनके 22 गाँव आबाद हो गये जो आज किसानी करके अपना निर्वाह करते हैं। इनके साथ भी वही हुआ जो आन्ध्रप्रदेश के गोलकुण्डा किले के विजेताओं के साथ हुआ या हो रहा है। क्या विश्व के इतिहास में ऐसा कोई दूसरा भी उदाहरण हैं? महाराजा सूरजमल की आलोचना करनेवालों के मुंह पर यह एक तमाचा है।

यहाँ के तोखड़ा गाँव में फिल्म अभिनेता व नेता धर्मेन्द्र जी ने अपनी माता सन्तकौर देवी के नाम हाई स्कूल बनवाया है। धर्मेन्द्र जी ने मुम्बई महानगर में पहली बार जाट सभा व जाट भवन की स्थापना की जिस पर जाट जाति को गर्व होना चाहिए।

इन जाटों के गोत्र हैं - मान, जाखड़, सिहाग, सहरावत, दहिया, बिजानियां, रोझ, झिंझर, नीमड़िया, रांगी or also called रघुवंशी , रंधावा, पूनिया, गिल, बैनीवाल और सांगवान (70 परिवार) आदि, इस जाट बाईसी के वर्तमान में चौ. धनसिंह सहरावत प्रधान हैं जिनका पता हैं:- गाँव - नारादाना, डाकखाना - कलवाड़ी, तहसील - मालेगांव जिला नासिक (महाराष्ट्र राज्य) (एक शोध प्रयास - लेखक)।

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